नई दिल्ली : जेट एयरवेज के एक कर्मचारी संघ ने कहा है कि वे न तो एयरलाइन को नीचे जाने देंगे और न ही कंपनी को टुकड़े-टुकड़े करके खत्म करने की अनौपचारिक बातचीत को सहन करेंगे.
ऑल इंडिया जेट एयरवेज टेक्नीशियन एसोसिएशन (एआईजेऐटीए), जिसमें लगभग 800 सदस्य हैं, ने एक खुला पत्र लिखकर यह बात कही.
यह पत्र नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की कथित टिप्पणियों की पृष्ठभूमि के खिलाफ आया है, जिसमें सिन्हा ने कहा कि जेट एयरवेज के सक्षम कर्मचारियों को अन्य एयरलाइंस द्वारा अवशोषित किया जाएगा.
संघ के अनुसार, जिन कर्माचारियों ने नौकरी छोड़ी है, उन्होंने अपनी वित्तीय स्थिति और अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण ऐसा किया है.
पत्र में कहा गया है, "हम इस कंपनी को नीचे नहीं जाने देंगे और न ही इस बात को बर्दाश्त करेंगे कि इसे टुकड़े-टुकड़े कर अन्य एयरलाइन को दे दिया जाए.
साथ ही यह भी कहा कि कई कर्मचारी 15-25 साल से जेट एयरवेज के साथ हैं.
उन्होंने कहा, "हमने इस कंपनी को अपना पसीना, खून और आंसू दिए हैं. हम में से कई लोग जो इस कंपनी को छोड़ चुके हैं, एक बार ही नहीं बल्कि दो-तीन बार वापस आए हैं."
कैश की किल्लत से परेशान जेट एयरवेज ने 17 अप्रैल को अस्थायी रूप से परिचालन बंद कर दिया था. शनिवार को सीईओ विनय दूबे सहित वरिष्ठ एयरलाइन अधिकारियों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की.
दुबे ने कहा कि जेटली ने उन मुद्दों पर गौर करने का आश्वासन दिया, जिन्होंने नकदी से बंधी एयरलाइन को परिचालन को अस्थायी रूप से रोकने के लिए मजबूर किया था.
जेटली के साथ दिल्ली में उनके आवास पर महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खारोला, एयरलाइन के मुख्य वित्तीय अधिकारी अमित अग्रवाल, पायलटों, इंजीनियरों, केबिन क्रू और ग्राउंड स्टाफ यूनियनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.
इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एयर इंडिया के साथ जेट एयरवेज को मिलाने का सुझाव दिया है.
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