चैन्टिली: फ्रांस में विकसित देशों के समूह जी-7 वित्त मंत्रियों की बैठक में फेसबुक और गूगल जैसी डिजिटल कंपनियों के लिये कर लगाने की योजना पर सहमति जतायी गयी. इसके तहत ऐसी कंपनियों पर न्यूनतम कर लगाया जाएगा. साथ ही जी-7 मंत्रियों में इस बात पर सहमति बनी कि फेसबुक की लिब्रा जैसी क्रिप्टोकरेंसी से अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था को जोखिम है.
फ्रांस की तरफ से जारी बयान के अनुसार, "मंत्रियों ने प्रभावी कराधान पर सहमति जतायी है. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कंपनियां पर जो वाजिब कर बनता है, उसका वे भुगतान करे." फ्रांस जी-7 का अभी अध्यक्ष है.
बयान के अनुसार, "मंत्रियों ने कारोबार के नये मॉडल के लिये नये नियम तैयार करने पर भी सहमति व्यक्त की. इसमे कंपनियों को भौतिक रूप से अपनी मौजूदगी के बिना कारोबार की अनुमति देना शामिल है." फ्रांस के एक अधिकारी ने कहा कि कर की दर के बारे में निर्णय बाद में किया जाएगा.
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सूत्रों के अनुसार समूह की गुरुवार को सुबह चली कई घंटों की बातचीत के बाद इस मामले में आम-सहमति बनी। फ्रांस और अमेरिका के बीच पिछले कुछ सप्ताह से जारी विवाद के बाद यह सहमति बनी है. उल्लेखनीय है कि फ्रांस की संसद इस महीने एक नया नियम पारित किया.
इसके तहत डिजिटल कंपनियों की देश के भीतर होने वाली आय पर कर लगाने की बात कही गयी है. भले ही उनका यूरोपीय मुख्यालय कहीं और क्यों नहीं हो. इस कदम से अमेरिकी की गूगल, एपल, फेसबुक और अमेजन पर असर पड़ेगा. फ्रांस के इस कदम से नाराज अमेरिका ने फ्रांस के खिलाफ अप्रत्याशित जांच की घोषणा की. इससे शुल्क लगाया जा सकता है.
साथ ही जी-7 मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जतायी कि फेसबुक की लिब्रा जैसी क्रिप्टोकरेंसी से अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली को जोखिम है और वे इसे क्रियान्वित करने को सहमत नहीं हैं। फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रुनो ली मायरे ने संवाददाताओं से कहा कि जी-7 के सभी सदस्य देशों ने लिब्रा जैसी परियोजनाओं को लेकर गंभीर चिंता जतायी.