नई दिल्ली : कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को इक्विटी के जरिए बकाया राशि का भुगतान करने का विकल्प दिया है और यह भी बताया है कि उसकी किसी भी दूरसंचार कंपनी के अधिग्रहण में कोई दिलचस्पी नहीं है.
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रविंदर टक्कर ने एक साक्षात्कार में कहा कि यह साफ है कि सरकार चाहती है कि कंपनी बाजार में प्रतिस्पर्धा करे और दूरसंचार क्षेत्र में कम से कम तीन निजी सेवा प्रदाता हों.
उन्होंने कहा, इस घोषणा (दूरसंचार सुधार) तक सरकार के विभिन्न हिस्सों में मेरी कई बार बातचीत हुई है. मेरी सभी बातचीत में यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सरकार को किसी अन्य दूरसंचार कंपनी के स्वामित्व या अधिग्रहण या संचालन में कोई दिलचस्पी नहीं है. सरकार पहले ही घाटे में चल रही दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल का प्रबंधन कर रही है. इन्हें अक्टूबर, 2019 में लगभग ₹69,000 करोड़ का राहत पैकेज दिया गया था.
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कुछ विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि यदि दूरसंचार इक्विटी के जरिए संचयी ब्याज या वार्षिक किस्तों का भुगतान करने का विकल्प चुना गया तो सरकार वीआईएल में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकती है. रविंदर टक्कर ने कहा उन्होंने सरकार बिल्कुल साफ कर दिया है कि वे चाहते हैं कि तीन निजी खिलाड़ी बने रहें. वे चाहते हैं कि हम बाजार में प्रतिस्पर्धा करें. वे चाहते हैं कि हम प्रतिस्पर्धी तरीके से काम करें.
वीआईएल का कुल कर्ज 30 जून, 2021 तक ₹1.91 लाख करोड़ था. इसमें ₹1.06 लाख करोड़ का स्पेक्ट्रम भुगतान दायित्व और ₹62,180 करोड़ की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की देयता शामिल है. इसके अलावा कंपनी को बैंकों और वित्तीय संस्थानों का ₹23,400 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है.
(पीटीआई-भाषा)