नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) का छोटी कारों के लिए भारत चरण-6 मानक वाला डीजल इंजन विकसित करने का कोई इरादा नहीं है. कंपनी का मानना है कि इस तरह की कारें आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं हैं.
कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि अब बाजार धीरे-धीरे पेट्रोल मॉडलों की ओर स्थानांतरित हो रहा है. मारुति के आगे पेश किए जाने वाले वाहनों में कोई डीजल मॉडल नहीं है. कंपनी का इरादा अब अपने सीएनजी पोर्टफोलियो का विस्तार करने का है.
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एमएसआई के कार्यकारी निदेशक बिक्री एवं विपणन शशांक श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, "छोटा डीजल इंजन विकसित करने का कोई तर्क नहीं है. हैचबैक खंड में यह पांच प्रतिशत से कम रह गया है. सेडान और प्रवेश स्तर के एसयूवी खंड में भी इसमें काफी कमी आई है. अर्थशास्त्र अब इसका समर्थन नहीं करता."
हालांकि, वाहन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आगे चलकर डीजल आधारित बड़ी एसयूवी और सेडान की पर्याप्त मांग होने पर बड़े बीएस-6 इंजनों पर विचार कर सकती है.
श्रीवास्तव ने कहा, "हालांकि, बहुत से उपभोक्ता ऐसे हैं जो कार चलाने के लिए अर्थशास्त्र को नहीं देखते और वे अब भी डीजल कारों की खरीद कर सकते हैं. इसी वजह से कंपनी ने कहा है कि बाजार पर उसकी नजदीकी नजर है."
उन्होंने कहा कि यदि उस श्रेणी में पर्याप्त लोग होते हैं तो हम बड़ा बीएस-6 डीजल इंजन विकसित करने पर विचार कर सकते हैं. श्रीवास्तव ने कहा कि अभी कंपनी ने इसपर कोई फैसला नहीं किया है.
सीएनजी पोर्टफोलियो के विस्तार पर श्रीवास्तव ने कहा कि कंपनी का चालू वित्त वर्ष में 1.4 से 1.5 लाख सीएनजी वाहनों की बिक्री का लक्ष्य है. 2019-20 में कंपनी ने 1.07 लाख सीएनजी वाहन बेचे थे.
कंपनी ने अगले कुछ वर्ष में हरित प्रौद्योगिकी वाली 10 लाख कारें बेचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. श्रीवास्तव ने कहा कि डीजल कारों की तुलना में सीएनजी कारें सस्ती होती हैं. इसके अलावा सीएनजी कारों को चलाना भी सस्ता पड़ता है. उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में सीएनजी खंड ने सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. वहीं कुल यात्री वाहन उद्योग में 18 प्रतिशत की गिरावट आई.
(पीटीआई-भाषा)