मुंबई: रत्न एवं आभूषण उद्योग ने तस्करी पर वृहद स्तर पर रोक लगाने के लिये 2019-20 के केंद्रीय बजट से पहले सोने के आयात पर शुल्क घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग की है.
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि चालू खाता घाटा कम करने के लिये सोने के आयात पर 10 प्रतिशत की दर से शुल्क वसूला जा रहा था. चालू खाता घाटा अब कम होकर 2019 में जीडीपी के 2.50 प्रतिशत पर आ गया है.
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काउंसिल के चेयरमैन अनंत पद्मनाभन ने यहां पीटीआई भाषा से कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार सोने के आयात पर शुल्क घटाकर चार प्रतिशत कर दे. यह तस्करी बाजार को पूरी तरह से समाप्त करने में मदद करेगा."
उद्योग जगत ने बैंक का कमीशन समाप्त करने या इसे घटाकर 0.20 प्रतिशत करने की मांग की। उसने कहा कि इससे उद्योग जगत में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा. संगठन से कहा कि अभी बैंक क्रेडिट कार्ड पर 11.50 प्रतिशत कमीशन लेते हैं. इससे उपभोक्ताओं के लिये आभूषण 11.50 प्रतिशत महंगे हो जाते हैं. यह अंतत: डिजिटल लेनदेन को हतोत्साहित करता है.
इनके अलावा उद्योग जगत को संगठित तथा नियम आधारित कारोबारी तरीके की ओर प्रोत्साहित करने के लिये पूंजीगत लाभ पर कर से छूट देने की भी मांग की गयी. जीजेसी ने रत्न एवं आभूषण उद्योग के लिये ईएमआई सुविधा की भी मांग की. इसके अलावा पैन कार्ड की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की भी मांग की गयी.
जेम ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने भी बजट पूर्व प्रस्तावों में आयात शुल्क मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग की. इसने तराशे तथा पॉलिश किये गये हीरों पर भी आयात शुल्क 7.50 प्रतिशत से घटाकर 2.50 प्रतिशत करने की मांग की.