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आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा- सरकारी बैंकों का संचालन सरकार से अलग करने की जरूरत

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Published : Aug 19, 2020, 1:29 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 1:57 PM IST

विश्वनाथन ने कहा कि निजीकरण एक बड़ा राजनीतिक निर्णय है यह केवल एक आर्थिक फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी बनाई जानी चाहिये.

आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा- सरकारी बैंकों का संचालन सरकार से अलग करने की जरूरत
आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा- सरकारी बैंकों का संचालन सरकार से अलग करने की जरूरत

मुंबई: रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने मंगलवार को कहा कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों का संचालन सरकार के हाथ से अलग करने की जरूरत है. उन्होंने इसके लिए बैंक राष्ट्रीयकरण कानून को समाप्त करने पर जोर दिया जिसके तहत ही कार्यकारी को संचालन के अधिकार दिये गये हैं.

विश्वनाथन ने कहा कि निजीकरण एक बड़ा राजनीतिक निर्णय है यह केवल एक आर्थिक फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी बनाई जानी चाहिये.

ये भी पढ़ें- जीएसटी भुगतानकर्ता अब चालान स्तर पर कर सकते हैं अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट पात्रता की जांच

उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी का ढांचा जरूरी है.

विश्वनाथन रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर रहते हुये बैंकिंग नियमनों के प्रमुख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे पहली जरूरत है कि बैंकों का शासन- प्रशासन सरकार के हाथों से अलग किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि बैंक राष्ट्रीयकरण कानून के तहत जो सरकार के हाथों में अधिकार हैं उन्हें समाप्त किया जाना चाहिये. बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी का ढांचा बनाया जाना जरूरी है.

विश्वनाथन यहां एसपी जैन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च द्वारा आयोजित संगाष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, "राष्ट्रीयकरण कानून में सरकार को काफी अधिकार मिले हुये हैं, ऐसे में संचालन काफी मुश्किल हो जाता है. यदि हम बैंकों के संचालन के अधिकार सरकार से हटा दें तो आधा काम हो जायेगा."

संस्थान के कार्यकारी हर्ष वर्धन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संसद के कानून के तहत गठित निकाय हैं जबकि निजी क्षेत्र के बैंक कंपनी अधिनियम के तहत आते हैं. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का आदेश उनपर लागू नहीं होता है. उनके परिचालन का कानून राष्ट्रीयकरण कानून है. वह इन बैंकों को कई चीजों से बचाता है.

हर्ष वर्धन ने कहा कि सरकार को यह निर्णय लेना चाहिये कि ये बैंक वाणिज्यिक उद्यम हैं या फिर सरकार के विभाग है. क्योंकि इनके संचालन के मुद्दे वहीं सं जुड़े हैं.

रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी पद्मानाभन ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी का हवाला देते हुये कहा कि रेड्डी ने कहा था कि 50 साल पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण एक राजनीतिक निर्णय के तहत किया गया और अब निजीकरण भी एक राजनीतिक निर्णय ही होना चाहिये.

रिजर्व बैंक ने जब एनपीए को लेकर 12 फरवरी 2018 को और 7 जून 2019 को सर्कुलर जारी किये थे तब विश्वनाथन रिजर्व बैंक में ही थे, उन्होंने केन्द्रीय बैंक के इस कदम को सही बताया. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि इसे रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया था.

विश्वनाथन ने कहा कि एक दिन की देरी होने पर एनपीए घोषित किये जाने के नियम से शीर्ष अदालत का कोई मुद्दा नहीं था लेकिन रिजर्व बैंक ने कानूनी चुनौतियों से बचने के लिये इसे बढ़ाकर 30 दिन कर दिया. कई लोगों ने इस नियम को काफी सख्त बताया था.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने मंगलवार को कहा कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों का संचालन सरकार के हाथ से अलग करने की जरूरत है. उन्होंने इसके लिए बैंक राष्ट्रीयकरण कानून को समाप्त करने पर जोर दिया जिसके तहत ही कार्यकारी को संचालन के अधिकार दिये गये हैं.

विश्वनाथन ने कहा कि निजीकरण एक बड़ा राजनीतिक निर्णय है यह केवल एक आर्थिक फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी बनाई जानी चाहिये.

ये भी पढ़ें- जीएसटी भुगतानकर्ता अब चालान स्तर पर कर सकते हैं अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट पात्रता की जांच

उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी का ढांचा जरूरी है.

विश्वनाथन रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर रहते हुये बैंकिंग नियमनों के प्रमुख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे पहली जरूरत है कि बैंकों का शासन- प्रशासन सरकार के हाथों से अलग किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि बैंक राष्ट्रीयकरण कानून के तहत जो सरकार के हाथों में अधिकार हैं उन्हें समाप्त किया जाना चाहिये. बैंकों के लिये एक होल्डिंग कंपनी का ढांचा बनाया जाना जरूरी है.

विश्वनाथन यहां एसपी जैन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च द्वारा आयोजित संगाष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, "राष्ट्रीयकरण कानून में सरकार को काफी अधिकार मिले हुये हैं, ऐसे में संचालन काफी मुश्किल हो जाता है. यदि हम बैंकों के संचालन के अधिकार सरकार से हटा दें तो आधा काम हो जायेगा."

संस्थान के कार्यकारी हर्ष वर्धन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संसद के कानून के तहत गठित निकाय हैं जबकि निजी क्षेत्र के बैंक कंपनी अधिनियम के तहत आते हैं. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का आदेश उनपर लागू नहीं होता है. उनके परिचालन का कानून राष्ट्रीयकरण कानून है. वह इन बैंकों को कई चीजों से बचाता है.

हर्ष वर्धन ने कहा कि सरकार को यह निर्णय लेना चाहिये कि ये बैंक वाणिज्यिक उद्यम हैं या फिर सरकार के विभाग है. क्योंकि इनके संचालन के मुद्दे वहीं सं जुड़े हैं.

रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी पद्मानाभन ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी का हवाला देते हुये कहा कि रेड्डी ने कहा था कि 50 साल पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण एक राजनीतिक निर्णय के तहत किया गया और अब निजीकरण भी एक राजनीतिक निर्णय ही होना चाहिये.

रिजर्व बैंक ने जब एनपीए को लेकर 12 फरवरी 2018 को और 7 जून 2019 को सर्कुलर जारी किये थे तब विश्वनाथन रिजर्व बैंक में ही थे, उन्होंने केन्द्रीय बैंक के इस कदम को सही बताया. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि इसे रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया था.

विश्वनाथन ने कहा कि एक दिन की देरी होने पर एनपीए घोषित किये जाने के नियम से शीर्ष अदालत का कोई मुद्दा नहीं था लेकिन रिजर्व बैंक ने कानूनी चुनौतियों से बचने के लिये इसे बढ़ाकर 30 दिन कर दिया. कई लोगों ने इस नियम को काफी सख्त बताया था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 19, 2020, 1:57 PM IST

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