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वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र को उबारने को प्रोत्साहन वाली वाहन-कबाड़ नीति हो: कंपनियां

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Published : May 3, 2020, 6:57 PM IST

टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि स्वच्छ बीएस-छह वाहनों की मांग बढ़ाने के लिए बेहतर तरीके से परिभाषित और प्रभावी कबाड़ नीति की जरूरत है. विशेषरूप से अंतिम उपयोक्ता क्षेत्रों से घटती मांग के मद्देनजर यह और जरूरी हो जाता है.

वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र को उबारने को प्रोत्साहन वाली वाहन-कबाड़ नीति हो: कंपनियां
वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र को उबारने को प्रोत्साहन वाली वाहन-कबाड़ नीति हो: कंपनियां

नई दिल्ली: टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड ने कहा कि वाणिज्यिक वाहन खंड को उबारने के लिए पुराने वाहन तोड़ने की एक बेहतर तरीके से तैयार और वित्तीय प्रोत्साहन वाली नीति लाने की जरूरत है.

पिछले काफी समय से वाहन कबाड़ नीति पर काम चल रहा है. इस नीति का मकसद एक समयावधि से अधिक जीर्ण वाहनों को परिचालन से हटाना है.वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री पिछले एक साल से नीचे आ रही है.

ये भी पढ़ें- अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मजदूरों और छोटे उद्योगों में विश्वास पैदा करना जरूरी: प्रो. सेन

पहले भारत चरण -छह उत्सर्जन मानको की ओर स्थानांतरण की वजह से बिक्री घटी और उसके बाद कोरोना वायरस महामारी की वजह से. उद्योग को उम्मीद है कि यदि पुराने वाहन हट जाते हैं तो इससे न केवल प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि नए वाहनों की मांग भी बढ़ेगी.

वाणिज्यिक वाहन खंड की शीर्ष कंपनी टाटा मोटर्स ने कहा है कि इस बारे में आने वाली कानून में प्रोत्साहन और पुराने वाहनों को हटाने के नियामकीय नियम स्पष्ट रूप से परिभाषित होने चाहिए.

टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि स्वच्छ बीएस-छह वाहनों की मांग बढ़ाने के लिए बेहतर तरीके से परिभाषित और प्रभावी कबाड़ नीति की जरूरत है. विशेषरूप से अंतिम उपयोक्ता क्षेत्रों से घटती मांग के मद्देनजर यह और जरूरी हो जाता है.

प्रवक्ता ने कहा कि नए वाहनों की बिक्री पुराने वाहनों को बदलने की मांग पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा कि नीति में वाहनो की आयु समाप्त होने की सीमा (ईएलवी) और प्रोत्साहन स्पष्ट रूप से परिभाषित होने चाहिए. इसी तरह की राय जताते हुए अशोक लेलैंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी विपिन सोंधी ने कहा कि वाणिज्यिक वाहनों की मांग बढ़ाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से पहले ही वाणिज्यिक वाहन खंड की हालत काफी खराब थी. अब तो यह क्षेत्र बिल्कुल ठहर गया है. सोंधी ने कहा कि सभी जानते हैं कि वाणिज्यिक वाहन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा होते हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि वाणिज्यिक वााहनों की मांग बढ़ाई जाए.

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लिए एक प्रोत्साहन वाली कबाड़ नीति लाई जानी चाहिए. यह प्रोत्साहन माल एवं सेवा कर (जीएसटी), पथकर या पंजीकरण शुल्क में छूट के रूप में हो सकता है. इससे निश्चित रूप से मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी. टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (बिक्री एवं विपणन) नवीन सोनी ने कहा कि प्रोत्साहन वाली कबाड़ नीति से पुराने और प्रदूषण वाले वाहनों को हटाने में मदद मिलेगी. यह आज समय की जरूरत भी है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड ने कहा कि वाणिज्यिक वाहन खंड को उबारने के लिए पुराने वाहन तोड़ने की एक बेहतर तरीके से तैयार और वित्तीय प्रोत्साहन वाली नीति लाने की जरूरत है.

पिछले काफी समय से वाहन कबाड़ नीति पर काम चल रहा है. इस नीति का मकसद एक समयावधि से अधिक जीर्ण वाहनों को परिचालन से हटाना है.वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री पिछले एक साल से नीचे आ रही है.

ये भी पढ़ें- अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मजदूरों और छोटे उद्योगों में विश्वास पैदा करना जरूरी: प्रो. सेन

पहले भारत चरण -छह उत्सर्जन मानको की ओर स्थानांतरण की वजह से बिक्री घटी और उसके बाद कोरोना वायरस महामारी की वजह से. उद्योग को उम्मीद है कि यदि पुराने वाहन हट जाते हैं तो इससे न केवल प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि नए वाहनों की मांग भी बढ़ेगी.

वाणिज्यिक वाहन खंड की शीर्ष कंपनी टाटा मोटर्स ने कहा है कि इस बारे में आने वाली कानून में प्रोत्साहन और पुराने वाहनों को हटाने के नियामकीय नियम स्पष्ट रूप से परिभाषित होने चाहिए.

टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि स्वच्छ बीएस-छह वाहनों की मांग बढ़ाने के लिए बेहतर तरीके से परिभाषित और प्रभावी कबाड़ नीति की जरूरत है. विशेषरूप से अंतिम उपयोक्ता क्षेत्रों से घटती मांग के मद्देनजर यह और जरूरी हो जाता है.

प्रवक्ता ने कहा कि नए वाहनों की बिक्री पुराने वाहनों को बदलने की मांग पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा कि नीति में वाहनो की आयु समाप्त होने की सीमा (ईएलवी) और प्रोत्साहन स्पष्ट रूप से परिभाषित होने चाहिए. इसी तरह की राय जताते हुए अशोक लेलैंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी विपिन सोंधी ने कहा कि वाणिज्यिक वाहनों की मांग बढ़ाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से पहले ही वाणिज्यिक वाहन खंड की हालत काफी खराब थी. अब तो यह क्षेत्र बिल्कुल ठहर गया है. सोंधी ने कहा कि सभी जानते हैं कि वाणिज्यिक वाहन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा होते हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि वाणिज्यिक वााहनों की मांग बढ़ाई जाए.

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लिए एक प्रोत्साहन वाली कबाड़ नीति लाई जानी चाहिए. यह प्रोत्साहन माल एवं सेवा कर (जीएसटी), पथकर या पंजीकरण शुल्क में छूट के रूप में हो सकता है. इससे निश्चित रूप से मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी. टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (बिक्री एवं विपणन) नवीन सोनी ने कहा कि प्रोत्साहन वाली कबाड़ नीति से पुराने और प्रदूषण वाले वाहनों को हटाने में मदद मिलेगी. यह आज समय की जरूरत भी है.

(पीटीआई-भाषा)

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