नई दिल्ली: दुनिया की दिग्गज कंपनियों बीपी पीएलसी और फ्रांस की टोटल की भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के लिए बोली लगाने की योजना नहीं है. इन कंपनियों को बीपीसीएल की तेल रिफाइनरियां की सीमित जगहों और देश के श्रम कानूनों को ले कर झिझक है.
कई सूत्रों ने बताया कि बीपीसीएल के लिए रूस की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रोसनेफ्ट या उसकी संबद्ध इकाइयों, सऊदी अरब की पेट्रोलियम कंपनी सऊदी अरामको तथा अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज बोली लगा सकती हैं.
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सरकार देश की तीसरी सबसे तेल रिफाइनरी तथा दूसरी सबसे बड़ी ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनी में अपनी समूची 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सूत्रों ने बताया कि मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से निवेशकों को इसके लिए करीब 10 अरब डॉलर या 75,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. इसमें सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के बाद शेयरधारकों से खुली पेशकश के जरिये 26 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी की खरीद का मूल्य भी शामिल है.
बीपीसीएल का अधिग्रहण करने वाली कंपनी को उसकी तीन रिफाइनरियों..मुंबई, केरल के कोच्चि और मध्य प्रदेश की बीना रिफाइनरी के अलावा 16,309 पेट्रोल पंपों, 6,113 एलपीजी वितरण एजेंसियों तथा देश के 256 विमानन ईंधन स्टेशनों में से 20 प्रतिशत से अधिक के करोबार का स्वामित्व मिलेगा.
बोली प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि बीपीसीएल का अधिग्रहण करने की दौड़ में शामिल कंपनियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण ईंधन बिक्री का खुदरा नेटवर्क है. इस बाजार में बीपीसीएल की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत है.
सूत्र ने कहा कि कंपनी की रिफाइनरियां के पास विस्तार की जगह नहीं हैं. विशेष रूप से मुंबई और कोच्चि में यह स्थिति है. इन रिफाइनरियों के पास विस्तार या पट्रोरसायन इकाई के विस्तार के लिए जमीन पाना लगभग असंभव है.
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा विदेशी या निजी कंपनियों के लिए एक और बड़ी चुनौती देश के सख्त श्रम कानून हैं. ये कंपनियां कम श्रमबल के साथ काम करना चाहेंगी, जबकि बीपीसीएल के कर्मचारियों की संख्या करीब 12,000 है. एक अन्य सूत्र ने कहा कि बीपीसीएल के पेट्रोल पंपों का नेटवर्क बोली लगाने वाली कंपनियों के लिए एक बड़ा आकर्षण है. लेकिन एक बार पेट्रोल पंप का पट्टा समाप्त होने या जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की अनुमति के बाद बड़े शहरों में पेट्रोल पंप मालिक कोई ऐसा कारोबार करना चाहेंगे, जो उन्हें अधिक रिटर्न दे.
बीपी और टोटल के लिए बीपीसीएल का अधिग्रहण खास मायने नहीं रखता, क्योंकि वे गैस और अक्षय ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं तथा और रिफाइनरियां नहीं जोड़ रही हैं. इस बारे में बीपी और टोटल के प्रवक्ताओं की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी. एक अन्य सूत्र ने कहा कि रूस की रोसनेफ्ट के लिए बीपीसीएल अच्छा सौदा हो सकती है.
रोसनेफ्ट की इकाई नायरा एनर्जी के पास पहले से दो करोड़ टन सालाना की रिफाइनरी और 5,700 पेट्रोल पंप है. बीपीसीएल के अधिग्रहण से देश में रिफाइनिंग क्षमता में उसे 20 प्रतिशत और ईंधन के खुदरा नेटवर्क में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल हो सकती है. इसी तरह सऊदी अरामको के लिए भी बीपीसीएल अच्छा सौदा हो सकती है. हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से अरामको नकदी संकट से जूझ रही है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल में बीपीसीएल के पूर्व चेयरमैन सार्थक बेहुरिया को कंपनी से जोड़ा है. सूत्र का कहना है कि यह उसकी बीपीसीएल के लिए बोली लगाने की मंशा से जुड़ा हो सकता है. इस बारे में रिलायंस को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला. एक्सॉनमोबिल एक और संभावित बोली लगाने वाली कंपनी हो सकती है. हालांकि, यह वित्तीय समस्याओं से जूझ रही है.
(पीटीआई-भाषा)