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मुश्किल दौर में इंडिगो को बेचने पर जोर दे रहे थे गंगवाल: भाटिया समूह

गंगवाल ने इंटरग्लोब एविएशन में कंपनी संचालन में खामियों का मुद्दा उठाते हुए बाजार नियामक सेबी से हस्तक्षेप की मांग की है. इंटरग्लोब एविएशन देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो की मूल कंपनी है. इसमें भाटिया समूह की करीब 38 प्रतिशत जबकि गंगवाल पक्ष की करीब 37 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

मुश्किल दौर में इंडिगो को बेचने पर जोर दे रहे थे गंगवाल: भाटिया समूह
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Published : Jul 15, 2019, 3:49 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 4:49 PM IST

नई दिल्ली: इंडिगो के सह-संस्थापक राहुल भाटिया समूह ने कहा कि प्रवर्तक समूहों के बीच की व्यवस्था शुरू से ही पारदर्शी रही है. समूह ने रविवार को दावा किया कि राकेश गंगवाल ने हमेशा ही अपने वित्तीय जोखिमों को कम रखने पर ध्यान दिया और संकट में ऐसा भी समय आया जब वह कंपनी को बेचने पर जोर दे रहे थे.

भाटिया समूह का कहना है कि जोखिम से बचकर दूर भागने वाले अब कंपनी संचालन के मुद्दों को लेकर बेवजह विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- एलजी का 'ओपन सेल टेलीविजन पैनल' को आयात शुल्क से छूट देने का अनुरोध

इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज (आईजीई) के दो प्रवर्तक समूहों में गहराते विवाद के बीच भाटिया समूह ने मुद्दों को स्पष्ट करने और गंगवाल के आरोपों को खारिज करते हुए एक सप्ताह के अंदर तीन बयान जारी किए हैं.

गंगवाल ने इंटरग्लोब एविएशन में कंपनी संचालन में खामियों का मुद्दा उठाते हुए बाजार नियामक सेबी से हस्तक्षेप की मांग की है. इंटरग्लोब एविएशन देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो की मूल कंपनी है. इसमें भाटिया समूह की करीब 38 प्रतिशत जबकि गंगवाल पक्ष की करीब 37 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

भाटिया समूह ने बयान में कहा, "महत्वपूर्ण बात यह है कि विमान कंपनी जब नई नई कारोबार शुरू कर रही थी तब बुरे दौर में उसे आईजीई समूह के भरोसे छोड़ दिया गया था. उस समय गंगवाल आसपास नहीं दिखे. ऐसा भी समय आया जब वह अपने को जोखिम मुक्त करना चाहते थे और उन्होंने कारोबार बेचने पर जोर दिया."

समूह ने कहा कि गंगवाल को कई चीजों पर जवाब देना होगा. इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि क्या कारोबारी लोगों द्वारा किये गये समझौतों की कोई पवित्रता होती है अथवा नहीं.

बयान में कहा गया, "क्या व्यवसायिक नैतिकता और मूल्य समझौते के तहत फायदा उठाने के बाद सामने वाले पक्ष को अपनी सुविधा के मुताबिक दायित्वों से पीछे हटने और खुद के प्रताडित होने का दिखावा करने की अनुमति देता है ?"

एयरबस से विमानों की खरीद का जिक्र करते हुए समूह ने कहा कि आईजीई समूह और गंगवाल ने नवंबर 2005 में इंडिगो के समर्थन के लिए साझा प्रतिबद्धता जताई थी. जिसके तहत दोनों पक्षों को एयरलाइन में कम से कम 5 करोड़ डॉलर का निवेश करने और अंतिम विमान की आपूर्ति तक इस निवेश को बरकरार रखने का वादा किया था.

