नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति व्यवस्था के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुये सभी राज्यों को पत्र लिखा है.
केन्द्र के राज्यों की तरफ से जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 1.10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने के लिये सहमत होने के एक दिन बाद यह पत्र लिखा है. इससे पहले, इस सप्ताह सोमवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन पाई थी.
केन्द्र ने तब कहा था कि भविष्य की प्राप्तियों के एवज में राज्यों को खुद बाजार से कर्ज उठाना चाहिये. कुछ राज्य सरकारें केन्द्र के इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं थी.
सीतारमण के पत्र में कहा गया है "हमने अब विशेष व्यवस्था से जुड़ी कुछ पहलुओं पर काम किया है. कई राज्यों से मिले सुझाव के आधार पर, यह निर्णय किया गया है कि केंद्र सरकार शुरू में राशि प्राप्त करेगी और उसके बाद उसे राज्यों को समय समय पर कर्ज के रूप में देगी. इससे समन्वय और कर्ज लेने में आसानी होगी. साथ ही ब्याज दर भी अनुकूल रहेगी."
पत्र में कहा गया है कि इससे अब राज्यों के पास इस साल दी जाने वाली क्षतिपूर्ति को पूरा करने के लिये पर्याप्त राशि होगी. कर्ज, ब्याज का भुगतान भविष्य में मिलने वाले उपकर से किया जायेगा. कुछ राज्य केंद्र के पहले के प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे, जिसमें राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के एवज में कर्ज लेने को कहा गया था.
उन्होंने जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिये केंद्र के स्वयं 1,10,208 करोड़ रुपये कर्ज लेने के बृहस्पतिवार के निर्णय का स्वागत किया. कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुकवार को कहा कि केंद्र ने पहला कदम सही उठाया है और उसे अब राज्यों के साथ भरोसा बनाने के लिये काम करना चाहिए.
चिंदबरम ने ट्विटर पर लिखा है, "वित्त मंत्री ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार 1,10,208 करोड़ रुपये कर्ज लेगी और उसे राज्य सरकारों को देगी. मैं रुख में आये बदलाव का स्वागत करता हूं. जीएसटी क्षतिपूर्ति में अंतर को लेकर स्पष्टता नहीं हैं, वित्त मंत्री के पत्र में चालू वित्त वर्ष के लिये आंकड़ा 1,06,830 करोड़ रुपये बताया गया है."
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चिदंबरम ने कहा, "राज्य सही हैं. पहली राशि और दूसरी राशि कोई अंतर नहीं है. केंद्र को 1,06,830 करोड़ रुपये को लेकर गतिरोध दूर करना चाहिए जैसा कि उसने 1,10,208 करोड़ रुपये के मामले में किया है. पहला सही कदम लेने के बाद, मैं प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से आग्रह करूंगा कि वे दूसरा कदम भी उठायें और केंद्र और राज्यों के बीच भरोसा बनाये."
अर्थव्यवस्था में पहले से चली आ रही नरमी और अब कोविड-19 संकट के चलते माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कम रहा है. इससे राज्यों का बजट गड़बड़ाया है.
राज्यों ने वैट समेत अन्य स्थानीय कर एवं शुल्कों के एवज में जीएसटी को स्वीकार किया था. उन्होंने जुलाई 2017 में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था इस शर्त पर स्वीकार की थी कि राजस्व संग्रह में अगले पांच साल तक किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी.
चार पन्नों के पत्र में सीतारमण ने जीएसटी क्षतपिर्त के मामले में समाधान तलाशने को लेकर राज्यों के रचनात्मक सहयोग की सराहना की है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि महामारी का जो राजस्व पर असर पड़ा है, उसके कारण चालू वित्त वर्ष असामान्य वर्ष है.
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार भी राजस्व संग्रह में कमी और राहत और पुनरूद्धार के लिये जरूरी खर्चों को पूरा करने के कारण बुरी तरह से प्रभावित है."
इन सबके बीच जीएसटी क्षतिपूर्ति का मसला सुलझाया जा रहा है.
(पीटीआई-भाषा)