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वित्त विधेयक लोकसभा में पास, पेट्रोल और डीजल पर सेस घटाने के मांग खारिज

वित्त मंत्री के जवाब के बाद दो दर्जन से अधिक आधिकारिक संशोधन को मंजूरी देते हुये लोकसभा ने वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसके साथ ही निचले सदन में आम बजट पारित होने की प्रक्रिया पूरी हो गई.

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Published : Jul 18, 2019, 11:09 PM IST

Updated : Jul 19, 2019, 11:41 AM IST

वित्त विधेयक लोकसभा में पारित, पेट्रोल, डीजल पर बढ़ा उपकर वापस लेने की विपक्ष की मांग खारिज

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि उनके बजट प्रस्तावों का मकसद लोगों के रहन सहन को सरल बनाना और उनकी परेशानियों को कम करना है. हालांकि, वित्त मंत्री ने पेट्रोल, डीजल पर लगाये गये उपकर और एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर दो प्रतिशत टीडीएस काटे जाने के प्रस्ताव को वापस लेने की विपक्ष की मांग को स्वीकार नहीं किया.

वर्ष 2019- 20 के आम बजट से जुड़े वित्त विधेयक (दो) 2019 पर लोकसभा में हुई चर्चा का उत्तर देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में किये गये विभिन्न प्रसतावों का मकसद अर्थव्यवस्था में नकद लेनदेन को कम करना और न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम सुशासन को सुनिश्चित करना है.

वित्त मंत्री के जवाब के बाद दो दर्जन से अधिक आधिकारिक संशोधन को मंजूरी देते हुये लोकसभा ने वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसके साथ ही निचले सदन में आम बजट पारित होने की प्रक्रिया पूरी हो गई.

ये भी पढ़ें: कृषि पर गठित मुख्यमंत्रियों की समिति अनुदान राशि का आवंटन सुधारों के साथ जोड़ने के पक्ष में

वित्त विधेयक पर तीन घंटे से अधिक चली चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, "सरकार की मंशा न्यूनतम सरकार अधिकतम प्रशासन को सुनिश्चित करना है. लोगों के जीवन में सुगमता लाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता है. हम लोगों की परेशानियों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रहन सहन में सरलता हर मामले में हो जैसा कि हमने कराधान के मामले में किया है."

वित्त मंत्री ने हालांकि विपक्ष की मांगों को स्वीकार नहीं किया. विपक्ष ने सालभर में बैंक खातों से एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर दो प्रतिशत की दर से टीडीएस काटे जाने, पेट्रोल, डीजल पर दो-दो रुपये अतिरिक्त शुल्क-उपकर लगाने और न्यूजप्रिंट पर 10 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क लगाने के बजट प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की थी.

सीमारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि दो करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वालों की कर देनदारी बढ़ाये जाने के प्रस्ताव का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर असर नहीं पड़ेगा बशर्ते कि वह अपने को एक कंपनी के तौर पर स्थापित कर लें. बजट में दो से पांच करोड़ रुपये की आय कमाने वाले व्यक्तियों पर अधिभार को 15 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक कमाने वालों पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

अधिभार बढ़ाये जाने से इन आय वर्गों में प्रभावी कर की दर 39 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक वालों के लिये 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई. सीतारमण ने कहा कि एफपीआई का इसमें मुद्दा है. इस मामले में ऐसे एफपीआई पर असर होगा जो कि ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत हैं.

"एफपीआई के लिये एक विकल्प है वह कंपनी के रूप में पंजीकरण करा लें. आप जब कंपनी के तौर पर पंजीकरण करा लेंगे तो इस कर से समस्या नहीं होगी जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं." एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर टीडीएस काटे जाने के मामले में वित्त मंत्री ने कहा कि इस कर को करदाता की सकल कर देनदारी में समायोजित किया जायेगा. इस प्रकार यह अतिरिक्त बोझ नहीं होगा.

"यह आपकी कुल कर देनदारी से अलग नहीं होगा. यह आपकी कुल कर देनदारी का ही हिस्सा होगा." वित्त मंत्री ने कहा कि कर कानूनों के सरलीकरण के लिए नयी कर संहिता को अंतिम रूप देने के मकसद से एक कार्यबल काम कर रहा है. इसकी रिपोर्ट 31 जुलाई तक आयेगी.

उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक में गैर कराधान प्रावधानों के तहत सात अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यवस्था को सरल किया जा सके, मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ बनाया जा सके एवं विनिर्माण क्षेत्रों को मजबूती प्रदान की जा सके.

सीतारमण ने कहा कि सेबी कानून में संशोधन सहित वित्तीय बाजार से जुड़े कई कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई अधिनियम में संशोधन भी किया गया है जिसका मकसद भारतीय रिजर्ब बैंक की नियामक शक्ति को मजबूती प्रदान करना है.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि उनके बजट प्रस्तावों का मकसद लोगों के रहन सहन को सरल बनाना और उनकी परेशानियों को कम करना है. हालांकि, वित्त मंत्री ने पेट्रोल, डीजल पर लगाये गये उपकर और एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर दो प्रतिशत टीडीएस काटे जाने के प्रस्ताव को वापस लेने की विपक्ष की मांग को स्वीकार नहीं किया.

वर्ष 2019- 20 के आम बजट से जुड़े वित्त विधेयक (दो) 2019 पर लोकसभा में हुई चर्चा का उत्तर देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में किये गये विभिन्न प्रसतावों का मकसद अर्थव्यवस्था में नकद लेनदेन को कम करना और न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम सुशासन को सुनिश्चित करना है.

वित्त मंत्री के जवाब के बाद दो दर्जन से अधिक आधिकारिक संशोधन को मंजूरी देते हुये लोकसभा ने वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसके साथ ही निचले सदन में आम बजट पारित होने की प्रक्रिया पूरी हो गई.

ये भी पढ़ें: कृषि पर गठित मुख्यमंत्रियों की समिति अनुदान राशि का आवंटन सुधारों के साथ जोड़ने के पक्ष में

वित्त विधेयक पर तीन घंटे से अधिक चली चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, "सरकार की मंशा न्यूनतम सरकार अधिकतम प्रशासन को सुनिश्चित करना है. लोगों के जीवन में सुगमता लाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता है. हम लोगों की परेशानियों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रहन सहन में सरलता हर मामले में हो जैसा कि हमने कराधान के मामले में किया है."

वित्त मंत्री ने हालांकि विपक्ष की मांगों को स्वीकार नहीं किया. विपक्ष ने सालभर में बैंक खातों से एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर दो प्रतिशत की दर से टीडीएस काटे जाने, पेट्रोल, डीजल पर दो-दो रुपये अतिरिक्त शुल्क-उपकर लगाने और न्यूजप्रिंट पर 10 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क लगाने के बजट प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की थी.

सीमारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि दो करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वालों की कर देनदारी बढ़ाये जाने के प्रस्ताव का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर असर नहीं पड़ेगा बशर्ते कि वह अपने को एक कंपनी के तौर पर स्थापित कर लें. बजट में दो से पांच करोड़ रुपये की आय कमाने वाले व्यक्तियों पर अधिभार को 15 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक कमाने वालों पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

अधिभार बढ़ाये जाने से इन आय वर्गों में प्रभावी कर की दर 39 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक वालों के लिये 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई. सीतारमण ने कहा कि एफपीआई का इसमें मुद्दा है. इस मामले में ऐसे एफपीआई पर असर होगा जो कि ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत हैं.

"एफपीआई के लिये एक विकल्प है वह कंपनी के रूप में पंजीकरण करा लें. आप जब कंपनी के तौर पर पंजीकरण करा लेंगे तो इस कर से समस्या नहीं होगी जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं." एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर टीडीएस काटे जाने के मामले में वित्त मंत्री ने कहा कि इस कर को करदाता की सकल कर देनदारी में समायोजित किया जायेगा. इस प्रकार यह अतिरिक्त बोझ नहीं होगा.

"यह आपकी कुल कर देनदारी से अलग नहीं होगा. यह आपकी कुल कर देनदारी का ही हिस्सा होगा." वित्त मंत्री ने कहा कि कर कानूनों के सरलीकरण के लिए नयी कर संहिता को अंतिम रूप देने के मकसद से एक कार्यबल काम कर रहा है. इसकी रिपोर्ट 31 जुलाई तक आयेगी.

उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक में गैर कराधान प्रावधानों के तहत सात अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यवस्था को सरल किया जा सके, मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ बनाया जा सके एवं विनिर्माण क्षेत्रों को मजबूती प्रदान की जा सके.

