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निर्यातकों के लिए बैंक से कर्ज हासिल करना आज सबसे बड़ी चुनौती: फियो - पीएनबी बैंक घोटाला

फियो अध्यक्ष ने इसी सप्ताह निर्यात क्षेत्र से जुड़े़ मुद्दों पर राजधानी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से बातचीत की. भारतीय रिजर्व बैंक पहले निर्यात क्षेत्र की जरूरत पर चर्चा के लिए फियो जैसे संगठनों के साथ मुंबई में नियमित बैठकें करता था पर अब ऐसी बैठकें वर्षों से नहीं हो रही हैं.

निर्यातकों के लिए बैंक से कर्ज हासिल करना आज सबसे बड़ी चुनौती: फियो
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Published : Mar 16, 2019, 3:24 PM IST

नई दिल्ली: निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने पीएनबी बैंक घोटाले जैसी घटनाओं के बाद निर्यातकों के लिए बैंकों से कर्ज हासिल करने में भारी दिक्कत की शिकायत करते हुए कहा है कि 'देश में बैंकों से कर्ज लेना निर्यातकों के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गया है.'

निर्यात क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों पर फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन्स (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने एक नोट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून,18) में बैंकों से प्राप्त निर्यात रिण में एक साल पहले की तुलना में 21 प्रतिशत की गिरावट आयी और जून महीने में यह गिरावट 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई. गुप्ता ने संवाददातओं से कहा, "बैंक कर्ज हासिल करना निर्यात क्षेत्र की इस समय सबसे बड़ी चुनौती है. यह हमारे लिये आज सबसे बड़ी बाधा बन गया है."

ये भी पढ़ें-अप्रत्यक्ष कर लक्ष्य से चूकेगी सरकार, पर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करेगी: गर्ग

फियो के अनुसार मार्च 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक से मिला निर्यात कर्ज सालाना आधार पर 26.4 प्रतिशत घट गया. गुप्ता ने कहा, "निर्यात क्षेत्र में कर्ज की मांग खूब है. लेकिन खास कर छोटे निर्यातकों के लिए बैंक कर्ज की प्रक्रिया ऐसी बना दी गयी है कि उसका अनुपालन कठिन हो जाता है. बैंक से आपकी कर्ज की लिमिट (सीमा) तय हो भी जाये तो उसके साथ ऐसी शर्त जोड़ दी जाती है कि इकाइयों के लिए उसका उपयोग करना दूभर हो जाता है."

फियो अध्यक्ष ने अपने नोट में कहा है कि तकनीकी रूप से निर्यात कर्ज को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र का कर्ज माना गया है लेकिन हाल के समय में बैंक कर्ज घोटालों की कुछ बड़ी घटनाओं के बाद बैंक अधिकारी संदेह करने लगे हैं. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा निर्यातकों की समुचित मदद किए जाने की अपील के बावजूद बैंकों के रवैए में बदलाव नहीं आ रहा है.

फियो अध्यक्ष ने इसी सप्ताह निर्यात क्षेत्र से जुड़े़ मुद्दों पर राजधानी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से बातचीत की. उन्होंने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक पहले निर्यात क्षेत्र की जरूरत पर चर्चा के लिए फियो जैसे संगठनों के साथ मुंबई में नियमित बैठकें करता था पर अब ऐसी बैठकें वर्षों से नहीं हो रही हैं."

निर्यात रिण के बारे में फियो अध्यक्ष के नोट में कहा गया है कि मार्च-दिसंबर 2018 में प्रथमिकता क्षेत्र के कर्ज में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी जबकि एक साल पहले इस अवधि में इसमें 0.5 प्रतिशत की गिरावट थी. इस दौरान निर्यात ऋण में एक साल पहले इसी अवधि की 3.8 प्रतिशत गिरावट की तुलना में गिरावट और बढ़कर हो गई. नोट के अनुसार वास्तव में निर्यात ऋण में दिसंबर 2016 से ही गिरावट है.

वित्त वर्ष 2015-16 के 458 अरब रुपये की तुलना में निर्यात 2016-17 में 425 अरब रुपये रह गया. वर्ष 2017-18 में यह और घट कर 283 अरब रुपये रह गया और अप्रैल-दिसंबर 18 में यह राशि 185 अरब रुपये रह गई. गुप्ता ने कहा कि निर्यात क्षेत्र के समक्ष खड़ी तमाम चुनौतियों के बावजूद अप्रैल-मार्च 2018-19 में देश का निर्यात आंकड़ा 330-335 अरब डालर पर पहुंच सकता है जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा होगा." चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान निर्यात 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 271.8 अरब डालर रहा.

