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एचपीसीएल-एमआरपीएल विलय में गतिरोध; ओएनजीसी नकद लेनदेन में चाहती है सौदा

देश की सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादक ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने पिछले साल 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल का अधिग्रहण किया था. इस अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी की रिफाइनिंग से जुड़ी अनुषंगी कंपनियों की संख्या बढ़कर एक से दो हो गयीं- एचपीसीएल और एमआरपीएल.

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Published : Apr 28, 2019, 4:37 PM IST

नई दिल्ली : मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड (एमआरपीएल) के अधिग्रहण की हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की योजना में फिलहाल गतिरोध खड़ा हो गया है क्योंकि उसकी मूल कंपनी ओएनजीसी शेयरों की अदला-बदली की बजाय नकद राशि में यह सौदा करना चाहती है.

देश की सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादक ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने पिछले साल 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल का अधिग्रहण किया था. इस अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी की रिफाइनिंग से जुड़ी अनुषंगी कंपनियों की संख्या बढ़कर एक से दो हो गयीं- एचपीसीएल और एमआरपीएल.

एचपीसीएल का ओएनजीसी द्वारा अधिग्रहण किये जाने के बाद से परिचालन संबंधी तालमेल का हवाला देते हुए एचपीसीएल के साथ एमआरपीएल के विलय की कोशिशों में तेजी आई है. एचपीसीएल इस विलय सौदे को नकद राशि एवं शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से करना चाहती है. इस अधिग्रहण के बाद एचपीसीएल भारत की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी बन जाएगी.

हालांकि, ओएनजीसी इस सौदे को नकद लेनदेन के आधार पर ही करना चाहती है क्योंकि एचपीसीएल के शेयरों में गिरावट का रुख है. सूत्रों ने बताया कि एचपीसीएल ने अब तक एमआरपीएल के अधिग्रहण के लिए कोई ठोस योजना पेश नहीं की है.

सौदे के बारे में मुख्य रूप से पेट्रोलियम मंत्रालय और मीडिया के जरिए ही बात कर रही है. ओएनजीसी चाहती है कि विलय से जु़ड़ी बातचीत की शुरुआत के लिए वह एक ठोस योजना पेश करे. एमआरपीएल में ओएनजीसी की 71.63 प्रतिशत हिस्सेदारी है. एचपीसीएल, एमआरपीएल में ओएनजीसी की हिस्सेदारी की खरीद के जरिए एमआरपीएल का अधिग्रहण कर सकती है.

शुक्रवार के शेयर मूल्य के आधार पर एमआरपीएल में ओएनजीसी की हिस्सेदारी का मूल्य 9,300 करोड़ रुपये बैठता है. दूसरा विकल्प शेयरों की अदला-बदली से जुड़ा है. इसमें ओएनजीसी, एमआरपीएल के नियंत्रण के बदले एचपीसीएल की अधिक हिस्सेदारी अपने पास रख सकती है. तीसरे विकल्प में नकद राशि के साथ ही और शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से सौदा हो सकता है.
ये भी पढ़ें : हर महीने 15 लाख ऑर्डर की डिलीवरी करती है स्विगी

नई दिल्ली : मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड (एमआरपीएल) के अधिग्रहण की हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की योजना में फिलहाल गतिरोध खड़ा हो गया है क्योंकि उसकी मूल कंपनी ओएनजीसी शेयरों की अदला-बदली की बजाय नकद राशि में यह सौदा करना चाहती है.

देश की सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादक ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने पिछले साल 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल का अधिग्रहण किया था. इस अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी की रिफाइनिंग से जुड़ी अनुषंगी कंपनियों की संख्या बढ़कर एक से दो हो गयीं- एचपीसीएल और एमआरपीएल.

एचपीसीएल का ओएनजीसी द्वारा अधिग्रहण किये जाने के बाद से परिचालन संबंधी तालमेल का हवाला देते हुए एचपीसीएल के साथ एमआरपीएल के विलय की कोशिशों में तेजी आई है. एचपीसीएल इस विलय सौदे को नकद राशि एवं शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से करना चाहती है. इस अधिग्रहण के बाद एचपीसीएल भारत की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी बन जाएगी.

