हैदराबाद: आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन ने बुधवार को घोषणा की कि वह चीन के बाहर अधिक विनिर्माण सुविधाएं शुरु करने की योजना बना रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के अध्यक्ष यंग लियू ने कहा कि पिछले जून में चीन के कुल उत्पादन का अनुपात 75% से घटकर अब 70% रह गया है.
लियू ने कहा कि यह अनुपात और अधिक गिर जाएगा क्योंकि फॉक्सकॉन दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत में और अधिक विनिर्माण शुरु करेगा ताकि चीन द्वारा निर्मित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले टैरिफ से बचा जा सके.
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दुनिया भर की कंपनियां अमेरिका और चीन के बीच बिगड़ते व्यापार संबंधों और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की बढ़ती आवश्यकता पर ध्यान दे रही हैं, खासकर कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद.
साइबरमीडिया रिसर्च के इंडस्ट्री इंटेलिजेंस हेड प्रभु राम ने कहा, "जैसा कि सरकारें और उद्यम वैश्विक घटना के माध्यम से अपना रास्ता बनाते हैं, चीन से परे देखने की आवश्यकता अपरिहार्य है. परिवर्तन के पहिये पहले से ही गति में हैं. उदाहरण के लिए भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया पसंदीदा विनिर्माण केंद्र के रुप में उभर रहें हैं."
फॉक्सकॉन जैसी प्रौद्योगिकी फर्म भारत में नई विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना कर रही है. जिससे चीन के बाहर आईफोन उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बदल रहा है.
चीन से चेन्नई तक
फॉक्सकॉन वर्तमान में चेन्नई के पास श्रीपेरंबुदूर की एक फैक्ट्री में आईफोन एक्स आर को असेंबल कर रही है. कंपनी अगले तीन वर्षों में संयंत्र का विस्तार करने के लिए एक और 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही है.
विशेष रूप से अप्रैल में भारत सरकार द्वारा देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लगभग 48,000 करोड़ रुपये की कुल प्रोत्साहन राशि वाली तीन योजनाओं को अधिसूचित करने के बाद इस बदलाव को गति मिली है.
जुलाई में ताइवानी निर्माण कंपनी पेगाट्रॉन ने भी भारत में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जो फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन कॉर्प और कॉम्पल इलेक्ट्रॉनिक्स के बाद देश में संचालित होने वाला एप्पल का चौथा भागीदार बन गया.
हालांकि, चीन से दूर जाना उतना सरल नहीं होगा. जिस तरह का प्रसार दुनिया भर में आपूर्ति श्रृंखलाओं पर है.
चीन पर निर्भरता को रातों रात दूर नहीं किया जा सकता है. राम ने कहा कि मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण, सभी आपूर्ति श्रृंखला के खिलाड़ियों को आकर्षित करने और विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे और नेटवर्क के निर्माण में कई साल लगेंगे.
कोरोना काल के बाद दुनिया में संभवतः ही एकल निर्माण हब होगा. क्षेत्रीय मांगों को पूरा करने के लिए विभिन्न हबों में विनिर्माण के माध्यम से उद्यम अपनी आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन बनाने की कोशिश करेंगे.
(ईटीवी भारत रिपोर्ट)