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नई सरकार के लिए रोजगार सबसे बड़ी चुनौती: अर्थशास्त्री

पेश हैं इस बारे में देश के सबसे पुराने उद्योग मंडलों में से एक पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब.

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Published : May 27, 2019, 2:40 PM IST

नई सरकार के लिए रोजगार सबसे बड़ी चुनौती: अर्थशास्त्री

नयी दिल्ली: आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को अप्रत्याशित सफलता मिली है. मोदी की अगुवाई में राजग एक बार फिर केन्द्र में सत्ता संभालने जा रहा है. केन्द्र की नई सरकार के समक्ष क्या होगी सबसे बड़ी चुनौती, उसका समाधान क्या हो सकता है ? पेश हैं इस बारे में देश के सबसे पुराने उद्योग मंडलों में से एक पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब :

सवाल : आम चुनाव हो चुके हैं. नई सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी ?
जवाब :
केन्द्र में सत्ता संभालने वाली नई सरकार के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती युवा आबादी को उपयुक्त रोजगार उपलब्ध कराना है. देश की आबादी में आज युवाओं की संख्या बहुत बड़ी है. इस बढ़ती युवा आबादी को बेहतर रोजगार के अवसर दिलाना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिये.

सवाल : देश में वर्तमान में रोजगार की स्थिति क्या है? कैसे बढ़ सकते हैं रोजगार?
जवाब :
रोजगार तेजी से बढ़ रहे हैं अथवा कम बढ़ रहे हैं इसके बारे में फिलहाल कोई पुख्ता आंकड़े हमारे सामने नहीं हैं. लेकिन इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जिस तेजी से रोजगार चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं. पिछले कुछ सालों से देश लगातार 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर रहा है. आर्थिक वृद्धि के साथ साथ रोजगार के अवसर भी बढ़े होंगे. लेकिन इस गति को और तेज करने की आवश्यकता है. आने वाले सालों में आर्थिक वृद्धि की गति को बढ़ाकर 9 से 10 प्रतिशत पर ले जाने की आवश्यकता है तभी रोजगार के अवसरों में भी तेजी आयेगी.

ये भी पढ़ें- जेटली से मिले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

सवाल : आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये क्या कदम उठाये जाने चाहिये?
जवाब :
इस दिशा में सबसे पहला कदम यह हो सकता है कि हम अपने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहन दें. देश में कुल मिलाकर छह करोड़ से अधिक एमएसएमई विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं. इनमें एक- दो और लोगों को भी रोजगार मिलेगा तो रोजगार के कई अवसर पैदा हो जायेंगे. इन उद्योगों को कारोबार बढ़ाने के लिये अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने की जरूरत है. श्रम कानूनों की जटिलता दूर होनी चाहिये. दूसरा, इन उद्योगों के लिये त्वरित और सस्ती वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये. सरकार को चाहिये कि छोटे उद्योगों को भी मुद्रा योजना के साथ जोड़ दिया जाये ताकि उन्हें भी बिना गारंटी के वित्त सुविधा उपलब्ध हो सके.

सवाल : और कौन से क्षेत्र हैं जहां रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं?
जवाब :
पर्यटन क्षेत्र में तुरंत सुधार लाकर रोजगार के अवसर बढ़ाये जा सकते हैं. पर्यटन ऐसा क्षेत्र है जहां देश के भीतर ही निर्यात कारोबार किया जा सकता है. हम पर्यटन स्थलों को बेहतर बनायें. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करें. आवागमन की सुविधायें बेहतर हों तो पर्यटन क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने में अच्छा योगदान कर सकता है. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और निवेश भी बढ़ेगा.

सवाल : आर्थिक वृद्धि तभी तेज होगी जब मांग बढ़ेगी. मांग कैसे बढ़ेगी?
जवाब :
बहुत अच्छा सवाल है. भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश है. मूलभूत मांग तो यहां है ही, लेकिन लोगों की आय बढ़ाकर इस मांग को और बढ़ाया जा सकता है. देश की 50 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र में कार्यरत है लेकिन इसका जीडीपी में योगदान मात्र 15 प्रतिशत ही है. इस योगदान को बढ़ाना होगा. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने मात्र से ही पूरा लाभ नहीं मिलेगा. उत्पादकता को भी बढ़ाना होगा. प्रतिस्पर्धा बेहतर करनी होगी. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मजबूत बनाने के साथ निर्यात की लागत कम करनी होगी. विश्व बाजार में मिलने वाले अवसरों का लाभ हम तभी उठा सकेंगे जब हमारे उत्पाद दूसरों के मुकाबले सस्ते होंगे और उनकी गुणवत्ता बेहतर होगी. हम कई उत्पादों का निर्यात केवल इसलिये नहीं कर पा रहे हैं कि हमारे दाम दूसरे देशों के मुकाबले ऊंचे हैं. इसलिये लागत कम करने की जरूरत है.

