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अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का लाभ उठाने के लिए ब्याज दरों में कटौती करे भारत: फिक्की प्रमुख - India should cut interest rates

कारोबारी यात्रा पर चीन आए सोमानी ने कहा कि राजग सरकार को अपने दूसरे कार्यकाल में चीन से बड़े निवेश हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए और चीन के मशीनी विनिर्माताओं को भारत में संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का लाभ उठाने के लिए ब्याज दरों में कटौती करे भारत: फिक्की प्रमुख
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Published : May 25, 2019, 7:20 PM IST

बीजिंग: भारत को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए और कृषि उपज के निर्यात के लिए नीतियों में एकरूपता लानी चाहिए ताकि भारतीय निर्यातक अमेरिका - चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का लाभ उठा सकें. उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने यह बात कही.

कारोबारी यात्रा पर चीन आए सोमानी ने कहा कि राजग सरकार को अपने दूसरे कार्यकाल में चीन से बड़े निवेश हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए और चीन के मशीनी विनिर्माताओं को भारत में संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

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सोमानी ने कहा कि अमेरिका और चीन ने एक - दूसरे के निर्यात पर भारी शुल्क लगा रखा है. यह भारतीय निर्यात के कुछ श्रेणियों के लिए बड़ा अवसर है.

उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध जारी रहता है तो यह कुछ क्षेत्रों में भारतीय निर्यात के लिए अच्छा अवसर है.

सोमानी ने कहा, "यदि आप प्रतिस्पर्धी बनते हैं तो हम चीन को इन क्षेत्रों में पछाड़ सकते हैं लेकिन सरकार को इसमें सहयोग करना होगा क्योंकि उत्पादन की लागत बहुत अधिक है. यह हमारे उत्पादों को प्रतिस्पर्धी नहीं बनने देते हैं."

उन्होंने कहा, "इसके अलावा हमारे यहां ब्याज दर सर्वकालिक उच्च स्तर पर है , जो हमारे उत्पादों को प्रतिस्पर्धी नहीं बनाते हैं. यह एक समस्या है. हमारी मुद्रास्फीति दर नीचे है, करीब 3 प्रतिशत के आस - पास है. ऐसे में बैंकों को 10, 11 प्रतिशत पर कर्ज देने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में एक या डेढ प्रतिशत तक की कमी करने की जरूरत है. सोमानी ने कहा कि सरकार को लगातार नीतियां अपनाकर कृषि निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि चीन में कृषि उपज के लिए भारी संभावनाएं हैं क्योंकि वह शुद्ध आयातक है. अब जब व्यापार युद्ध चल रहा है तो भारत को चीन को सोयाबीन का निर्यात बढ़ाना चाहिए ताकि वह अमेरिकी निर्यात की जगह ले सके.

सोमानी ने कहा, "दुर्भाग्यवश भारतीय कृषि नीति में एकरूपता नहीं है, जब कीमतें ऊपर जाती हैं तो भारत निर्यात पर रोक लगा देता है. हमें नीतियों में एकरूपता लाकर कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक बनना चाहिए. जब कीमतें बढ़े तो सरकार को निर्यात घटाने के बजाए आयात करना चाहिए."

बीजिंग: भारत को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए और कृषि उपज के निर्यात के लिए नीतियों में एकरूपता लानी चाहिए ताकि भारतीय निर्यातक अमेरिका - चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का लाभ उठा सकें. उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने यह बात कही.

कारोबारी यात्रा पर चीन आए सोमानी ने कहा कि राजग सरकार को अपने दूसरे कार्यकाल में चीन से बड़े निवेश हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए और चीन के मशीनी विनिर्माताओं को भारत में संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

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सोमानी ने कहा कि अमेरिका और चीन ने एक - दूसरे के निर्यात पर भारी शुल्क लगा रखा है. यह भारतीय निर्यात के कुछ श्रेणियों के लिए बड़ा अवसर है.

उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध जारी रहता है तो यह कुछ क्षेत्रों में भारतीय निर्यात के लिए अच्छा अवसर है.

सोमानी ने कहा, "यदि आप प्रतिस्पर्धी बनते हैं तो हम चीन को इन क्षेत्रों में पछाड़ सकते हैं लेकिन सरकार को इसमें सहयोग करना होगा क्योंकि उत्पादन की लागत बहुत अधिक है. यह हमारे उत्पादों को प्रतिस्पर्धी नहीं बनने देते हैं."