ये भी पढ़ें- सरकार और सेबी ने इंडिगो में कंपनी संचालन में कमियों की जांच तेज की

समूह ने दावा किया, "चूंकि गंगवाल को और कोई वित्तीय जोखिम या दायित्व नहीं लेना चाहते थे, आईजीई ने अकेले ही इंडिगो में 110 करोड़ रुपये का निवेश करने की जिम्मेदारी ली, ताकि 99 करोड़ रुपये के मौजूदा निवेश के साथ एयरबस द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा किया जा सके."

समूह ने कहा, "कपिल भाटिया और राहुल भाटिया ने इंडिगो को व्यक्तिगत कर्ज दिया और विभिन्न आवश्यकताओं जैसे विमान अधिग्रहण, और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए बैंकों को व्यक्तिगत गारंटी दी."

नई दिल्ली: इंडिगो के सह-संस्थापक राहुल भाटिया समूह ने कहा कि प्रवर्तक समूहों के बीच की व्यवस्था शुरू से ही पारदर्शी रही है. समूह ने रविवार को दावा किया कि राकेश गंगवाल ने हमेशा ही अपने वित्तीय जोखिमों को कम रखने पर ध्यान दिया और संकट में ऐसा भी समय आया जब वह कंपनी को बेचने पर जोर दे रहे थे.

भाटिया समूह का कहना है कि जोखिम से बचकर दूर भागने वाले अब कंपनी संचालन के मुद्दों को लेकर बेवजह विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

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इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज (आईजीई) के दो प्रवर्तक समूहों में गहराते विवाद के बीच भाटिया समूह ने मुद्दों को स्पष्ट करने और गंगवाल के आरोपों को खारिज करते हुए एक सप्ताह के अंदर तीन बयान जारी किए हैं.

गंगवाल ने इंटरग्लोब एविएशन में कंपनी संचालन में खामियों का मुद्दा उठाते हुए बाजार नियामक सेबी से हस्तक्षेप की मांग की है. इंटरग्लोब एविएशन देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो की मूल कंपनी है. इसमें भाटिया समूह की करीब 38 प्रतिशत जबकि गंगवाल पक्ष की करीब 37 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

भाटिया समूह ने बयान में कहा, "महत्वपूर्ण बात यह है कि विमान कंपनी जब नई नई कारोबार शुरू कर रही थी तब बुरे दौर में उसे आईजीई समूह के भरोसे छोड़ दिया गया था. उस समय गंगवाल आसपास नहीं दिखे. ऐसा भी समय आया जब वह अपने को जोखिम मुक्त करना चाहते थे और उन्होंने कारोबार बेचने पर जोर दिया."

समूह ने कहा कि गंगवाल को कई चीजों पर जवाब देना होगा. इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि क्या कारोबारी लोगों द्वारा किये गये समझौतों की कोई पवित्रता होती है अथवा नहीं.

बयान में कहा गया, "क्या व्यवसायिक नैतिकता और मूल्य समझौते के तहत फायदा उठाने के बाद सामने वाले पक्ष को अपनी सुविधा के मुताबिक दायित्वों से पीछे हटने और खुद के प्रताडित होने का दिखावा करने की अनुमति देता है ?"

एयरबस से विमानों की खरीद का जिक्र करते हुए समूह ने कहा कि आईजीई समूह और गंगवाल ने नवंबर 2005 में इंडिगो के समर्थन के लिए साझा प्रतिबद्धता जताई थी. जिसके तहत दोनों पक्षों को एयरलाइन में कम से कम 5 करोड़ डॉलर का निवेश करने और अंतिम विमान की आपूर्ति तक इस निवेश को बरकरार रखने का वादा किया था.

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समूह ने दावा किया, "चूंकि गंगवाल को और कोई वित्तीय जोखिम या दायित्व नहीं लेना चाहते थे, आईजीई ने अकेले ही इंडिगो में 110 करोड़ रुपये का निवेश करने की जिम्मेदारी ली, ताकि 99 करोड़ रुपये के मौजूदा निवेश के साथ एयरबस द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा किया जा सके."

