ETV Bharat / business

सरकारी फैसले और कंपनियों की भारी छूट भी त्‍योहारी सीजन नहीं बढ़ा सकी वाहनों की बिक्री - GST reduction on electric vehicles

सरकार की तरफ से ऑटो सेक्टर में जान फूंकने के लिए लगातार बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं लेकिन इसके बावजूद सियाम की ओर से जारी वाहनों की बिक्री के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं.

सरकारी फैसले और कंपनियों की भारी छूट भी त्‍योहारी सीजन नहीं बढ़ा सकी वाहनों की बिक्री
author img

By

Published : Oct 11, 2019, 6:20 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 6:43 PM IST

हैदराबाद: पिछले दो महीनों से सरकार देश की आर्थिक सुस्‍ती को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. सरकार ने इसके लिए कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती, इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी घटाने सहित कई बड़े फैसल किए गए लेकिन इन कोशिशों के बावजूद वाहनों की बिक्री नहीं बढ़ रही है.

क्या कहते है आंकड़े
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा शुक्रवार को जारी बिक्री आंकड़ों ने उद्योग के पर्यवेक्षकों को निराश कर दिया. घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर महीने में 23.69 प्रतिशत गिरकर 2,23,317 इकाइयों पर आ गयी. पिछले साल इसी महीने 2,92,660 यात्री वाहनों की बिक्री हुई थी.

सरकारी फैसले और कंपनियों की भारी छूट भी त्‍योहारी सीजन नहीं बढ़ा सकी वाहनों की बिक्री
सियाम की ओर से जारी वाहनों की बिक्री के आंकड़े

ये भी पढ़ें- घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर में 23.7% घटी, लगातार 11वें महीने गिरावट

यह लगातार ग्यारहवां महीना है जब यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट देखने को मिली जो कि कुल वाहन बिक्री का एक बड़ा हिस्सा है. प्रमुख हितधारकों यानी सरकार और कॉरपोरेट द्वारा कई घोषणाओं और उपायों के बावजूद बिक्री में गिरावट जारी रहना काफी निराशाजनक है.

सरकार कि ओर से किए गए उपाय

  • पिछले महीने में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हो रही अनिश्चितता का हल करने का भरसक प्रयास किया. इनमें कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्न हैं.
  • वित्तमंत्री ने बीएस IV वाहनों के लिए पंजीकरण की तारीख 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दी और बीएस-VI को सुचारू रूप से बदलने के लिए उपाय करने की बात कही.
  • इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया.
  • बीस सितंबर को गोवा में हुए जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक से पहले सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% कर दिया है. जिससे यह उम्मीद जगी कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने वाहनों के दाम कम करेंगी.

ऑटो कंपनियों कि ओर से आई सकारात्मक प्रतिक्रिया
जैसा कि अपेक्षित था ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सरकार के फैसलों की सराहना की और कई वाहन निर्माता कंपनियों ने अपने गाड़ियों के दाम या तो घटा दिया या उनपर डिस्काउंट की घोषणा कर दी. टाटा ने अपने चुनिंदा मॉडलों पर 90,000 रुपये तक की कीमतों में कटौती की घोषणा की थी.

हालांकि, बिक्री के आंकड़ों से पता चलता है कि न तो वाहनों की कीमतों में कमी आई और न ही बैंकों के द्वारा दी जाने वाली कम-ब्याज दरें (आरबीआई द्वारा रेपो दर में कमी के बाद) ऑटोमोबाइल क्षेत्र में तेजी लाने में सफल रही.

सीतारमण ने माना ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग कम
एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने सहमति व्यक्त की, "यह सच है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग को पुनर्जीवित नहीं किया गया है." उन्होंने आगे कहा, "यदि कोई भी क्षेत्र विशेष रूप से कुछ भी चाहता है, तो वे हमेशा मुझसे बात कर सकते हैं."

