ETV Bharat / business

आईबीसी मानकों में बदलाव की प्रक्रिया जारी

आईबीबीआई ने आईबीसी 2016 के तहत अधिसूचित मौजूदा कानून में परिवर्तन लाने के लिए शनिवार को हितधारकों व लोगों से सुझाव मांगे.

कॉन्सेप्ट इमेज।
author img

By

Published : Apr 22, 2019, 10:04 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अनुसार, दिवाला तथा शोधन अक्षमता कोड, (आईबीसी) में बदलाव लाने की प्रक्रिया जारी है, ताकि इसे अगले वित्त वर्ष से प्रभावी बनाया जा सके और तेजी से बदलते कर्जदाता व कर्जदार के बदलते परिदृश्य का समायोजन हो.

आईबीबीआई ने आईबीसी 2016 के तहत अधिसूचित मौजूदा कानून में परिवर्तन लाने के लिए शनिवार को हितधारकों व लोगों से सुझाव मांगे.

आईबीबी ऐच्छिक तरलता प्रक्रिया 2017 के तहत नियमों में बदलाव चाहता है, जिनमें त्वरित कॉरपोरेट शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया विनियमन 2017, तरलता प्रक्रिया 2016 और कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया, 2016 व अन्य शामिल हैं.

आईबीबीआई ने एक नोटिस में कहा, "बैंकों द्वारा उनकी भारी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का समाधान करने को लेकर पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी सर्कुलर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने जैसे हालिया घटनाक्रमों से भी आईबीसी के अतिमहत्वपूर्ण कानूनों के कुछ मानकों की समीक्षा का मामला बना है."

बोर्ड ने कहा, "गतिशील माहौल में हितधारक नियम बनाने में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. वे विनियामक रूपरेखा में विस्तार के अहम मसले पर विचार कर सकते हैं, जिससे हस्तांतरण पर रोक लगे और मसले को लेकर वैकल्पिक समाधान निकले. इसके अलावा, विनियामक द्वारा प्रस्तावित विनियमन के मसौदे पर त्वरित प्रक्रिया दे सके."
ये भी पढ़ें : भारत ने दुनिया बनाए रखी है तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की पहचान: सिन्हा

नई दिल्ली : भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अनुसार, दिवाला तथा शोधन अक्षमता कोड, (आईबीसी) में बदलाव लाने की प्रक्रिया जारी है, ताकि इसे अगले वित्त वर्ष से प्रभावी बनाया जा सके और तेजी से बदलते कर्जदाता व कर्जदार के बदलते परिदृश्य का समायोजन हो.

आईबीबीआई ने आईबीसी 2016 के तहत अधिसूचित मौजूदा कानून में परिवर्तन लाने के लिए शनिवार को हितधारकों व लोगों से सुझाव मांगे.

आईबीबी ऐच्छिक तरलता प्रक्रिया 2017 के तहत नियमों में बदलाव चाहता है, जिनमें त्वरित कॉरपोरेट शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया विनियमन 2017, तरलता प्रक्रिया 2016 और कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया, 2016 व अन्य शामिल हैं.

आईबीबीआई ने एक नोटिस में कहा, "बैंकों द्वारा उनकी भारी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का समाधान करने को लेकर पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी सर्कुलर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने जैसे हालिया घटनाक्रमों से भी आईबीसी के अतिमहत्वपूर्ण कानूनों के कुछ मानकों की समीक्षा का मामला बना है."

बोर्ड ने कहा, "गतिशील माहौल में हितधारक नियम बनाने में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. वे विनियामक रूपरेखा में विस्तार के अहम मसले पर विचार कर सकते हैं, जिससे हस्तांतरण पर रोक लगे और मसले को लेकर वैकल्पिक समाधान निकले. इसके अलावा, विनियामक द्वारा प्रस्तावित विनियमन के मसौदे पर त्वरित प्रक्रिया दे सके."
ये भी पढ़ें : भारत ने दुनिया बनाए रखी है तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की पहचान: सिन्हा

Intro:Body:

नई दिल्ली : भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अनुसार, दिवाला तथा शोधन अक्षमता कोड, (आईबीसी) में बदलाव लाने की प्रक्रिया जारी है, ताकि इसे अगले वित्त वर्ष से प्रभावी बनाया जा सके और तेजी से बदलते कर्जदाता व कर्जदार के बदलते परिदृश्य का समायोजन हो.

आईबीबीआई ने आईबीसी 2016 के तहत अधिसूचित मौजूदा कानून में परिवर्तन लाने के लिए शनिवार को हितधारकों व लोगों से सुझाव मांगे.

आईबीबी ऐच्छिक तरलता प्रक्रिया 2017 के तहत नियमों में बदलाव चाहता है, जिनमें त्वरित कॉरपोरेट शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया विनियमन 2017, तरलता प्रक्रिया 2016 और कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया, 2016 व अन्य शामिल हैं.

आईबीबीआई ने एक नोटिस में कहा, "बैंकों द्वारा उनकी भारी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का समाधान करने को लेकर पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी सर्कुलर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने जैसे हालिया घटनाक्रमों से भी आईबीसी के अतिमहत्वपूर्ण कानूनों के कुछ मानकों की समीक्षा का मामला बना है."

बोर्ड ने कहा, "गतिशील माहौल में हितधारक नियम बनाने में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. वे विनियामक रूपरेखा में विस्तार के अहम मसले पर विचार कर सकते हैं, जिससे हस्तांतरण पर रोक लगे और मसले को लेकर वैकल्पिक समाधान निकले. इसके अलावा, विनियामक द्वारा प्रस्तावित विनियमन के मसौदे पर त्वरित प्रक्रिया दे सके."

ये भी पढ़ें :


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.