फरवरी और मार्च की संभावना के बारे में उन्होंने कहा, "मार्च वित्त वर्ष का आखरी महीना होता है और अमूमन इसमें निर्यात का आंकड़ा अच्छा रहता है. इस वर्ष मार्च में निर्यात का आंकड़ा 33-34 अरब डालर तक पहुंच सकता है."

(भाषा)

नई दिल्ली: निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने पीएनबी बैंक घोटाले जैसी घटनाओं के बाद निर्यातकों के लिए बैंकों से कर्ज हासिल करने में भारी दिक्कत की शिकायत करते हुए कहा है कि 'देश में बैंकों से कर्ज लेना निर्यातकों के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गया है.'

निर्यात क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों पर फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन्स (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने एक नोट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून,18) में बैंकों से प्राप्त निर्यात रिण में एक साल पहले की तुलना में 21 प्रतिशत की गिरावट आयी और जून महीने में यह गिरावट 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई. गुप्ता ने संवाददातओं से कहा, "बैंक कर्ज हासिल करना निर्यात क्षेत्र की इस समय सबसे बड़ी चुनौती है. यह हमारे लिये आज सबसे बड़ी बाधा बन गया है."

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फियो के अनुसार मार्च 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक से मिला निर्यात कर्ज सालाना आधार पर 26.4 प्रतिशत घट गया. गुप्ता ने कहा, "निर्यात क्षेत्र में कर्ज की मांग खूब है. लेकिन खास कर छोटे निर्यातकों के लिए बैंक कर्ज की प्रक्रिया ऐसी बना दी गयी है कि उसका अनुपालन कठिन हो जाता है. बैंक से आपकी कर्ज की लिमिट (सीमा) तय हो भी जाये तो उसके साथ ऐसी शर्त जोड़ दी जाती है कि इकाइयों के लिए उसका उपयोग करना दूभर हो जाता है."

फियो अध्यक्ष ने अपने नोट में कहा है कि तकनीकी रूप से निर्यात कर्ज को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र का कर्ज माना गया है लेकिन हाल के समय में बैंक कर्ज घोटालों की कुछ बड़ी घटनाओं के बाद बैंक अधिकारी संदेह करने लगे हैं. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा निर्यातकों की समुचित मदद किए जाने की अपील के बावजूद बैंकों के रवैए में बदलाव नहीं आ रहा है.

फियो अध्यक्ष ने इसी सप्ताह निर्यात क्षेत्र से जुड़े़ मुद्दों पर राजधानी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से बातचीत की. उन्होंने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक पहले निर्यात क्षेत्र की जरूरत पर चर्चा के लिए फियो जैसे संगठनों के साथ मुंबई में नियमित बैठकें करता था पर अब ऐसी बैठकें वर्षों से नहीं हो रही हैं."

निर्यात रिण के बारे में फियो अध्यक्ष के नोट में कहा गया है कि मार्च-दिसंबर 2018 में प्रथमिकता क्षेत्र के कर्ज में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी जबकि एक साल पहले इस अवधि में इसमें 0.5 प्रतिशत की गिरावट थी. इस दौरान निर्यात ऋण में एक साल पहले इसी अवधि की 3.8 प्रतिशत गिरावट की तुलना में गिरावट और बढ़कर हो गई. नोट के अनुसार वास्तव में निर्यात ऋण में दिसंबर 2016 से ही गिरावट है.

वित्त वर्ष 2015-16 के 458 अरब रुपये की तुलना में निर्यात 2016-17 में 425 अरब रुपये रह गया. वर्ष 2017-18 में यह और घट कर 283 अरब रुपये रह गया और अप्रैल-दिसंबर 18 में यह राशि 185 अरब रुपये रह गई. गुप्ता ने कहा कि निर्यात क्षेत्र के समक्ष खड़ी तमाम चुनौतियों के बावजूद अप्रैल-मार्च 2018-19 में देश का निर्यात आंकड़ा 330-335 अरब डालर पर पहुंच सकता है जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा होगा." चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान निर्यात 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 271.8 अरब डालर रहा.