जानकारी देती वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण
सियाम के ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब त्‍योहारी सीजन चल रहा है. इस सीजन को ऑटो इंडस्‍ट्री के लिए वरदान माना जाता है. ऐसे में वाहनों का ना बिकना अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है.

हैदराबाद: पिछले दो महीनों से सरकार देश की आर्थिक सुस्‍ती को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. सरकार ने इसके लिए कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती, इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी घटाने सहित कई बड़े फैसल किए गए लेकिन इन कोशिशों के बावजूद वाहनों की बिक्री नहीं बढ़ रही है.

क्या कहते है आंकड़े
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा शुक्रवार को जारी बिक्री आंकड़ों ने उद्योग के पर्यवेक्षकों को निराश कर दिया. घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर महीने में 23.69 प्रतिशत गिरकर 2,23,317 इकाइयों पर आ गयी. पिछले साल इसी महीने 2,92,660 यात्री वाहनों की बिक्री हुई थी.

सरकारी फैसले और कंपनियों की भारी छूट भी त्‍योहारी सीजन नहीं बढ़ा सकी वाहनों की बिक्री
सियाम की ओर से जारी वाहनों की बिक्री के आंकड़े

ये भी पढ़ें- घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर में 23.7% घटी, लगातार 11वें महीने गिरावट

यह लगातार ग्यारहवां महीना है जब यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट देखने को मिली जो कि कुल वाहन बिक्री का एक बड़ा हिस्सा है. प्रमुख हितधारकों यानी सरकार और कॉरपोरेट द्वारा कई घोषणाओं और उपायों के बावजूद बिक्री में गिरावट जारी रहना काफी निराशाजनक है.

सरकार कि ओर से किए गए उपाय

  • पिछले महीने में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हो रही अनिश्चितता का हल करने का भरसक प्रयास किया. इनमें कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्न हैं.
  • वित्तमंत्री ने बीएस IV वाहनों के लिए पंजीकरण की तारीख 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दी और बीएस-VI को सुचारू रूप से बदलने के लिए उपाय करने की बात कही.
  • इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया.
  • बीस सितंबर को गोवा में हुए जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक से पहले सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% कर दिया है. जिससे यह उम्मीद जगी कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने वाहनों के दाम कम करेंगी.

ऑटो कंपनियों कि ओर से आई सकारात्मक प्रतिक्रिया
जैसा कि अपेक्षित था ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सरकार के फैसलों की सराहना की और कई वाहन निर्माता कंपनियों ने अपने गाड़ियों के दाम या तो घटा दिया या उनपर डिस्काउंट की घोषणा कर दी. टाटा ने अपने चुनिंदा मॉडलों पर 90,000 रुपये तक की कीमतों में कटौती की घोषणा की थी.

हालांकि, बिक्री के आंकड़ों से पता चलता है कि न तो वाहनों की कीमतों में कमी आई और न ही बैंकों के द्वारा दी जाने वाली कम-ब्याज दरें (आरबीआई द्वारा रेपो दर में कमी के बाद) ऑटोमोबाइल क्षेत्र में तेजी लाने में सफल रही.

सीतारमण ने माना ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग कम
एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने सहमति व्यक्त की, "यह सच है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग को पुनर्जीवित नहीं किया गया है." उन्होंने आगे कहा, "यदि कोई भी क्षेत्र विशेष रूप से कुछ भी चाहता है, तो वे हमेशा मुझसे बात कर सकते हैं."

जानकारी देती वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण
सियाम के ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब त्‍योहारी सीजन चल रहा है. इस सीजन को ऑटो इंडस्‍ट्री के लिए वरदान माना जाता है. ऐसे में वाहनों का ना बिकना अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है.
Intro:Body:

सरकारी फैसले और कंपनियों की भारी छूट भी नहीं बढ़ा सकी वाहनों की बिक्री

हैदराबाद: पिछले दो महीनों से सरकार देश की आर्थिक सुस्‍ती को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. सरकार ने इसके लिए कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती, इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी घटाने सहित कई बड़े फैसल किए गए लेकिन इन कोशिशों के बावजूद वाहनों की बिक्री नहीं बढ़ रही है. 

