नई दिल्ली: पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्च, मध्यम और कम वृद्धि दर के आधार पर राज्यों को अलग-अलग श्रेणी में रखा जाएगा. आयोग ने राज्यों के विविध वृद्धि प्रतिरूप को देखते हुए यह निर्णय किया है.
सिंह ने कहा, "वित्त आयोग में आज (बृहस्पतिवार) हमने 2019-20 से 2024-25 की अवधि के लिये अपनी सिफारिशों के लिये विभिन्न राज्यों की वृद्धि दर पर चर्चा की. हमने इस बात पर विचार किया कि कौन से कारक हैं जिससे कुछ राज्य तेजी से वृद्धि कर रहे हैं, क्या इसमें कुछ अनुरूपता है...?"
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उन्होंने कहा कि आयोग ने आंतरिक कामकाज में पाया कि राज्यों को तीन श्रेणी में वर्गीकृत करना उपयुक्त होगा.
सिंह ने कहा, "हमने पाया कि राज्यों को उच्च वृद्धि दर, मध्यम वृद्धि दर और निम्न वृद्धि दर के आधार पर तीन श्रेणी में श्रेणीबद्ध करना उपयुक्त होगा. इसीलिए हम इस बात पर गौर कर रहे हैं कि बदलाव के वे कौन से कौन से कारक हैं, जिसका नतीजा यह है."
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित इंडिया पॉलिसी फोरम, 2020 में उन्होंने कहा कि निम्न प्रतिव्यक्ति आय के साथ राज्यों को संसाधनों का बंटवारा राज्यों के एकरूपता के साक्ष्य नहीं मिले.
सिंह ने कहा, "इसीलिए कौन से कारक हैं, जो बेहतर तरीके से एकरूपता ला सकते हैं ...यह एक वाछंनीय राष्ट्रीय लक्ष्य है."
उन्होंने कहा कि पिछले 30 से 40 साल में वित्त आयोग ने परंपरागत तरीके का उपयोग किया जिसे समानता लाने का फार्मूला कहते हैं.
सिंह ने कहा कि राज्यों में पंजाब में वृद्धि दर स्थिर रहने की प्रवृत्ति रही है, यह बिल्कुल अनोखा है.
उन्होंने कहा, "संभवत: वह कृषि से बाहर निकलने में विफल रहा ...यह दिलचस्प है कि पंजाब की वृद्धि की प्रवृत्ति बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे परंपरागत रूप से गरीब राज्यों से भी नीचे है."
(पीटीआई-भाषा)