ETV Bharat / business

कोरोनवायरस से उत्पन्न स्वास्थ्य, आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त है नकदी प्रवाह: सरकार

आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार कोविड-19 से लड़ने के लिए अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. चाहे वह स्वास्थ्य के मुद्दों पर हो या अर्थव्यवस्था का.

कोरोनवायरस से उत्पन्न स्वास्थ्य, आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त है नकदी प्रवाह: सरकार
कोरोनवायरस से उत्पन्न स्वास्थ्य, आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त है नकदी प्रवाह: सरकार
author img

By

Published : Apr 1, 2020, 10:51 AM IST

हैदराबाद: केंद्र सरकार के पास कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रकोप से उत्पन्न आर्थिक और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त नकदी प्रवाह है. जिसमें स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता हो सकती है. साथ ही सरकार उद्योग के लिए प्रोत्साहन पैकेज की भी घोषणा कर सकती है.

मंगलवार को घोषित उधार कैलेंडर के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार 7.8 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी और इसका लगभग 63% (4.88 लाख करोड़ रुपये) पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर 2020) में उधार लिया जाएगा.

आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने कहा, "सरकार कोविड-19 से लड़ने के लिए अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. चाहे वह स्वास्थ्य के मुद्दों पर हो या अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए और किसी भी समय आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए."

ये भी पढ़ें- हैरान हैं ईएमआई और बैंक किस्तों पर लगे 3 महीने के स्थगन को लेकर, तो पढ़िए ये खबर

केंद्रीय बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार के सकल उधार पर 7.8 लाख करोड़ रुपये का आंका था. पीएम गरीब कल्याण योजना और अन्य प्रोत्साहन उपायों के कारण धन की बढ़ती आवश्यकता के बावजूद, सरकार ने आज घोषित किए गए अपने उधार कैलेंडर में उसी स्तर पर सकल उधारी को बरकरार रखा है.

उधार लेने की योजना कोविड-19 के आर्थिक नतीजे पर कब्जा करती है, एक सवाल के जवाब में कि सरकार ने कोविड -19 महामारी के आर्थिक पतन से निपटने के लिए एक बड़ी उधारी योजना की घोषणा क्यों नहीं की इसपर अतनु चक्रवर्ती ने कहा कि आज घोषित उधारी योजना दोनों को ध्यान में रखती है. उन्होंने कहा कि संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार के नकद प्रबंधन की रूपरेखा तैयार है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले गुरुवार को 1.7 लाख करोड़ रुपये के पीएम गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की ताकि देश के अगले तीन महीनों के लिए उनके हाथों में बुनियादी भोजन, ईंधन और कुछ डिस्पोजेबल नकदी प्रदान करके देश की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा दिया जा सके.

इससे कयास लगने लगे कि सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 में अपने बजट अनुमानों से ज्यादा पैसा गरीब कल्याण पैकेज के लिए देना होगा और साथ ही आर्थिक सुधार के लिए एक और प्रोत्साहन प्रदान करना होगा, जिसके परिणामस्वरूप उसके बजट अनुमान से अधिक वित्तीय घाटा हो सकता है.

हालांकि सरकार ने एक बड़ी उधार योजना की घोषणा नहीं की है, लेकिन उधार कैलेंडर की घोषणा के बाद पत्रकारों को प्रसारित एक नोट में, मंत्रालय ने कहा कि यह भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से अनुसूची और राशि को बदल सकता है.

कोरोनोवायरस से गरीब, उद्योग की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध सरकार के शीर्ष आर्थिक मामलों के अधिकारी ने भी कोविड -19 महामारी के प्रकोप से उत्पन्न किसी भी समस्या को पूरा करने के लिए सरकार के संकल्प को दोहराया जिसने दुनिया भर के शेयर बाजारों में तबाही मचाई और कई में आर्थिक गतिविधियों को बंद कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस अत्यधिक संक्रामक वायरस के संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए देश में 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन लागू करने कि घोषणा कर चुके हैं.

लॉकडाउन के उपायों से देश की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है जो पिछले एक साल से मंदी की स्थिति में थी. वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर अवधि) में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 4.7% तक गिर गई, जो कि छह साल के निचले स्तर पर है.

