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न्यायालय के फैसले पर दूरसंचार कंपनियों ने कहा- फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी

न्यायालय ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं से करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है. साथ ही दूरसंचार विभाग द्वारा तय की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा को बरकरार रखा है. जिसके बाद कंपनियां बयान दे रहीं हैं.

न्यायालय के फैसले पर दूरसंचार कंपनियों ने कहा- फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी
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Published : Oct 24, 2019, 5:45 PM IST

नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों की समायोजित सकल आय पर कर के विषय में उच्चतम न्यायालय के फैसले से कंपनियां की व्यावहारिक रूप से वित्तीय स्थिति कमजोर होगी.

भारती एयरटेल ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा, "दूरसंचार सेवा प्रदाता दूरसंचार क्षेत्र को विकसित करने और ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवाएं देने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं. यह फैसला ऐसे समय आया है जब दूरसंचार क्षेत्र वित्तीय संकट से गुजर रहा है और यह फैसला क्षेत्र की सफलतापूर्वक काम करने की क्षमता को और कमजोर कर सकता है."

ये भी पढ़ें-भारतीय अर्थव्यवस्था बदलाव के दौर में, वृद्धि की राह पर लौटेगी: एसबीआई चेयरमैन

वहीं, दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने दूरसंचार राजस्व परिभाषा पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को उद्योग के लिए विनाशकारी बताया, क्योंकि उद्योग पहले ही अनिश्चित वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहा है.

फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा: सीओएआई
सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, "सवाल यह है कि क्या यह वह वित्तीय लाठी है जो अंतत: दूरसंचार सेवाप्रदाताओं की कमर तोड़ देगा." मैथ्यूज ने कहा कि मौजूदा तनाव की स्थिति में यह फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा.

दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा ये फैसला: डेलॉइट इंडिया
डेलॉइट इंडिया में प्रौद्योगिकी मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी) के लीडर हेमंत जोशी ने कहा कि यह पहले से घाटे में चल रहे दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा. ईवाई में टीएमटी (उभरते बाजार) लीडर प्रशांत सिंघल ने कहा कि इस निर्णय का उद्योग पर बहुत असर पड़ेगा, जबकि वह पहले से ही वित्तीय दबाव में है.

गौरतलब है कि न्यायालय ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं से करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है. साथ ही दूरसंचार विभाग द्वारा तय की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा को बरकरार रखा है.

नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों की समायोजित सकल आय पर कर के विषय में उच्चतम न्यायालय के फैसले से कंपनियां की व्यावहारिक रूप से वित्तीय स्थिति कमजोर होगी.

भारती एयरटेल ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा, "दूरसंचार सेवा प्रदाता दूरसंचार क्षेत्र को विकसित करने और ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवाएं देने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं. यह फैसला ऐसे समय आया है जब दूरसंचार क्षेत्र वित्तीय संकट से गुजर रहा है और यह फैसला क्षेत्र की सफलतापूर्वक काम करने की क्षमता को और कमजोर कर सकता है."

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वहीं, दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने दूरसंचार राजस्व परिभाषा पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को उद्योग के लिए विनाशकारी बताया, क्योंकि उद्योग पहले ही अनिश्चित वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहा है.

फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा: सीओएआई
सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, "सवाल यह है कि क्या यह वह वित्तीय लाठी है जो अंतत: दूरसंचार सेवाप्रदाताओं की कमर तोड़ देगा." मैथ्यूज ने कहा कि मौजूदा तनाव की स्थिति में यह फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा.

दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा ये फैसला: डेलॉइट इंडिया
डेलॉइट इंडिया में प्रौद्योगिकी मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी) के लीडर हेमंत जोशी ने कहा कि यह पहले से घाटे में चल रहे दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा. ईवाई में टीएमटी (उभरते बाजार) लीडर प्रशांत सिंघल ने कहा कि इस निर्णय का उद्योग पर बहुत असर पड़ेगा, जबकि वह पहले से ही वित्तीय दबाव में है.

गौरतलब है कि न्यायालय ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं से करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है. साथ ही दूरसंचार विभाग द्वारा तय की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा को बरकरार रखा है.

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न्यायालय के फैसले पर दूरसंचार कंपनियों ने कहा- फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी

नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों की समायोजित सकल आय पर कर के विषय में उच्चतम न्यायालय के फैसले से कंपनियां की व्यावहारिक रूप से वित्तीय स्थिति कमजोर होगी. 

भारती एयरटेल ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा, "दूरसंचार सेवा प्रदाता दूरसंचार क्षेत्र को विकसित करने और ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवाएं देने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं. यह फैसला ऐसे समय आया है जब दूरसंचार क्षेत्र वित्तीय संकट से गुजर रहा है और यह फैसला क्षेत्र की सफलतापूर्वक काम करने की क्षमता को और कमजोर कर सकता है." 



वहीं, दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने दूरसंचार राजस्व परिभाषा पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को उद्योग के लिए विनाशकारी बताया, क्योंकि उद्योग पहले ही अनिश्चित वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहा है. 



फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा: सीओएआई 

सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, "सवाल यह है कि क्या यह वह वित्तीय लाठी है जो अंतत: दूरसंचार सेवाप्रदाताओं की कमर तोड़ देगा." मैथ्यूज ने कहा कि मौजूदा तनाव की स्थिति में यह फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा. 



दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा ये फैसला: डेलॉइट इंडिया 

डेलॉइट इंडिया में प्रौद्योगिकी मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी) के लीडर हेमंत जोशी ने कहा कि यह पहले से घाटे में चल रहे दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा. ईवाई में टीएमटी (उभरते बाजार) लीडर प्रशांत सिंघल ने कहा कि इस निर्णय का उद्योग पर बहुत असर पड़ेगा, जबकि वह पहले से ही वित्तीय दबाव में है. 

गौरतलब है कि न्यायालय ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं से करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है. साथ ही दूरसंचार विभाग द्वारा तय की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा को बरकरार रखा है.


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