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जीडीपी ग्रोथ: हल्की रिकवरी संभव लेकिन मंदी फिर भी रहेगी हावी - स्थिरता उपाय

अर्थव्यवस्था को इस वित्त वर्ष के शेष बचे तिमाही में 5.5 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि से बढ़ना होगा. तब जाकर यह पूरे वर्ष के लिए 5 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर प्राप्त करने में सफल होगा लेकिन अन्य संकेतकों की स्थिति को देखते हुए ऐसा होने की संभावना नहीं है.

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जीडीपी ग्रोथ: हल्की रिकवरी संभव लेकिन मंदी फिर भी रहेगी हावी
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Published : Feb 27, 2020, 11:28 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 7:51 PM IST

नई दिल्ली: अर्थशास्त्री एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की अवधि में कुछ बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन यह उतनी बेहतर नहीं होगी जितना सरकार सोच रही है. भानुमूर्ति ने कहा कि संभावना है कि पूरे साल के लिए जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को 5 प्रतिशत से नीचे की ओर संशोधित करना होगा.

जीडीपी और मुद्रास्फीति की संख्या को मापने के लिए नोडल एजेंसी केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) को शुक्रवार को तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी डेटा जारी करेगी.

भानुमूर्ति ने कहा, "मेरा अपना आकलन है कि इस बार का यह दूसरी तिमाही की संख्या से थोड़ा बेहतर होगा."

प्रोफेसर भानुमूर्ति ने ईटीवी भारत को बताया, "अग्रिम अनुमान में पूरे वर्ष के लिए पांच प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का सुझाव दिया गया है, जिसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था को अगले दो तिमाहियों के लिए 5.5-6% की दर से बढ़ने की आवश्यकता है. लेकिन मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा."

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभावों पर सरकार की कड़ी नजर: सीतारमण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में भारत की जीडीपी वृद्धि छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान जीडीपी विकास दर 7% थी जो इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) में इसी अवधि के दौरान घटकर सिर्फ 4.5% रह गई. वित्त वर्ष 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद यह सबसे कम वृद्धि दर है जब यह 4.3% तक गिर गया था.

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जीडीपी डाटा

सार्वजनिक वित्त की निगरानी करने वाले प्रोफेसर भानुमूर्ति के अनुसार आर्थिक सुधार इतना कमजोर होगा कि इसके परिणामस्वरूप देश के सकल घरेलू उत्पाद के लिए वार्षिक वृद्धि के अनुमान को कम करना होगा.

"मैं पूरे वर्ष के बारे में अधिक चिंतित हूं. यदि तीसरी तिमाही की संख्या उम्मीद के मुताबिक नहीं है तो पूरे साल के लिए इसे नीचे की ओर संशोधित करना होगा."

उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था को इस वित्त वर्ष के शेष बचे महीनों में 5.5% या उससे अधिक की वृद्धि से बढ़ना होगा. तब जाकर यह पूरे वर्ष के लिए 5% की औसत वृद्धि दर प्राप्त करने में सफल होगा लेकिन अन्य संकेतकों की स्थिति को देखते हुए ऐसा होने की संभावना नहीं है.

अर्थव्यवस्था के लिए किए गए उपयों का रिपोर्ट कार्ड होगा यह जीडीपी डेटा

तीसरी तिमाही में दर्ज की गई वृद्धि की मात्रा पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित उपायों का भी संकेत होगी. देखना यह होगा की सीतारमण की ओर से किए गए सुधार का जीडीपी पर क्या असर पड़ेगा.

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प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री

पिछले साल अगस्त-सितंबर में वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था को धीमापन से बाहर निकालने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी. जिसमें नई विनिर्माण इकाइयों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती करना और बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के पुनर्पूंजीकरण सहित कई अन्य उपाय शामिल थे.

हालांकि, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी जैसे अर्थशास्त्रियों ने कॉर्पोरेट क्षेत्र को रियायत देने के फैसले की आलोचना की और इसके रोलबैक करने की मांग की. उन्होंने इसके बजाय गैर-किसानों को पीएम-किसान सम्मान निधि के विस्तार की वकालत की और मांग पक्ष को बढ़ावा देने के लिए नरेगा के तहत भुगतान बढ़ाने का सुझाव दिया था.

(लेखक- कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)

नई दिल्ली: अर्थशास्त्री एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की अवधि में कुछ बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन यह उतनी बेहतर नहीं होगी जितना सरकार सोच रही है. भानुमूर्ति ने कहा कि संभावना है कि पूरे साल के लिए जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को 5 प्रतिशत से नीचे की ओर संशोधित करना होगा.

जीडीपी और मुद्रास्फीति की संख्या को मापने के लिए नोडल एजेंसी केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) को शुक्रवार को तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी डेटा जारी करेगी.

