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रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू, नीतिगत दर में कटौती संभव - अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

केंद्रीय बैंक 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है. सुस्त पड़ती वृद्धि को रफ्तार देने और वित्तीय प्रणाली में धन उपलब्धता की स्थिति को बढ़ाने के लिए नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कमी की गई है. इस समय रेपो दर 5.15 प्रतिशत है.

अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक
अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक
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Published : Dec 3, 2019, 4:09 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 5:29 PM IST

मुंबई: मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार को शुरू हुई. यह बैठक तीन दिन चलेगी. ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये नीतिगत दर में एक बार और कटौती कर सकता है.

रिजर्व बैंक अगर बृहस्पतिवार को रेपो दर में कटौती करता है, यह इस साल नीतिगत दर में लगातार छठी बार कटौती होगी. केंद्रीय बैंक की विज्ञप्ति के अनुसार, "एमपीसी की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 3 से 5 दिसंबर 2019 को होगी."

ये भी पढ़ें- बैंकों केवल एक लाख रुपये तक की राशि की जमा की ही गारंटी

मौद्रिक नीति समीक्षा को 5 दिसंबर को पूर्वाह्न 11.45 मिनट पर आरबीआई की वेबसाइट पर डाला जाएगा.आर्थिक वृद्धि में नरमी को देखते हुए तथा नकदी बढ़ाने के इरादे से रिजर्व बैंक इस साल नीतिगत दर में अबतक पांच बार कुल 1.35 की कटौती कर चुका है.

विनिर्माण उत्पादन में एक प्रतिशत की गिरावट के कारण जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी.

बैंक अधिकारियों तथा विशेषज्ञों के अनुसार आरबीआई आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से नीतिगत दर में एक बार और कटौती कर सकता है. एक बैंक अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि आरबीआई गवर्नर कह चुके हैं कि जब तक आर्थिक वृद्धि पटरी पर नहीं आती, नीतिगत दर में कटौती की जाएगी. इससे इस बार भी रेपो दर में कटौती एक भरोसा है.

मुंबई: मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार को शुरू हुई. यह बैठक तीन दिन चलेगी. ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये नीतिगत दर में एक बार और कटौती कर सकता है.

रिजर्व बैंक अगर बृहस्पतिवार को रेपो दर में कटौती करता है, यह इस साल नीतिगत दर में लगातार छठी बार कटौती होगी. केंद्रीय बैंक की विज्ञप्ति के अनुसार, "एमपीसी की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 3 से 5 दिसंबर 2019 को होगी."

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मौद्रिक नीति समीक्षा को 5 दिसंबर को पूर्वाह्न 11.45 मिनट पर आरबीआई की वेबसाइट पर डाला जाएगा.आर्थिक वृद्धि में नरमी को देखते हुए तथा नकदी बढ़ाने के इरादे से रिजर्व बैंक इस साल नीतिगत दर में अबतक पांच बार कुल 1.35 की कटौती कर चुका है.

विनिर्माण उत्पादन में एक प्रतिशत की गिरावट के कारण जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी.

बैंक अधिकारियों तथा विशेषज्ञों के अनुसार आरबीआई आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से नीतिगत दर में एक बार और कटौती कर सकता है. एक बैंक अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि आरबीआई गवर्नर कह चुके हैं कि जब तक आर्थिक वृद्धि पटरी पर नहीं आती, नीतिगत दर में कटौती की जाएगी. इससे इस बार भी रेपो दर में कटौती एक भरोसा है.

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अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है. 

विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट के कारण दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है. यह आर्थिक वृद्धि का छह साल से अधिक का न्यूनतम आंकड़ा है.

केंद्रीय बैंक 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है. सुस्त पड़ती वृद्धि को रफ्तार देने और वित्तीय प्रणाली में धन उपलब्धता की स्थिति को बढ़ाने के लिए नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कमी की गई है. इस समय रेपो दर 5.15 प्रतिशत है.

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एक बैंकर ने पहचान उजागर नहीं करते हुए बताया कि आरबीआई गवर्नर ने पिछले दिनों कहा था कि जब तक आर्थिक वृद्धि में सुधार नहीं होता तब तक ब्याज दरों में कटौती की जाएगी. इससे इस बात की संभावना है कि तीन दिसंबर से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर घटाई जा सकती है.

आईएचएस मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया प्रशांत) राजीव विश्वास ने कहा, "आरबीआई ने अक्टूबर में दरों में कटौती के साथ मौद्रिक नीति को उदार बनाये रखने का फैसला किया था. इस स्थिति में आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती रहने बनी रहने से नीतिगत दर में कटौती की संभावना है."

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि मुद्रास्फीति नीचे बनी हुई है और अर्थव्यवस्था की क्षमता को देखते हुए इसके नीचे ही बने रहने की उम्मीद है. इसलिए आरबीआई के पास नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है."

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, "हमें आशंका है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बेहतर वृद्धि देखने को नहीं मिले. त्योहारी महीना होने के बावजूद प्रमुख सूचकांकों में अक्टूबर में गिरावट का रुख रहा. हमें लगता है कि आर्थिक वृद्धि दर तीसरी तिमाही में घटकर 4 प्रतिशत के करीब आ सकती है."


Conclusion:
Last Updated : Dec 3, 2019, 5:29 PM IST

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