हालांकि, ओएनजीसी इस सौदे को नकद लेनदेन के आधार पर ही करना चाहती है क्योंकि एचपीसीएल के शेयरों में गिरावट का रुख है. सूत्रों ने बताया कि एचपीसीएल ने अब तक एमआरपीएल के अधिग्रहण के लिए कोई ठोस योजना पेश नहीं की है.

सौदे के बारे में मुख्य रूप से पेट्रोलियम मंत्रालय और मीडिया के जरिए ही बात कर रही है. ओएनजीसी चाहती है कि विलय से जु़ड़ी बातचीत की शुरुआत के लिए वह एक ठोस योजना पेश करे. एमआरपीएल में ओएनजीसी की 71.63 प्रतिशत हिस्सेदारी है. एचपीसीएल, एमआरपीएल में ओएनजीसी की हिस्सेदारी की खरीद के जरिए एमआरपीएल का अधिग्रहण कर सकती है.

शुक्रवार के शेयर मूल्य के आधार पर एमआरपीएल में ओएनजीसी की हिस्सेदारी का मूल्य 9,300 करोड़ रुपये बैठता है. दूसरा विकल्प शेयरों की अदला-बदली से जुड़ा है. इसमें ओएनजीसी, एमआरपीएल के नियंत्रण के बदले एचपीसीएल की अधिक हिस्सेदारी अपने पास रख सकती है. तीसरे विकल्प में नकद राशि के साथ ही और शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से सौदा हो सकता है.
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नई दिल्ली : मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड (एमआरपीएल) के अधिग्रहण की हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की योजना में फिलहाल गतिरोध खड़ा हो गया है क्योंकि उसकी मूल कंपनी ओएनजीसी शेयरों की अदला-बदली की बजाय नकद राशि में यह सौदा करना चाहती है.

देश की सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादक ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने पिछले साल 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल का अधिग्रहण किया था. इस अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी की रिफाइनिंग से जुड़ी अनुषंगी कंपनियों की संख्या बढ़कर एक से दो हो गयीं- एचपीसीएल और एमआरपीएल.

एचपीसीएल का ओएनजीसी द्वारा अधिग्रहण किये जाने के बाद से परिचालन संबंधी तालमेल का हवाला देते हुए एचपीसीएल के साथ एमआरपीएल के विलय की कोशिशों में तेजी आई है. एचपीसीएल इस विलय सौदे को नकद राशि एवं शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से करना चाहती है. इस अधिग्रहण के बाद एचपीसीएल भारत की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी बन जाएगी.

हालांकि, ओएनजीसी इस सौदे को नकद लेनदेन के आधार पर ही करना चाहती है क्योंकि एचपीसीएल के शेयरों में गिरावट का रुख है. सूत्रों ने बताया कि एचपीसीएल ने अब तक एमआरपीएल के अधिग्रहण के लिए कोई ठोस योजना पेश नहीं की है.

सौदे के बारे में मुख्य रूप से पेट्रोलियम मंत्रालय और मीडिया के जरिए ही बात कर रही है. ओएनजीसी चाहती है कि विलय से जु़ड़ी बातचीत की शुरुआत के लिए वह एक ठोस योजना पेश करे. एमआरपीएल में ओएनजीसी की 71.63 प्रतिशत हिस्सेदारी है. एचपीसीएल, एमआरपीएल में ओएनजीसी की हिस्सेदारी की खरीद के जरिए एमआरपीएल का अधिग्रहण कर सकती है.

शुक्रवार के शेयर मूल्य के आधार पर एमआरपीएल में ओएनजीसी की हिस्सेदारी का मूल्य 9,300 करोड़ रुपये बैठता है. दूसरा विकल्प शेयरों की अदला-बदली से जुड़ा है. इसमें ओएनजीसी, एमआरपीएल के नियंत्रण के बदले एचपीसीएल की अधिक हिस्सेदारी अपने पास रख सकती है. तीसरे विकल्प में नकद राशि के साथ ही और शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से सौदा हो सकता है.

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