चेन्नई: आर्थिक और राजनीतिक विश्लेषक एस गुरुमूर्ति ने कहा कि देश में मंदी जैसी कोई चीज नहीं है और आज जो कुछ भी लोग देख रहे हैं. वह बैंकिंग क्षेत्र की समस्याओं के कारण है. गुरुमूर्ति शनिवार को ऑल इंडिया चिट फंड एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक में बोल रहे थे.
गुरुमूर्ति ने कहा कि पहले पूंजीपति और कम्युनिस्ट दोनों भारत को एक ही तरह से देखते थे. वे सोचते थे कि भारत अपनी पारंपरिक संस्कृतियों और मूल्यों को बदले बिना विकास को प्राप्त नहीं कर सकता है.
गुरुमूर्ति ने जी-20 देशों और विश्व बैंक के बयान के हवाले से कहा कि विकास के लिए एक समान दृष्टिकोण नहीं हो सकता लेकिन पिछली सरकारों ने एकतरफा ही सोच रखा. वहीं, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह दृष्टिकोण बदल गया.
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पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट एस गुरुमूर्ति ने कहा कि नीति आयोग ने भारत-केंद्रित विकास दृष्टिकोण तैयार किया है. उन्होंने समुदायों के भीतर सहयोग और आपसी विश्वास के लिए काम किया और कहा कि यह विकास का एक बेहतर भारतीय मॉडल है.
उन्होंने भारत में चिट फंड के महत्व पर जोर दिया और इन कंपनियों के व्यापार मॉडल का विस्तार करने का सुझाव दिया.
आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक ने कहा कि भविष्य में चिट फंड कंपनियां दूसरी कंपनियों को फंड दे सकती हैं लेकिन परिदृश्य अब पूरी तरह से बदल गया है. अब सरकारी निकायों और भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एनबीएफसी के महत्व को स्वीकार किया है.