नयी दिल्ली: आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को अप्रत्याशित सफलता मिली है. मोदी की अगुवाई में राजग एक बार फिर केन्द्र में सत्ता संभालने जा रहा है. केन्द्र की नई सरकार के समक्ष क्या होगी सबसे बड़ी चुनौती, उसका समाधान क्या हो सकता है ? पेश हैं इस बारे में देश के सबसे पुराने उद्योग मंडलों में से एक पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब :

सवाल : आम चुनाव हो चुके हैं. नई सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी ?
जवाब :
केन्द्र में सत्ता संभालने वाली नई सरकार के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती युवा आबादी को उपयुक्त रोजगार उपलब्ध कराना है. देश की आबादी में आज युवाओं की संख्या बहुत बड़ी है. इस बढ़ती युवा आबादी को बेहतर रोजगार के अवसर दिलाना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिये.

सवाल : देश में वर्तमान में रोजगार की स्थिति क्या है? कैसे बढ़ सकते हैं रोजगार?
जवाब :
रोजगार तेजी से बढ़ रहे हैं अथवा कम बढ़ रहे हैं इसके बारे में फिलहाल कोई पुख्ता आंकड़े हमारे सामने नहीं हैं. लेकिन इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जिस तेजी से रोजगार चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं. पिछले कुछ सालों से देश लगातार 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर रहा है. आर्थिक वृद्धि के साथ साथ रोजगार के अवसर भी बढ़े होंगे. लेकिन इस गति को और तेज करने की आवश्यकता है. आने वाले सालों में आर्थिक वृद्धि की गति को बढ़ाकर 9 से 10 प्रतिशत पर ले जाने की आवश्यकता है तभी रोजगार के अवसरों में भी तेजी आयेगी.

ये भी पढ़ें- जेटली से मिले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

सवाल : आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये क्या कदम उठाये जाने चाहिये?
जवाब :
इस दिशा में सबसे पहला कदम यह हो सकता है कि हम अपने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहन दें. देश में कुल मिलाकर छह करोड़ से अधिक एमएसएमई विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं. इनमें एक- दो और लोगों को भी रोजगार मिलेगा तो रोजगार के कई अवसर पैदा हो जायेंगे. इन उद्योगों को कारोबार बढ़ाने के लिये अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने की जरूरत है. श्रम कानूनों की जटिलता दूर होनी चाहिये. दूसरा, इन उद्योगों के लिये त्वरित और सस्ती वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये. सरकार को चाहिये कि छोटे उद्योगों को भी मुद्रा योजना के साथ जोड़ दिया जाये ताकि उन्हें भी बिना गारंटी के वित्त सुविधा उपलब्ध हो सके.

सवाल : और कौन से क्षेत्र हैं जहां रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं?
जवाब :
पर्यटन क्षेत्र में तुरंत सुधार लाकर रोजगार के अवसर बढ़ाये जा सकते हैं. पर्यटन ऐसा क्षेत्र है जहां देश के भीतर ही निर्यात कारोबार किया जा सकता है. हम पर्यटन स्थलों को बेहतर बनायें. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करें. आवागमन की सुविधायें बेहतर हों तो पर्यटन क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने में अच्छा योगदान कर सकता है. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और निवेश भी बढ़ेगा.

सवाल : आर्थिक वृद्धि तभी तेज होगी जब मांग बढ़ेगी. मांग कैसे बढ़ेगी?
जवाब :
बहुत अच्छा सवाल है. भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश है. मूलभूत मांग तो यहां है ही, लेकिन लोगों की आय बढ़ाकर इस मांग को और बढ़ाया जा सकता है. देश की 50 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र में कार्यरत है लेकिन इसका जीडीपी में योगदान मात्र 15 प्रतिशत ही है. इस योगदान को बढ़ाना होगा. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने मात्र से ही पूरा लाभ नहीं मिलेगा. उत्पादकता को भी बढ़ाना होगा. प्रतिस्पर्धा बेहतर करनी होगी. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मजबूत बनाने के साथ निर्यात की लागत कम करनी होगी. विश्व बाजार में मिलने वाले अवसरों का लाभ हम तभी उठा सकेंगे जब हमारे उत्पाद दूसरों के मुकाबले सस्ते होंगे और उनकी गुणवत्ता बेहतर होगी. हम कई उत्पादों का निर्यात केवल इसलिये नहीं कर पा रहे हैं कि हमारे दाम दूसरे देशों के मुकाबले ऊंचे हैं. इसलिये लागत कम करने की जरूरत है.