फरवरी और मार्च की संभावना के बारे में उन्होंने कहा, "मार्च वित्त वर्ष का आखरी महीना होता है और अमूमन इसमें निर्यात का आंकड़ा अच्छा रहता है. इस वर्ष मार्च में निर्यात का आंकड़ा 33-34 अरब डालर तक पहुंच सकता है."

(भाषा)

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निर्यातकों के लिए बैंक से कर्ज हासिल करना आज सबसे बड़ी चुनौती: फियो

नई दिल्ली: निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने पीएनबी बैंक घोटाले जैसी घटनाओं के बाद निर्यातकों के लिए बैंकों से कर्ज हासिल करने में भारी दिक्कत की शिकायत करते हुए कहा है कि 'देश में बैंकों से कर्ज लेना निर्यातकों के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गया है.' 

निर्यात क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों पर फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन्स (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने एक नोट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून,18) में बैंकों से प्राप्त निर्यात रिण में एक साल पहले की तुलना में 21 प्रतिशत की गिरावट आयी और जून महीने में यह गिरावट 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई. गुप्ता ने संवाददातओं से कहा, "बैंक कर्ज हासिल करना निर्यात क्षेत्र की इस समय सबसे बड़ी चुनौती है. यह हमारे लिये आज सबसे बड़ी बाधा बन गया है." 

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फियो के अनुसार मार्च 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक से मिला निर्यात कर्ज सालाना आधार पर 26.4 प्रतिशत घट गया. गुप्ता ने कहा, "निर्यात क्षेत्र में कर्ज की मांग खूब है. लेकिन खास कर छोटे निर्यातकों के लिए बैंक कर्ज की प्रक्रिया ऐसी बना दी गयी है कि उसका अनुपालन कठिन हो जाता है. बैंक से आपकी कर्ज की लिमिट (सीमा) तय हो भी जाये तो उसके साथ ऐसी शर्त जोड़ दी जाती है कि इकाइयों के लिए उसका उपयोग करना दूभर हो जाता है." 

फियो अध्यक्ष ने अपने नोट में कहा है कि तकनीकी रूप से निर्यात कर्ज को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र का कर्ज माना गया है लेकिन हाल के समय में बैंक कर्ज घोटालों की कुछ बड़ी घटनाओं के बाद बैंक अधिकारी संदेह करने लगे हैं. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा निर्यातकों की समुचित मदद किए जाने की अपील के बावजूद बैंकों के रवैए में बदलाव नहीं आ रहा है. 

फियो अध्यक्ष ने इसी सप्ताह निर्यात क्षेत्र से जुड़े़ मुद्दों पर राजधानी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से बातचीत की. उन्होंने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक पहले निर्यात क्षेत्र की जरूरत पर चर्चा के लिए फियो जैसे संगठनों के साथ मुंबई में नियमित बैठकें करता था पर अब ऐसी बैठकें वर्षों से नहीं हो रही हैं." 

निर्यात रिण के बारे में फियो अध्यक्ष के नोट में कहा गया है कि मार्च-दिसंबर 2018 में प्रथमिकता क्षेत्र के कर्ज में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी जबकि एक साल पहले इस अवधि में इसमें 0.5 प्रतिशत की गिरावट थी. इस दौरान निर्यात ऋण में एक साल पहले इसी अवधि की 3.8 प्रतिशत गिरावट की तुलना में गिरावट और बढ़कर हो गई. नोट के अनुसार वास्तव में निर्यात ऋण में दिसंबर 2016 से ही गिरावट है. 

वित्त वर्ष 2015-16 के 458 अरब रुपये की तुलना में निर्यात 2016-17 में 425 अरब रुपये रह गया. वर्ष 2017-18 में यह और घट कर 283 अरब रुपये रह गया और अप्रैल-दिसंबर 18 में यह राशि 185 अरब रुपये रह गई. गुप्ता ने कहा कि निर्यात क्षेत्र के समक्ष खड़ी तमाम चुनौतियों के बावजूद अप्रैल-मार्च 2018-19 में देश का निर्यात आंकड़ा 330-335 अरब डालर पर पहुंच सकता है जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा होगा." चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान निर्यात 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 271.8 अरब डालर रहा. 

फरवरी और मार्च की संभावना के बारे में उन्होंने कहा, "मार्च वित्त वर्ष का आखरी महीना होता है और अमूमन इसमें निर्यात का आंकड़ा अच्छा रहता है. इस वर्ष मार्च में निर्यात का आंकड़ा 33-34 अरब डालर तक पहुंच सकता है."

(भाषा) 


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