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लॉकडाउन में पारले-जी बिस्किट ने दर्ज की रिकॉर्ड बिक्री - तोड़े 82 साल के रिकार्ड

पारले प्रोडक्ट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि महामारी के दौरान खाद्य राहत पैकेट बांटने वाले एनजीओ और सरकारी एजेंसियों ने भी पारले-जी बिस्किट को तरजीह दी क्योंकि यह किफायती है और दो रुपये में भी मिलता है. साथ में यह ग्लूकोज का अच्छा स्रोत है.

लॉकडाउन में पारले-जी बिस्किट ने दर्ज की रिकॉर्ड बिक्री
लॉकडाउन में पारले-जी बिस्किट ने दर्ज की रिकॉर्ड बिक्री
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Published : Jun 10, 2020, 1:18 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में पारले-जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री हुई है.

पारले प्रोडक्ट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि महामारी के दौरान खाद्य राहत पैकेट बांटने वाले एनजीओ और सरकारी एजेंसियों ने भी पारले-जी बिस्किट को तरजीह दी क्योंकि यह किफायती है और दो रुपये में भी मिलता है. साथ में यह ग्लूकोज का अच्छा स्रोत है.

ये भी पढ़ें-जबतक कोरोना का ठोस इलाज नहीं मिल जाता तबतक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना मुश्किल

उन्होंने बताया कि वृद्धि जबर्दस्त थी और इसके नतीजतन लॉकडाउन के दौरान बाजार में पारले की हिस्सेदारी में 4.5 से पांच फीसदी की वृद्धि हुई. शाह ने बताया कि बीते 30-40 साल में हमने ऐसी वृद्धि नहीं देखी.

उन्होंने बताया कि पहले आई सुनामी और भूकंप जैसे संकटों के दौरान भी पारले- जी की बिक्री बढ़ी थी.

आठ दशकों में सबसे ज्यादा सेल

पारले-जी 1938 से ही लोगों के बीच पंसदीदा ब्रांड रहा है. लॉकडाउन के बीच इसने अब तक के इतिहास में सबसे अधिक बिस्कुट बेचने का रिकॉर्ड बनाया है. हालांकि, पारले कंपनी ने सेल्स नंबर तो नहीं बताए, लेकिन ये जरूर कहा कि मार्च, अप्रैल और मई पिछले 8 दशकों में उसके सबसे अच्छे महीने रहे हैं.

पिछले साल मुश्किल में थी कंपनी

गौरतलब है कि पिछले साल पारले-जी कंपनी मुश्किल में थी. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पारले-जी की मांग घट गई है. रिपोर्ट्स में इस बात का ज़िक्र था कि 5 रुपये वाले पैकेट की मांग कम हो गई है. इसी का हवाले देते हुए बताया गया था कि कंपनी को 8 से 10 हज़ार कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है. हालांकि अब करीब 10 महीने बाद कंपनी की तकदीर ही बदल गई है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में पारले-जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री हुई है.

पारले प्रोडक्ट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि महामारी के दौरान खाद्य राहत पैकेट बांटने वाले एनजीओ और सरकारी एजेंसियों ने भी पारले-जी बिस्किट को तरजीह दी क्योंकि यह किफायती है और दो रुपये में भी मिलता है. साथ में यह ग्लूकोज का अच्छा स्रोत है.

ये भी पढ़ें-जबतक कोरोना का ठोस इलाज नहीं मिल जाता तबतक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना मुश्किल

उन्होंने बताया कि वृद्धि जबर्दस्त थी और इसके नतीजतन लॉकडाउन के दौरान बाजार में पारले की हिस्सेदारी में 4.5 से पांच फीसदी की वृद्धि हुई. शाह ने बताया कि बीते 30-40 साल में हमने ऐसी वृद्धि नहीं देखी.

उन्होंने बताया कि पहले आई सुनामी और भूकंप जैसे संकटों के दौरान भी पारले- जी की बिक्री बढ़ी थी.

आठ दशकों में सबसे ज्यादा सेल

पारले-जी 1938 से ही लोगों के बीच पंसदीदा ब्रांड रहा है. लॉकडाउन के बीच इसने अब तक के इतिहास में सबसे अधिक बिस्कुट बेचने का रिकॉर्ड बनाया है. हालांकि, पारले कंपनी ने सेल्स नंबर तो नहीं बताए, लेकिन ये जरूर कहा कि मार्च, अप्रैल और मई पिछले 8 दशकों में उसके सबसे अच्छे महीने रहे हैं.

पिछले साल मुश्किल में थी कंपनी

गौरतलब है कि पिछले साल पारले-जी कंपनी मुश्किल में थी. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पारले-जी की मांग घट गई है. रिपोर्ट्स में इस बात का ज़िक्र था कि 5 रुपये वाले पैकेट की मांग कम हो गई है. इसी का हवाले देते हुए बताया गया था कि कंपनी को 8 से 10 हज़ार कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है. हालांकि अब करीब 10 महीने बाद कंपनी की तकदीर ही बदल गई है.

(पीटीआई-भाषा)

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