बता दें कि एरिक्सन ने आरोप लगाया है कि रिलायंस कम्युनिकेशन कंपनी को बकाया 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहा है. कोर्ट में अंबानी का प्रतिनिधित्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने किया.
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एरिक्सन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, "उनके (अंबानी) राफेल में निवेश करने के लिए पैसे हैं, लेकिन अदालत को दी गई प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं करना चाहते हैं." दवे ने यह भी कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशन का उपक्रम पूरा करने का कोई इरादा नहीं था और वह कभी भी एरिक्सन से किए गए वादे को पूरा नहीं करना चाहता था.
हालांकि, रोहतगी ने अवमानना के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशन एक सार्वजनिक कंपनी थी और कोई व्यक्ति इसके लिए बकाया का भुगतान नहीं कर सकता.
मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने अब अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन ने अंबानी से कहा कि आपने जो भी किया है उसके परिणाम भुगतने पड़ सकते है.