उन्होंने कहा, "इसके अलावा हमारे यहां ब्याज दर सर्वकालिक उच्च स्तर पर है , जो हमारे उत्पादों को प्रतिस्पर्धी नहीं बनाते हैं. यह एक समस्या है. हमारी मुद्रास्फीति दर नीचे है, करीब 3 प्रतिशत के आस - पास है. ऐसे में बैंकों को 10, 11 प्रतिशत पर कर्ज देने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में एक या डेढ प्रतिशत तक की कमी करने की जरूरत है. सोमानी ने कहा कि सरकार को लगातार नीतियां अपनाकर कृषि निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि चीन में कृषि उपज के लिए भारी संभावनाएं हैं क्योंकि वह शुद्ध आयातक है. अब जब व्यापार युद्ध चल रहा है तो भारत को चीन को सोयाबीन का निर्यात बढ़ाना चाहिए ताकि वह अमेरिकी निर्यात की जगह ले सके.

सोमानी ने कहा, "दुर्भाग्यवश भारतीय कृषि नीति में एकरूपता नहीं है, जब कीमतें ऊपर जाती हैं तो भारत निर्यात पर रोक लगा देता है. हमें नीतियों में एकरूपता लाकर कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक बनना चाहिए. जब कीमतें बढ़े तो सरकार को निर्यात घटाने के बजाए आयात करना चाहिए."

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अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का लाभ उठाने के लिए ब्याज दरों में कटौती करे भारत: फिक्की प्रमुख

बीजिंग: भारत को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए और कृषि उपज के निर्यात के लिए नीतियों में एकरूपता लानी चाहिए ताकि भारतीय निर्यातक अमेरिका - चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का लाभ उठा सकें. उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने यह बात कही. 

कारोबारी यात्रा पर चीन आए सोमानी ने कहा कि राजग सरकार को अपने दूसरे कार्यकाल में चीन से बड़े निवेश हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए और चीन के मशीनी विनिर्माताओं को भारत में संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. 

सोमानी ने कहा कि अमेरिका और चीन ने एक - दूसरे के निर्यात पर भारी शुल्क लगा रखा है. यह भारतीय निर्यात के कुछ श्रेणियों के लिए बड़ा अवसर है. 

उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध जारी रहता है तो यह कुछ क्षेत्रों में भारतीय निर्यात के लिए अच्छा अवसर है. 

सोमानी ने कहा, "यदि आप प्रतिस्पर्धी बनते हैं तो हम चीन को इन क्षेत्रों में पछाड़ सकते हैं लेकिन सरकार को इसमें सहयोग करना होगा क्योंकि उत्पादन की लागत बहुत अधिक है. यह हमारे उत्पादों को प्रतिस्पर्धी नहीं बनने देते हैं."

उन्होंने कहा, "इसके अलावा हमारे यहां ब्याज दर सर्वकालिक उच्च स्तर पर है , जो हमारे उत्पादों को प्रतिस्पर्धी नहीं बनाते हैं. यह एक समस्या है. हमारी मुद्रास्फीति दर नीचे है, करीब 3 प्रतिशत के आस - पास है. ऐसे में बैंकों को 10, 11 प्रतिशत पर कर्ज देने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में एक या डेढ प्रतिशत तक की कमी करने की जरूरत है. सोमानी ने कहा कि सरकार को लगातार नीतियां अपनाकर कृषि निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि चीन में कृषि उपज के लिए भारी संभावनाएं हैं क्योंकि वह शुद्ध आयातक है. अब जब व्यापार युद्ध चल रहा है तो भारत को चीन को सोयाबीन का निर्यात बढ़ाना चाहिए ताकि वह अमेरिकी निर्यात की जगह ले सके. 

सोमानी ने कहा, "दुर्भाग्यवश भारतीय कृषि नीति में एकरूपता नहीं है, जब कीमतें ऊपर जाती हैं तो भारत निर्यात पर रोक लगा देता है. हमें नीतियों में एकरूपता लाकर कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक बनना चाहिए. जब कीमतें बढ़े तो सरकार को निर्यात घटाने के बजाए आयात करना चाहिए."


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