नई दिल्ली: जोखिम से बचाव समेत विभिन्न मुद्दों पर परामर्श देने वाली कंपनी फिच सॉल्यूशंस ने भारत के राजकोषीय घाटे को लेकर अपने अनुमान को बुधवार को बढ़ा दिया. चालू वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.6 प्रतिशत पर रह सकता है.
सुस्त आर्थिक वृद्धि और कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती से राजस्व संग्रह को होने वाला नुकसान को देखते हुए राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया गया है. पहले इसके जीडीपी के 3.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया था. फिच सॉल्यूशंस ने कहा कि जीएसटी संग्रह और कॉरपोरेट कर संग्रह में कमी आने की वजह से राजस्व संग्रह 2019-20 के बजट अनुमान से कम रह सकता है.
राजकोषीय घाटे को 3.4 से बढ़ाकर किया 3.6
फिच ने कहा, "इसे देखते हुए हम 2019-20 के लिए अपने राजकोषीय घाटे के अनुमान को 3.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.6 प्रतिशत कर रहे हैं."
कॉरपोरेट करों में कटौती और सुस्त आर्थिक वृद्धि है वजह
शोध फर्म ने कहा, "हमारा मानना है कि राजकोषीय खर्च में कटौती नहीं करने की मंशा के बीच सुस्त आर्थिक वृद्धि और सरकार के कॉरपोरेट कर की दर में कटौती से राजस्व संग्रह कम रहेगा. इस वजह से हमने राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया है."
सरकार ने 20 सितंबर को घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया है. इस कदम से 2019-20 के दौरान सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की हानि होने का अनुमान है.
राजस्व वृद्धि में भी कटौती
फिच ने कहा, "हम राजस्व वृद्धि के अपने अनुमान को भी संशोधित करके 13.1 प्रतिशत से 8.3 प्रतिशत कर रहे हैं. यह सरकार के 13.2 प्रतिशत वृद्धि के बजट अनुमान से काफी कम है."
ये भी पढ़ें: दिल्ली: प्याज की कीमतें फिर आसमान पर, आयात को बढ़ावा देगा केंद्र