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वित्त मंत्रालय ने 2017-18 में संसद की अनुमति बिना 1,157 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए: कैग - 1

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने 2017-18 के दौरान विभिन्न मदों में आवंटित बजट से 1,157 करोड़ रुपये अधिक खर्च किये हैं. इन खर्चों के लिए संसद की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मंगलवार को संसद में पेश रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

सीएजी
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Published : Feb 12, 2019, 11:07 PM IST

केंद्र सरकार के खातों की 'वित्तीय ऑडिट' संबंधी कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के दौरान संसद की पूर्वानुमति के बिना 1,156.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने नई सेवाओं या नये सेवा साधनों के संबध में उपयुक्त तंत्र तैयार नहीं किया, जिसकी वजह से ज्यादा खर्च हुआ. वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला आर्थिक मामलों का विभाग अतिरिक्त खर्च के वास्ते प्रावधान बढ़ाने के लिए विधायी स्वीकृति लेने में नाकाम रहा.

ये भी पढ़ें- भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस ने पेश की नई बाल बीमा योजना

कैग की रिपोर्ट में कहा गया, दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अनुदान सहायता, सब्सिडी और प्रमुख कार्यों के लिए नई सेवा के प्रावधान को बढ़ाने के लिए पहले संसद की अनुमति लेने की जरूरत होती है.

लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अपनी 83वीं रिपोर्ट में 'अनुदान सहायता' और 'सब्सिडी' प्रावधान बढ़ाने के मामलों पर गंभीरता से विचार किया था. पीएसी ने कहा था कि ये गंभीर खामियां संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा दोषपूर्ण बजट अनुमान और वित्तीय नियमों में कमियां की तरफ इशारा करती हैं.

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कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त मंत्रालय की ओर से सभी मंत्रालयों/ विभागों पर वित्तीय अनुशासन लागू करने के लिए एक प्रभावी तंत्र तैयार करना जरूरी है ताकि इस तरह की गंभीर खामियों को फिर से नहीं दोहराया जाए.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएसी की सिफारिशों के बावजूद वित्त मंत्रालय ने उपयुक्त तंत्र नहीं तैयार किया, जिससे 2017-18 में 13 अनुदानों के मामले में संसद की मंजूरी के बिना कुल 1,156.80 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए.

(भाषा)

केंद्र सरकार के खातों की 'वित्तीय ऑडिट' संबंधी कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के दौरान संसद की पूर्वानुमति के बिना 1,156.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने नई सेवाओं या नये सेवा साधनों के संबध में उपयुक्त तंत्र तैयार नहीं किया, जिसकी वजह से ज्यादा खर्च हुआ. वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला आर्थिक मामलों का विभाग अतिरिक्त खर्च के वास्ते प्रावधान बढ़ाने के लिए विधायी स्वीकृति लेने में नाकाम रहा.

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कैग की रिपोर्ट में कहा गया, दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अनुदान सहायता, सब्सिडी और प्रमुख कार्यों के लिए नई सेवा के प्रावधान को बढ़ाने के लिए पहले संसद की अनुमति लेने की जरूरत होती है.

लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अपनी 83वीं रिपोर्ट में 'अनुदान सहायता' और 'सब्सिडी' प्रावधान बढ़ाने के मामलों पर गंभीरता से विचार किया था. पीएसी ने कहा था कि ये गंभीर खामियां संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा दोषपूर्ण बजट अनुमान और वित्तीय नियमों में कमियां की तरफ इशारा करती हैं.

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कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त मंत्रालय की ओर से सभी मंत्रालयों/ विभागों पर वित्तीय अनुशासन लागू करने के लिए एक प्रभावी तंत्र तैयार करना जरूरी है ताकि इस तरह की गंभीर खामियों को फिर से नहीं दोहराया जाए.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएसी की सिफारिशों के बावजूद वित्त मंत्रालय ने उपयुक्त तंत्र नहीं तैयार किया, जिससे 2017-18 में 13 अनुदानों के मामले में संसद की मंजूरी के बिना कुल 1,156.80 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए.

(भाषा)

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नयी दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने 2017-18 के दौरान विभिन्न मदों में आवंटित बजट से 1,157 करोड़ रुपये अधिक खर्च किये हैं. इन खर्चों के लिए संसद की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मंगलवार को संसद में पेश रिपोर्ट में यह बात कही गई है.



केंद्र सरकार के खातों की 'वित्तीय ऑडिट' संबंधी कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के दौरान संसद की पूर्वानुमति के बिना 1,156.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए.



रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने नई सेवाओं या नये सेवा साधनों के संबध में उपयुक्त तंत्र तैयार नहीं किया, जिसकी वजह से ज्यादा खर्च हुआ. वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला आर्थिक मामलों का विभाग अतिरिक्त खर्च के वास्ते प्रावधान बढ़ाने के लिए विधायी स्वीकृति लेने में नाकाम रहा.



कैग की रिपोर्ट में कहा गया, दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अनुदान सहायता, सब्सिडी और प्रमुख कार्यों के लिए नई सेवा के प्रावधान को बढ़ाने के लिए पहले संसद की अनुमति लेने की जरूरत होती है.



लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अपनी 83वीं रिपोर्ट में 'अनुदान सहायता' और 'सब्सिडी' प्रावधान बढ़ाने के मामलों पर गंभीरता से विचार किया था. पीएसी ने कहा था कि ये गंभीर खामियां संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा दोषपूर्ण बजट अनुमान और वित्तीय नियमों में कमियां की तरफ इशारा करती हैं.



कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त मंत्रालय की ओर से सभी मंत्रालयों/ विभागों पर वित्तीय अनुशासन लागू करने के लिए एक प्रभावी तंत्र तैयार करना जरूरी है ताकि इस तरह की गंभीर खामियों को फिर से नहीं दोहराया जाए.



रिपोर्ट के मुताबिक, पीएसी की सिफारिशों के बावजूद वित्त मंत्रालय ने उपयुक्त तंत्र नहीं तैयार किया, जिससे 2017-18 में 13 अनुदानों के मामले में संसद की मंजूरी के बिना कुल 1,156.80 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए.

(भाषा)


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