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नई सरकार के लिए रोजगार बड़ी चुनौती: अर्थशास्त्री 

नयी दिल्ली: आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को अप्रत्याशित सफलता मिली है. मोदी की अगुवाई में राजग एक बार फिर केन्द्र में सत्ता संभालने जा रहा है. केन्द्र की नई सरकार के समक्ष क्या होगी सबसे बड़ी चुनौती, उसका समाधान क्या हो सकता है ? पेश हैं इस बारे में देश के सबसे पुराने उद्योग मंडलों में से एक पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब : 

सवाल : आम चुनाव हो चुके हैं. नई सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी ?

जवाब : केन्द्र में सत्ता संभालने वाली नई सरकार के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती युवा आबादी को उपयुक्त रोजगार उपलब्ध कराना है. देश की आबादी में आज युवाओं की संख्या बहुत बड़ी है. इस बढ़ती युवा आबादी को बेहतर रोजगार के अवसर दिलाना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिये. 

सवाल : देश में वर्तमान में रोजगार की स्थिति क्या है?  कैसे बढ़ सकते हैं रोजगार?

जवाब : रोजगार तेजी से बढ़ रहे हैं अथवा कम बढ़ रहे हैं इसके बारे में फिलहाल कोई पुख्ता आंकड़े हमारे सामने नहीं हैं. लेकिन इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जिस तेजी से रोजगार चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं. पिछले कुछ सालों से देश लगातार 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर रहा है. आर्थिक वृद्धि के साथ साथ रोजगार के अवसर भी बढ़े होंगे. लेकिन इस गति को और तेज करने की आवश्यकता है. आने वाले सालों में आर्थिक वृद्धि की गति को बढ़ाकर 9 से 10 प्रतिशत पर ले जाने की आवश्यकता है तभी रोजगार के अवसरों में भी तेजी आयेगी. 

सवाल : आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये क्या कदम उठाये जाने चाहिये?

जवाब : इस दिशा में सबसे पहला कदम यह हो सकता है कि हम अपने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहन दें. देश में कुल मिलाकर छह करोड़ से अधिक एमएसएमई विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं. इनमें एक- दो और लोगों को भी रोजगार मिलेगा तो रोजगार के कई अवसर पैदा हो जायेंगे. इन उद्योगों को कारोबार बढ़ाने के लिये अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने की जरूरत है. श्रम कानूनों की जटिलता दूर होनी चाहिये. दूसरा, इन उद्योगों के लिये त्वरित और सस्ती वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये. सरकार को चाहिये कि छोटे उद्योगों को भी मुद्रा योजना के साथ जोड़ दिया जाये ताकि उन्हें भी बिना गारंटी के वित्त सुविधा उपलब्ध हो सके.

सवाल : और कौन से क्षेत्र हैं जहां रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं?

जवाब : पर्यटन क्षेत्र में तुरंत सुधार लाकर रोजगार के अवसर बढ़ाये जा सकते हैं. पर्यटन ऐसा क्षेत्र है जहां देश के भीतर ही निर्यात कारोबार किया जा सकता है. हम पर्यटन स्थलों को बेहतर बनायें. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करें. आवागमन की सुविधायें बेहतर हों तो पर्यटन क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने में अच्छा योगदान कर सकता है. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और निवेश भी बढ़ेगा. 

सवाल : आर्थिक वृद्धि तभी तेज होगी जब मांग बढ़ेगी. मांग कैसे बढ़ेगी?

जवाब : बहुत अच्छा सवाल है. भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश है. मूलभूत मांग तो यहां है ही, लेकिन लोगों की आय बढ़ाकर इस मांग को और बढ़ाया जा सकता है. देश की 50 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र में कार्यरत है लेकिन इसका जीडीपी में योगदान मात्र 15 प्रतिशत ही है. इस योगदान को बढ़ाना होगा. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने मात्र से ही पूरा लाभ नहीं मिलेगा. उत्पादकता को भी बढ़ाना होगा. प्रतिस्पर्धा बेहतर करनी होगी. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मजबूत बनाने के साथ निर्यात की लागत कम करनी होगी. विश्व बाजार में मिलने वाले अवसरों का लाभ हम तभी उठा सकेंगे जब हमारे उत्पाद दूसरों के मुकाबले सस्ते होंगे और उनकी गुणवत्ता बेहतर होगी. हम कई उत्पादों का निर्यात केवल इसलिये नहीं कर पा रहे हैं कि हमारे दाम दूसरे देशों के मुकाबले ऊंचे हैं. इसलिये लागत कम करने की जरूरत है. 

 


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