समूह ने कहा, "कपिल भाटिया और राहुल भाटिया ने इंडिगो को व्यक्तिगत कर्ज दिया और विभिन्न आवश्यकताओं जैसे विमान अधिग्रहण, और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए बैंकों को व्यक्तिगत गारंटी दी."

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मुश्किल दौर में इंडिगो को बेचने पर जोर दे रहे थे गंगवाल: भाटिया समूह

नई दिल्ली: इंडिगो के सह-संस्थापक राहुल भाटिया समूह ने कहा कि प्रवर्तक समूहों के बीच की व्यवस्था शुरू से ही पारदर्शी रही है. समूह ने रविवार को दावा किया कि राकेश गंगवाल ने हमेशा ही अपने वित्तीय जोखिमों को कम रखने पर ध्यान दिया और संकट में ऐसा भी समय आया जब वह कंपनी को बेचने पर जोर दे रहे थे.

भाटिया समूह का कहना है कि जोखिम से बचकर दूर भागने वाले अब कंपनी संचालन के मुद्दों को लेकर बेवजह विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज (आईजीई) के दो प्रवर्तक समूहों में गहराते विवाद के बीच भाटिया समूह ने मुद्दों को स्पष्ट करने और गंगवाल के आरोपों को खारिज करते हुए एक सप्ताह के अंदर तीन बयान जारी किए हैं. 

गंगवाल ने इंटरग्लोब एविएशन में कंपनी संचालन में खामियों का मुद्दा उठाते हुए बाजार नियामक सेबी से हस्तक्षेप की मांग की है. इंटरग्लोब एविएशन देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो की मूल कंपनी है. इसमें भाटिया समूह की करीब 38 प्रतिशत जबकि गंगवाल पक्ष की करीब 37 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 

भाटिया समूह ने बयान में कहा, "महत्वपूर्ण बात यह है कि विमान कंपनी जब नई नई कारोबार शुरू कर रही थी तब बुरे दौर में उसे आईजीई समूह के भरोसे छोड़ दिया गया था. उस समय गंगवाल आसपास नहीं दिखे. ऐसा भी समय आया जब वह अपने को जोखिम मुक्त करना चाहते थे और उन्होंने कारोबार बेचने पर जोर दिया." 

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समूह ने कहा कि गंगवाल को कई चीजों पर जवाब देना होगा. इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि क्या कारोबारी लोगों द्वारा किये गये समझौतों की कोई पवित्रता होती है अथवा नहीं. 

बयान में कहा गया, "क्या व्यवसायिक नैतिकता और मूल्य समझौते के तहत फायदा उठाने के बाद सामने वाले पक्ष को अपनी सुविधा के मुताबिक दायित्वों से पीछे हटने और खुद के प्रताडित होने का दिखावा करने की अनुमति देता है ?" 

एयरबस से विमानों की खरीद का जिक्र करते हुए समूह ने कहा कि आईजीई समूह और गंगवाल ने नवंबर 2005 में इंडिगो के समर्थन के लिए साझा प्रतिबद्धता जताई थी.  जिसके तहत दोनों पक्षों को एयरलाइन में कम से कम 5 करोड़ डॉलर का निवेश करने और अंतिम विमान की आपूर्ति तक इस निवेश को बरकरार रखने का वादा किया था. 

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समूह ने दावा किया, "चूंकि गंगवाल को और कोई वित्तीय जोखिम या दायित्व नहीं लेना चाहते थे, आईजीई ने अकेले ही इंडिगो में 110 करोड़ रुपये का निवेश करने की जिम्मेदारी ली, ताकि 99 करोड़ रुपये के मौजूदा निवेश के साथ एयरबस द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा किया जा सके."

समूह ने कहा, "कपिल भाटिया और राहुल भाटिया ने इंडिगो को व्यक्तिगत कर्ज दिया और विभिन्न आवश्यकताओं जैसे विमान अधिग्रहण, और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए बैंकों को व्यक्तिगत गारंटी दी."


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Last Updated : Jul 15, 2019, 4:49 PM IST
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