क्या कहते है आंकड़े

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा शुक्रवार को जारी बिक्री आंकड़ों ने उद्योग के पर्यवेक्षकों को निराश कर दिया. घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर महीने में 23.69 प्रतिशत गिरकर 2,23,317 इकाइयों पर आ गयी. पिछले साल इसी महीने 2,92,660 यात्री वाहनों की बिक्री हुई थी.

यह लगातार ग्यारहवां महीना है जब यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट देखने को मिली जो कि कुल वाहन बिक्री का एक बड़ा हिस्सा है.

प्रमुख हितधारकों यानी सरकार और कॉरपोरेट द्वारा कई घोषणाओं और उपायों के बावजूद बिक्री में गिरावट जारी रहना काफी निराशाजनक है.

सरकार कि ओर से किए गए उपाय

पिछले महीने में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हो रही अनिश्चितता का हल करने का भरसक प्रयास किया. इनमें कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्न हैं.

वित्तमंत्री ने बीएस IV वाहनों के लिए पंजीकरण की तारीख 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दी और बीएस-VI को सुचारू रूप से बदलने के लिए उपाय करने की बात कही.

इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया. 

बीस सितंबर को गोवा में हुए जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक से पहले सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% कर दिया है. जिससे यह उम्मीद जगी कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने वाहनों के दाम कम करेंगी. 

एकमुश्त पंजीकरण शुल्क में संशोधन को जून 2020 तक के लिए टाल दिया गया है और एक नई परिमार्जन नीति को ध्यान में रखा गया.



ऑटो कंपनियों कि ओर से आई सकारात्मक प्रतिक्रिया

जैसा कि अपेक्षित था ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सरकार के फैसलों की सराहना की और कई वाहन निर्माता कंपनियों ने अपने गाड़ियों के दाम या तो घटा दिया या उनपर डिस्काउंट की घोषणा कर दी. टाटा ने अपने चुनिंदा मॉडलों पर 90,000 रुपये तक की कीमतों में कटौती की घोषणा की थी. 

हालांकि, बिक्री के आंकड़ों से पता चलता है कि न तो वाहनों की कीमतों में कमी आई और न ही बैंकों के द्वारा दी जाने वाली कम-ब्याज दरें (आरबीआई द्वारा रेपो दर में कमी के बाद) ऑटोमोबाइल क्षेत्र में तेजी लाने में सफल रही. 

यहां तक ​​कि त्योहारी सीजन जो कि आमतौर पर दशहरे से शुरू होता है, उसमें भी बाजार में संभावित मांग को पूरा नहीं कर सका. 



कमजोर उपभोक्ता मांग

सितंबर के आंकड़ों के बाद जब वित्तमंत्री से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "यह सच है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग को पुनर्जीवित नहीं किया गया है." उन्होंने कहा कि हम सेक्टर से बात कर रहें हैं और सिर्फ पुणे में ही नहीं पूरे देशभर के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लोगों से मिल रहें हैं. उनके द्वारा अधिकतर परेशानियों को हमने सुना है और उस पर प्रतिक्रिया दी है और अगर इसके बावजूद भी वे हमसे आकर मिलकर अपनी बात रख सकतें हैं. 



ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग कम: सीतारमण

एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने सहमति व्यक्त की, "यह सच है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मांग को पुनर्जीवित नहीं किया गया है." उन्होंने आगे कहा, "यदि कोई भी क्षेत्र विशेष रूप से कुछ भी चाहता है, तो वे हमेशा मुझसे बात कर सकते हैं."

सियाम के ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब त्‍योहारी सीजन चल रहा है. इस सीजन को ऑटो इंडस्‍ट्री के लिए वरदान माना जाता है. ऐसे में वाहनों का ना बिकना अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है. 

 


Conclusion:
Last Updated : Oct 11, 2019, 6:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.