नई दिल्ली : रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के कर्जदाताओं ने मंगलवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष कहा कि कि कंपनी को आयकर रिफंड के रूप में मिले 260 करोड़ रुपये पर पहला हक उनका है.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ) के अन्य सदस्यों ने कहा कि आरबीआई दिशानिर्देशों के तहत ट्रस्ट खाते और उसकी देखरेख का अधिकार उनके पास है. इस खाते में कंपनी को मिला रिफंड जमा है.
न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ बुधवार को फिर मामले में सुनवाई करेगी. एसबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने न्यायाधिकरण में कहा कि जेएलएफ को आरकॉम की संपत्ति की बिक्री से 37,000 करोड़ रुपये की वसूली नहीं होने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
उन्होंने कहा, "जेएलएफ के कारण मामले का निपटान नाकाम नहीं हुआ है बल्कि जियो के आरकॉम का पिछला कर्ज चुकाने से इनकार करने की वजह से मामले का समाधान नहीं हो सका." कर्जदाता बैंकों का कहना है कि 'देखरेख और ट्रस्ट खाता' आरकॉम के खिलाफ दिवाला एवं रिण शोधन प्रक्रिया शुरू होने से पहले बना दिया गया था. इसलिये इसे वर्तमान प्रक्रिया से अलग रखा जाना चाहिये.
(भाषा)
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