भानुमूर्ति ने कहा, "मेरा अपना आकलन है कि इस बार का यह दूसरी तिमाही की संख्या से थोड़ा बेहतर होगा."

प्रोफेसर भानुमूर्ति ने ईटीवी भारत को बताया, "अग्रिम अनुमान में पूरे वर्ष के लिए पांच प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का सुझाव दिया गया है, जिसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था को अगले दो तिमाहियों के लिए 5.5-6% की दर से बढ़ने की आवश्यकता है. लेकिन मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा."

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभावों पर सरकार की कड़ी नजर: सीतारमण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में भारत की जीडीपी वृद्धि छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान जीडीपी विकास दर 7% थी जो इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) में इसी अवधि के दौरान घटकर सिर्फ 4.5% रह गई. वित्त वर्ष 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद यह सबसे कम वृद्धि दर है जब यह 4.3% तक गिर गया था.

बिजनेस न्यूज, Mild recovery possible but slowdown hangs heavy in the air, हल्की रिकवरी संभव लेकिन मंदी फिर भी रहेगी हावी, GDP Growth, जीडीपी ग्रोथ, GDP Data, GDP Growth Rate, Economic Growth Rate, India's GDP growth in FY 2018-19, GDP growth in FY 2019-20, CSO Data, Nirmala Sitharaman, NR Bhanumurthy, Inflation, Corporation Tax, Stimulus Measure, Prime Minister Narendra Modi, जीडीपी डेटा, जीडीपी विकास दर, आर्थिक विकास दर, वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की जीडीपी वृद्धि, वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि, सीएसओ डेटा, निर्मला सीतारमण, एनआर भानुमूर्ति, मुद्रास्फीति, निगम कर, स्थिरता उपाय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जीडीपी डाटा

सार्वजनिक वित्त की निगरानी करने वाले प्रोफेसर भानुमूर्ति के अनुसार आर्थिक सुधार इतना कमजोर होगा कि इसके परिणामस्वरूप देश के सकल घरेलू उत्पाद के लिए वार्षिक वृद्धि के अनुमान को कम करना होगा.

"मैं पूरे वर्ष के बारे में अधिक चिंतित हूं. यदि तीसरी तिमाही की संख्या उम्मीद के मुताबिक नहीं है तो पूरे साल के लिए इसे नीचे की ओर संशोधित करना होगा."

उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था को इस वित्त वर्ष के शेष बचे महीनों में 5.5% या उससे अधिक की वृद्धि से बढ़ना होगा. तब जाकर यह पूरे वर्ष के लिए 5% की औसत वृद्धि दर प्राप्त करने में सफल होगा लेकिन अन्य संकेतकों की स्थिति को देखते हुए ऐसा होने की संभावना नहीं है.

अर्थव्यवस्था के लिए किए गए उपयों का रिपोर्ट कार्ड होगा यह जीडीपी डेटा

तीसरी तिमाही में दर्ज की गई वृद्धि की मात्रा पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित उपायों का भी संकेत होगी. देखना यह होगा की सीतारमण की ओर से किए गए सुधार का जीडीपी पर क्या असर पड़ेगा.

बिजनेस न्यूज, Mild recovery possible but slowdown hangs heavy in the air, हल्की रिकवरी संभव लेकिन मंदी फिर भी रहेगी हावी, GDP Growth, जीडीपी ग्रोथ, GDP Data, GDP Growth Rate, Economic Growth Rate, India's GDP growth in FY 2018-19, GDP growth in FY 2019-20, CSO Data, Nirmala Sitharaman, NR Bhanumurthy, Inflation, Corporation Tax, Stimulus Measure, Prime Minister Narendra Modi, जीडीपी डेटा, जीडीपी विकास दर, आर्थिक विकास दर, वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की जीडीपी वृद्धि, वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि, सीएसओ डेटा, निर्मला सीतारमण, एनआर भानुमूर्ति, मुद्रास्फीति, निगम कर, स्थिरता उपाय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री

पिछले साल अगस्त-सितंबर में वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था को धीमापन से बाहर निकालने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी. जिसमें नई विनिर्माण इकाइयों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती करना और बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के पुनर्पूंजीकरण सहित कई अन्य उपाय शामिल थे.

हालांकि, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी जैसे अर्थशास्त्रियों ने कॉर्पोरेट क्षेत्र को रियायत देने के फैसले की आलोचना की और इसके रोलबैक करने की मांग की. उन्होंने इसके बजाय गैर-किसानों को पीएम-किसान सम्मान निधि के विस्तार की वकालत की और मांग पक्ष को बढ़ावा देने के लिए नरेगा के तहत भुगतान बढ़ाने का सुझाव दिया था.

(लेखक- कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)

Last Updated : Mar 2, 2020, 7:51 PM IST
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