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41 दिन में 5 लाख लोगों ने किया स्वरोजगार के लिए कर्ज का आवेदन

पीएम स्वनिधि योजना शुरू होने से सड़क पर रेहड़ी लगाकर अपना व्यापार करने वालों के बीच काफी उत्साह देखा गया है, जो कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपने काम को शुरू करने के लिए सस्ती कार्यशील पूंजी ऋण की तलाश कर रहे हैं.

41 दिन में 5 लाख लोगों ने किया स्वरोजगार के लिए कर्ज का आवेदन
41 दिन में 5 लाख लोगों ने किया स्वरोजगार के लिए कर्ज का आवेदन
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Published : Aug 12, 2020, 9:44 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत 5 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया है. ऋण देने की प्रक्रिया 2 जुलाई से शुरू हुई है.

पीएम स्वनिधि योजना शुरू होने से सड़क पर रेहड़ी लगाकर अपना व्यापार करने वालों के बीच काफी उत्साह देखा गया है, जो कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपने काम को शुरू करने के लिए सस्ती कार्यशील पूंजी ऋण की तलाश कर रहे हैं.

पीएम स्वनिधि योजना को आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लॉन्च किया है. मंत्रालय ने कहा,इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों और उसके आसपास के अर्ध-शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी-पटरी वाले छोटे व्यापारी) को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपना कारोबार शुरू करने के लिए बिना किसी गारंटी के एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना है.

इसके तहत ऋण के नियमित भुगतान करने पर प्रोत्साहन के रूप में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी, निर्धारित डिजिटल लेनदेन करने पर सालाना 1,200 रुपये तक का कैशबैक और आगे फिर से ऋण पाने की पात्रता भी प्रदान की गई है.

पीएम स्वनिधि योजना में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों- सार्वजनिक एवं निजी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बैंकों के अलावा ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) को योजना से जोड़कर इन छोटे उद्यमियों के द्वार तक बैंकों की सेवाएं पहुंचाने का विचार किया गया है.

डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर इन विक्रेताओं को लाना इनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, ताकि इन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद मिल सके.

ये भी पढ़ें: कोविड-19: रेलवे ने पहली तिमाही में यात्री टिकट बुकिंग से हुई आय से अधिक रिफंड किए

इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को दी गई है. रेहड़ी-खोमचे वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को उधार देने के लिए इन ऋणदाता संस्थानों को लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)के माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु इनके पोर्टफोलियो के आधार पर एक ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान किया जाता है.

सड़कों पर रेहड़ी लगाकर व्यापार करने वाले ज्यादातर विक्रेता बहुत कम लाभ पर अपना व्यवसाय करते हैं. इस योजना के तहत ऐसे विक्रेताओं को लघु ऋण से न केवल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, बल्कि उन्हें आर्थिक प्रगति करने में भी मदद मिलेगी.

एकीकृत आईटी प्लेटफॉर्म वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के उपयोग ने इस योजना को न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रबंधन के उद्देश्य के साथ समाज के इस तबके तक पहुंचने और इन्हें लाभ पहुंचाने में सक्षम बनाया है.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत 5 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया है. ऋण देने की प्रक्रिया 2 जुलाई से शुरू हुई है.

पीएम स्वनिधि योजना शुरू होने से सड़क पर रेहड़ी लगाकर अपना व्यापार करने वालों के बीच काफी उत्साह देखा गया है, जो कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपने काम को शुरू करने के लिए सस्ती कार्यशील पूंजी ऋण की तलाश कर रहे हैं.

पीएम स्वनिधि योजना को आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लॉन्च किया है. मंत्रालय ने कहा,इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों और उसके आसपास के अर्ध-शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी-पटरी वाले छोटे व्यापारी) को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपना कारोबार शुरू करने के लिए बिना किसी गारंटी के एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना है.

इसके तहत ऋण के नियमित भुगतान करने पर प्रोत्साहन के रूप में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी, निर्धारित डिजिटल लेनदेन करने पर सालाना 1,200 रुपये तक का कैशबैक और आगे फिर से ऋण पाने की पात्रता भी प्रदान की गई है.

पीएम स्वनिधि योजना में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों- सार्वजनिक एवं निजी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बैंकों के अलावा ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) को योजना से जोड़कर इन छोटे उद्यमियों के द्वार तक बैंकों की सेवाएं पहुंचाने का विचार किया गया है.

डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर इन विक्रेताओं को लाना इनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, ताकि इन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद मिल सके.

ये भी पढ़ें: कोविड-19: रेलवे ने पहली तिमाही में यात्री टिकट बुकिंग से हुई आय से अधिक रिफंड किए

इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को दी गई है. रेहड़ी-खोमचे वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को उधार देने के लिए इन ऋणदाता संस्थानों को लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)के माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु इनके पोर्टफोलियो के आधार पर एक ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान किया जाता है.

सड़कों पर रेहड़ी लगाकर व्यापार करने वाले ज्यादातर विक्रेता बहुत कम लाभ पर अपना व्यवसाय करते हैं. इस योजना के तहत ऐसे विक्रेताओं को लघु ऋण से न केवल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, बल्कि उन्हें आर्थिक प्रगति करने में भी मदद मिलेगी.

एकीकृत आईटी प्लेटफॉर्म वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के उपयोग ने इस योजना को न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रबंधन के उद्देश्य के साथ समाज के इस तबके तक पहुंचने और इन्हें लाभ पहुंचाने में सक्षम बनाया है.

(आईएएनएस)

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