सीतारमण ने कहा कि सेबी कानून में संशोधन सहित वित्तीय बाजार से जुड़े कई कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई अधिनियम में संशोधन भी किया गया है जिसका मकसद भारतीय रिजर्ब बैंक की नियामक शक्ति को मजबूती प्रदान करना है.

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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि उनके बजट प्रस्तावों का मकसद लोगों के रहन सहन को सरल बनाना और उनकी परेशानियों को कम करना है. हालांकि, वित्त मंत्री ने पेट्रोल, डीजल पर लगाये गये उपकर और एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर दो प्रतिशत टीडीएस काटे जाने के प्रस्ताव को वापस लेने की विपक्ष की मांग को स्वीकार नहीं किया.

वर्ष 2019- 20 के आम बजट से जुड़े वित्त विधेयक (दो) 2019 पर लोकसभा में हुई चर्चा का उत्तर देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में किये गये विभिन्न प्रसतावों का मकसद अर्थव्यवस्था में नकद लेनदेन को कम करना और न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम सुशासन को सुनिश्चित करना है.

वित्त मंत्री के जवाब के बाद दो दर्जन से अधिक आधिकारिक संशोधन को मंजूरी देते हुये लोकसभा ने वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसके साथ ही निचले सदन में आम बजट पारित होने की प्रक्रिया पूरी हो गई.

वित्त विधेयक पर तीन घंटे से अधिक चली चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, "सरकार की मंशा न्यूनतम सरकार अधिकतम प्रशासन को सुनिश्चित करना है. लोगों के जीवन में सुगमता लाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता है. हम लोगों की परेशानियों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रहन सहन में सरलता हर मामले में हो जैसा कि हमने कराधान के मामले में किया है."

वित्त मंत्री ने हालांकि विपक्ष की मांगों को स्वीकार नहीं किया. विपक्ष ने सालभर में बैंक खातों से एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर दो प्रतिशत की दर से टीडीएस काटे जाने, पेट्रोल, डीजल पर दो-दो रुपये अतिरिक्त शुल्क-उपकर लगाने और न्यूजप्रिंट पर 10 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क लगाने के बजट प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की थी.

सीमारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि दो करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वालों की कर देनदारी बढ़ाये जाने के प्रस्ताव का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर असर नहीं पड़ेगा बशर्ते कि वह अपने को एक कंपनी के तौर पर स्थापित कर लें. बजट में दो से पांच करोड़ रुपये की आय कमाने वाले व्यक्तियों पर अधिभार को 15 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक कमाने वालों पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

अधिभार बढ़ाये जाने से इन आय वर्गों में प्रभावी कर की दर 39 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक वालों के लिये 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई. सीतारमण ने कहा कि एफपीआई का इसमें मुद्दा है. इस मामले में ऐसे एफपीआई पर असर होगा जो कि ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत हैं.

"एफपीआई के लिये एक विकल्प है वह कंपनी के रूप में पंजीकरण करा लें. आप जब कंपनी के तौर पर पंजीकरण करा लेंगे तो इस कर से समस्या नहीं होगी जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं." एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर टीडीएस काटे जाने के मामले में वित्त मंत्री ने कहा कि इस कर को करदाता की सकल कर देनदारी में समायोजित किया जायेगा. इस प्रकार यह अतिरिक्त बोझ नहीं होगा.

"यह आपकी कुल कर देनदारी से अलग नहीं होगा. यह आपकी कुल कर देनदारी का ही हिस्सा होगा." वित्त मंत्री ने कहा कि कर कानूनों के सरलीकरण के लिए नयी कर संहिता को अंतिम रूप देने के मकसद से एक कार्यबल काम कर रहा है. इसकी रिपोर्ट 31 जुलाई तक आयेगी.

उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक में गैर कराधान प्रावधानों के तहत सात अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यवस्था को सरल किया जा सके, मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ बनाया जा सके एवं विनिर्माण क्षेत्रों को मजबूती प्रदान की जा सके.

सीतारमण ने कहा कि सेबी कानून में संशोधन सहित वित्तीय बाजार से जुड़े कई कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई अधिनियम में संशोधन भी किया गया है जिसका मकसद भारतीय रिजर्ब बैंक की नियामक शक्ति को मजबूती प्रदान करना है.

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Last Updated : Jul 19, 2019, 11:41 AM IST
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