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लगभग 45,000 इकाइयों को करना होगा एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी का भुगतान

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने फर्जी बिलों के माध्यम से कर चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए इस हफ्ते की शुरुआत में जीएसटी नियमों में यह संशोधन किया. इसके तहत 50 लाख रुपये से अधिक का मासिक कारोबार करने वाली इकाइयों को उनकी जीएसटी देनदारी का एक प्रतिशत अनिवार्य तौर पर नकद में जमा कराना होगा.

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Published : Dec 26, 2020, 7:53 PM IST

लगभग 45,000 इकाइयों को करना होगा एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी का भुगतान
लगभग 45,000 इकाइयों को करना होगा एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी का भुगतान

नई दिल्ली: नए साल से लागू होने जा रही माल एवं सेवाकर (जीएसटी) देनदारी के एक प्रतिशत नकद भुगतान की अनिवार्य व्यवस्था के दायरे में करीब 45,000 पंजीकृत इकाइयां आएंगी. यह जीएसटी के तहत पंजीकृत कुल करदाताओं का मात्र 0.37 प्रतिशत हिस्सा है. राजस्व विभाग से जुड़े सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने फर्जी बिलों के माध्यम से कर चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए इस हफ्ते की शुरुआत में जीएसटी नियमों में यह संशोधन किया.

इसके तहत 50 लाख रुपये से अधिक का मासिक कारोबार करने वाली इकाइयों को उनकी जीएसटी देनदारी का एक प्रतिशत अनिवार्य तौर पर नकद में जमा कराना होगा.

इस संशोधन के बाद एक जनवरी 2021 से जीएसटी के तहत पंजीकृत इकाइयां अपनी जीएसटी देनदारी के 99 प्रतिशत के बदले ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का उपयोग कर पाएंगी.

हालांकि इस नियम से उन इकाइयों को छूट दी गयी हैं जहां कोई प्रबंध निदेशक या सहयोगी एक लाख रुपये से अधिक का व्यक्तिगत आयकर जमा कराता है या फिर पिछले वित्त वर्ष में जिसका बिना उपयोग हुआ आईटीसी रिफंड एक लाख रुपये से अधिक रहा हो.

ये भी पढ़ें : अपनी कमाई से परिचालन खर्च पूरा करेगा रेलवे

सूत्रों के मुताबिक आंकड़े दिखाते हैं कि जीएसटी के तहत लगभग 1.2 करोड़ करदाता पंजीकृत हैं. इनमें से मात्र करीब चार लाख करदाताओं की ही मासिक आपूर्ति 50 लाख रुपये से अधिक है. इन चार लाख में से भी मात्र डेढ़ लाख लोग ही अपनी जीएसटी देनदारी का एक प्रतिशत नकद जमा करते हैं.

सूत्रों ने कहा, "नियमों में संशोधन के बाद छूट प्राप्त करदाताओं को निकालने के बाद इन डेढ़ लाख लोगों में से 1.05 लाख करदाता और इसके दायरे से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में मात्र 40 से 45 हजार करदाताओं को ही यह अनिवार्य नकद भुगतान करना होगा."

उन्होंने कहा कि यह 1.2 करोड़ जीएसटी करदाताओं का मात्र 0.37 प्रतिशत है.

नई दिल्ली: नए साल से लागू होने जा रही माल एवं सेवाकर (जीएसटी) देनदारी के एक प्रतिशत नकद भुगतान की अनिवार्य व्यवस्था के दायरे में करीब 45,000 पंजीकृत इकाइयां आएंगी. यह जीएसटी के तहत पंजीकृत कुल करदाताओं का मात्र 0.37 प्रतिशत हिस्सा है. राजस्व विभाग से जुड़े सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने फर्जी बिलों के माध्यम से कर चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए इस हफ्ते की शुरुआत में जीएसटी नियमों में यह संशोधन किया.

इसके तहत 50 लाख रुपये से अधिक का मासिक कारोबार करने वाली इकाइयों को उनकी जीएसटी देनदारी का एक प्रतिशत अनिवार्य तौर पर नकद में जमा कराना होगा.

इस संशोधन के बाद एक जनवरी 2021 से जीएसटी के तहत पंजीकृत इकाइयां अपनी जीएसटी देनदारी के 99 प्रतिशत के बदले ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का उपयोग कर पाएंगी.

हालांकि इस नियम से उन इकाइयों को छूट दी गयी हैं जहां कोई प्रबंध निदेशक या सहयोगी एक लाख रुपये से अधिक का व्यक्तिगत आयकर जमा कराता है या फिर पिछले वित्त वर्ष में जिसका बिना उपयोग हुआ आईटीसी रिफंड एक लाख रुपये से अधिक रहा हो.

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सूत्रों के मुताबिक आंकड़े दिखाते हैं कि जीएसटी के तहत लगभग 1.2 करोड़ करदाता पंजीकृत हैं. इनमें से मात्र करीब चार लाख करदाताओं की ही मासिक आपूर्ति 50 लाख रुपये से अधिक है. इन चार लाख में से भी मात्र डेढ़ लाख लोग ही अपनी जीएसटी देनदारी का एक प्रतिशत नकद जमा करते हैं.

सूत्रों ने कहा, "नियमों में संशोधन के बाद छूट प्राप्त करदाताओं को निकालने के बाद इन डेढ़ लाख लोगों में से 1.05 लाख करदाता और इसके दायरे से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में मात्र 40 से 45 हजार करदाताओं को ही यह अनिवार्य नकद भुगतान करना होगा."

उन्होंने कहा कि यह 1.2 करोड़ जीएसटी करदाताओं का मात्र 0.37 प्रतिशत है.

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