नई दिल्ली: बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 478 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की वृद्धि हुई है. एक रिपोर्ट की जानकारी के अनुसार काम में देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत में बढ़ोतरी हुई है.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की मई-2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,768 परियोजनाओं में से 478 की लागत बढ़ी है, जबकि 525 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है इन 1,768 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 22,86,955.18 करोड़ रुपये है. जिसे बढ़कर 27,27,220.47 करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है. इस जानकारी से यहा पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.25 प्रतिशत या 4,40,265.29 करोड़ रुपये बढ़ी है.
मई-2021 तक इस परियोजनाओं पर 13,30,533.53 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं,जो कुल अनुमानित लागत का 48.79 प्रतिशत है.
भारत सरकार का कहना है कि यदि परियोजनाओं को पूरा होने की समय सीमा के हिसाब से देखा जाए, देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 387 पर आ जाएगी. आपको बता दे कि-रिपोर्ट में 995 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
देरी से चल रहीं 525 परियोजनाएं
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 525 परियोजनाओं में 100 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की,124 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 182 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की तथा 119 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं.
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525 परियोजनाओं की देरी का औसत 46.36 महीने है. इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी तथा बुनियादी संरचना आदि की कमी प्रमुख है. इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं.
(पीटीआई-भाषा)