कोविड -19 महामारी के प्रकोप से पहले ही ज्यादातर अनुमानों ने देश की जीडीपी वृद्धि के नीचे गिरने की भविष्यवाणी कर चुकें है. इस वित्तीय वर्ष में यह 5% या उससे नीचे रह सकता है.

(लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)

हैदराबाद: केंद्र सरकार के पास कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रकोप से उत्पन्न आर्थिक और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त नकदी प्रवाह है. जिसमें स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता हो सकती है. साथ ही सरकार उद्योग के लिए प्रोत्साहन पैकेज की भी घोषणा कर सकती है.

मंगलवार को घोषित उधार कैलेंडर के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार 7.8 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी और इसका लगभग 63% (4.88 लाख करोड़ रुपये) पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर 2020) में उधार लिया जाएगा.

आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने कहा, "सरकार कोविड-19 से लड़ने के लिए अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. चाहे वह स्वास्थ्य के मुद्दों पर हो या अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए और किसी भी समय आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए."

ये भी पढ़ें- हैरान हैं ईएमआई और बैंक किस्तों पर लगे 3 महीने के स्थगन को लेकर, तो पढ़िए ये खबर

केंद्रीय बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार के सकल उधार पर 7.8 लाख करोड़ रुपये का आंका था. पीएम गरीब कल्याण योजना और अन्य प्रोत्साहन उपायों के कारण धन की बढ़ती आवश्यकता के बावजूद, सरकार ने आज घोषित किए गए अपने उधार कैलेंडर में उसी स्तर पर सकल उधारी को बरकरार रखा है.

उधार लेने की योजना कोविड-19 के आर्थिक नतीजे पर कब्जा करती है, एक सवाल के जवाब में कि सरकार ने कोविड -19 महामारी के आर्थिक पतन से निपटने के लिए एक बड़ी उधारी योजना की घोषणा क्यों नहीं की इसपर अतनु चक्रवर्ती ने कहा कि आज घोषित उधारी योजना दोनों को ध्यान में रखती है. उन्होंने कहा कि संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार के नकद प्रबंधन की रूपरेखा तैयार है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले गुरुवार को 1.7 लाख करोड़ रुपये के पीएम गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की ताकि देश के अगले तीन महीनों के लिए उनके हाथों में बुनियादी भोजन, ईंधन और कुछ डिस्पोजेबल नकदी प्रदान करके देश की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा दिया जा सके.

इससे कयास लगने लगे कि सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 में अपने बजट अनुमानों से ज्यादा पैसा गरीब कल्याण पैकेज के लिए देना होगा और साथ ही आर्थिक सुधार के लिए एक और प्रोत्साहन प्रदान करना होगा, जिसके परिणामस्वरूप उसके बजट अनुमान से अधिक वित्तीय घाटा हो सकता है.

हालांकि सरकार ने एक बड़ी उधार योजना की घोषणा नहीं की है, लेकिन उधार कैलेंडर की घोषणा के बाद पत्रकारों को प्रसारित एक नोट में, मंत्रालय ने कहा कि यह भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से अनुसूची और राशि को बदल सकता है.

कोरोनोवायरस से गरीब, उद्योग की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध सरकार के शीर्ष आर्थिक मामलों के अधिकारी ने भी कोविड -19 महामारी के प्रकोप से उत्पन्न किसी भी समस्या को पूरा करने के लिए सरकार के संकल्प को दोहराया जिसने दुनिया भर के शेयर बाजारों में तबाही मचाई और कई में आर्थिक गतिविधियों को बंद कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस अत्यधिक संक्रामक वायरस के संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए देश में 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन लागू करने कि घोषणा कर चुके हैं.

लॉकडाउन के उपायों से देश की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है जो पिछले एक साल से मंदी की स्थिति में थी. वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर अवधि) में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 4.7% तक गिर गई, जो कि छह साल के निचले स्तर पर है.

कोविड -19 महामारी के प्रकोप से पहले ही ज्यादातर अनुमानों ने देश की जीडीपी वृद्धि के नीचे गिरने की भविष्यवाणी कर चुकें है. इस वित्तीय वर्ष में यह 5% या उससे नीचे रह सकता है.

(लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.