नई दिल्ली: नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को निर्यात को बढ़ावा देने के मकसद से नई योजना का ऐलान किया, जिस पर 50,000 करोड़ रुपये का खर्च होगा.
यहां एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए वित्तमंत्री ने बताया कि मौजूदा मर्चेटाइज एक्पोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) की जगह रीमिशन ऑफ ड्यूटीज फॉर एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) अर्थात निर्यात उत्पादों पर शुल्क में छूट की योजना लाई गई है. उन्होंने बताया कि आरओडीटीईपी लागू करने से सरकारी खजाने पर 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. आरओडीटीईपी की योजना मौजूदा एमईआईएस की जगह लेगी.
वित्तमंत्री ने एमएसएमई के लिए इंटेरेस्ट इक्वलाइजेशन रेट यानी समान ब्याज दर तीन फीसदी से घटा कर पांच फीसदी कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया संबंधी छोटी चूक व छोटे करदाताओं को अभियुक्त नहीं बनाया जाएगा.
सीतारमण ने कहा कि करदाताओं के साथ सभी प्रकार के संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि पीएसयू बैंकों द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में कटौती का हस्तांरण किया जा रहा है और वह 19 सितंबर को इन बैंकों के प्रमुखों से मिलकर साख प्रवाह पर चर्चा करेंगी. साथ ही, उच्च दर वाली एनबीएफसी संपत्तियों की खरीद के लिए पीएसयू बैंकों के लिए आंशित ऋण योजना की प्रगति पर भी चर्चा होगी.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को निर्यातकों के लिए ऋण प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए ऋण आवंटन के संशोधित नियमों (पीएसएल) की घोषणा की.
इससे निर्यातकों को 36,000 करोड़ रुपये से लेकर 68,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वित्त पोषण मिलेगा. सीतारमण ने कहा कि निर्यातकों को ऋण के लिए पीएसएल नियमों की समीक्षा की जाएगी.
दिशानिर्देशों पर भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श चल रहा है. सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा, "इससे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तहत निर्यात ऋण के लिए 36,000 करोड़ रुपये 68,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होगी."
उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समूह निर्यात क्षेत्र को वित्त पोषण की सक्रिय निगरानी करेगा.
इसके अलावा निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) निर्यात ऋण बीमा योजना का दायरा बढ़ाएगा. सीतारमण ने कहा कि इस पहल की सालाना लागत 1,700 करोड़ रुपये आएगी.
साथ ही यह ब्याज दर समेत निर्यात ऋण की पूरी लागत को विशेषकर लघु एवं मझोले कारोबारों के लिए कम करने में मदद करेगी. उन्होंने यह भी घोषणा की कि मुक्त व्यापार समझौता उपयोग मिशन की भी स्थापना की जाएगी.
इसका मकसद निर्यातकों को उन देशों से शुल्क छूट दिलाने में मदद करना है जिनके साथ भारत ने संधि की है. इसके अलावा देश में चार स्थानों पर हस्तशिल्प, योग, पर्यटन, कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों के लिए वार्षिक शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित किए जाएंगे.