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फिक्की ने की बजट में अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय सहायता की मांग - जीडीपी

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2018-19 की दिसंबर तिमाही में गिरकर 6.60 प्रतिशत पर आ गयी. यह पांच तिमाहियों की सबसे धीमी दर है.

फिक्की ने की बजट में अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय सहायता की मांग
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Published : May 27, 2019, 9:57 PM IST

नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होने से ठीक पहले अगले बजट में अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय सहायता देने की सोमवार को वकालत की. फिक्की ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों तथा कमजोर पड़ती घरेलू मांग को देखते हुए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये अगले बजट में सरकार को वित्तीय सहायता की व्यवस्था करनी चाहिये.

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2018-19 की दिसंबर तिमाही में गिरकर 6.60 प्रतिशत पर आ गयी. यह पांच तिमाहियों की सबसे धीमी दर है.

ये भी पढ़ें: सरकार को गैर-जीएसटी राजस्व 2022-23 में भारी वृद्धि का अनुमान

फिक्की ने बजट से पहले वित्त मंत्रालय को दिये ज्ञापन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही है लेकिन अभी कुछ समय से कमजोर वैश्विक आर्थिक माहौल तथा नरम पड़ती घरेलू मांग के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है.

उसने कहा, "यह गंभीर चिंता का विषय है और यदि इसपर जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो सुस्ती का दौर लंबा खिंच सकता है."

सरकार ने 2019-20 का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया. पूर्ण बजट जुलाई में पेश किये जाने की संभावना है. वृद्धि को गति देने के लिये फिक्की ने कंपनी कर में कमी तथा न्यूनतम वैकल्पिक कर समाप्त करने की मांग की है.

उद्योग मंडल ने कहा कि केंद्रीय बजट में व्यापार धारणा तथा निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर होना चाहिए. सभी कंपनियों के लिये कारपोरेट कर को कम कर 25 प्रतिशत पर लाना चाहिए जैसा कि पूर्व में प्रस्ताव किया गया था.

नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होने से ठीक पहले अगले बजट में अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय सहायता देने की सोमवार को वकालत की. फिक्की ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों तथा कमजोर पड़ती घरेलू मांग को देखते हुए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये अगले बजट में सरकार को वित्तीय सहायता की व्यवस्था करनी चाहिये.

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2018-19 की दिसंबर तिमाही में गिरकर 6.60 प्रतिशत पर आ गयी. यह पांच तिमाहियों की सबसे धीमी दर है.

ये भी पढ़ें: सरकार को गैर-जीएसटी राजस्व 2022-23 में भारी वृद्धि का अनुमान

फिक्की ने बजट से पहले वित्त मंत्रालय को दिये ज्ञापन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही है लेकिन अभी कुछ समय से कमजोर वैश्विक आर्थिक माहौल तथा नरम पड़ती घरेलू मांग के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है.

उसने कहा, "यह गंभीर चिंता का विषय है और यदि इसपर जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो सुस्ती का दौर लंबा खिंच सकता है."

सरकार ने 2019-20 का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया. पूर्ण बजट जुलाई में पेश किये जाने की संभावना है. वृद्धि को गति देने के लिये फिक्की ने कंपनी कर में कमी तथा न्यूनतम वैकल्पिक कर समाप्त करने की मांग की है.

उद्योग मंडल ने कहा कि केंद्रीय बजट में व्यापार धारणा तथा निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर होना चाहिए. सभी कंपनियों के लिये कारपोरेट कर को कम कर 25 प्रतिशत पर लाना चाहिए जैसा कि पूर्व में प्रस्ताव किया गया था.

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नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होने से ठीक पहले अगले बजट में अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय सहायता देने की सोमवार को वकालत की. फिक्की ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों तथा कमजोर पड़ती घरेलू मांग को देखते हुए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये अगले बजट में सरकार को वित्तीय सहायता की व्यवस्था करनी चाहिये.

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2018-19 की दिसंबर तिमाही में गिरकर 6.60 प्रतिशत पर आ गयी. यह पांच तिमाहियों की सबसे धीमी दर है.

फिक्की ने बजट से पहले वित्त मंत्रालय को दिये ज्ञापन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही है लेकिन अभी कुछ समय से कमजोर वैश्विक आर्थिक माहौल तथा नरम पड़ती घरेलू मांग के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है.

उसने कहा, "यह गंभीर चिंता का विषय है और यदि इसपर जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो सुस्ती का दौर लंबा खिंच सकता है."

सरकार ने 2019-20 का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया. पूर्ण बजट जुलाई में पेश किये जाने की संभावना है. वृद्धि को गति देने के लिये फिक्की ने कंपनी कर में कमी तथा न्यूनतम वैकल्पिक कर समाप्त करने की मांग की है.

उद्योग मंडल ने कहा कि केंद्रीय बजट में व्यापार धारणा तथा निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर होना चाहिए. सभी कंपनियों के लिये कारपोरेट कर को कम कर 25 प्रतिशत पर लाना चाहिए जैसा कि पूर्व में प्रस्ताव किया गया था.

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