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CBI को आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ मिले इलेक्ट्रॉनिक सबूत, हो सकते हैं अज्ञात योगी! - Anand Subramaniam could be the unknown yogi of Chitra Ramkrishna

CBI के सूत्रों के मुताबिक, इस बात के सबूत मिले हैं कि सुब्रमण्यम के चेन्नई स्थित आवास के पास ही उस मोबाइल का लोकेशन (electronic evidence against Anand Subramaniam) था, जिससे चित्रा को ई-मेल भेजे गये थे. सूत्रों ने बताया कि योगी द्वारा भेजे गये ई-मेल तक आनंद की पहुंच थी, इसलिए यह संदेह मजबूत होता है कि वह खुद ही योगी था.

आनंद सुब्रमण्यम
आनंद सुब्रमण्यम
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Published : Feb 27, 2022, 8:35 PM IST

नयी दिल्ली : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) धोखाधड़ी मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इस बात के इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिले हैं कि NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्णा की मेहरबानी से भारी-भरकम पैकेज पा रहा आनंद सुब्रमण्यम ही अज्ञात योगी हो सकता (Anand Subramaniam could be the unknown yogi of Chitra Ramkrishna) है. CBI ने गत गुरुवार को आनंद सुब्रमण्यम को हिरासत में लिया था. दिल्ली की एक अदालत ने आनंद को छह मार्च तक CBI की हिरासत में भेजने का आदेश दिया था.

आनंद को कथित रूप से योगी के कहने पर चित्रा ने भारी-भरकम पैकेज देकर NSE में नियुक्त किया था. इस्तीफे के वक्त आनंद NSE का समूह संचालन अधिकारी था. CBI के सूत्रों के मुताबिक, इस बात के सबूत मिले हैं कि सुब्रमण्यम के चेन्नई स्थित आवास के पास ही उस मोबाइल का लोकेशन था, जिससे चित्रा को ई-मेल भेजे गये थे.

सूत्रों ने बताया कि योगी द्वारा भेजे गये ई-मेल तक आनंद की पहुंच थी, इसलिए यह संदेह मजबूत होता है कि वह खुद ही योगी था. इसके अलावा यह संदेह है कि आनंद ई-मेल को संशोधित करके उन्हें योगी के नाम से भेजता था. CBI फिलहाल आनंद का बयान रिकॉर्ड कर रही है. सूत्रों के अनुसार, CBI की एक टीम को मुम्बई में सेबी के कार्यालय में भी आपत्तिजनक दस्तावेज, सबूत और डिजिटल दस्तावेज मिले (electronic evidence against Anand Subramaniam) हैं, जो आरोपियों के झूठ को बेनकाब करने वाले हैं. CBI सभी आरोपियों के खिलाफ मजबूत मामला तैयार कर रही है, ताकि अदालत में उन्हें अपना पक्ष रखने में मदद मिले. CBI ने आधिकारिक रूप से यह पुष्टि नहीं की है कि आनंद ही अज्ञात योगी है.

CBI ने 19 फरवरी को NSE के पूर्व निदेशक रवि नारायण से भी पूछताछ की थी. रवि नारायण चित्रा से पहले NSE की कमान संभाल रहे थे. रवि नारायण से CBI ने दिल्ली में चित्रा से मुम्बई में पूछताछ की. दोनों कई सवालों से बचते नजर आए. CBI की तरह NSE और इसका फॉरेंसिक ऑडिट करने वाले फर्म ईवाई का भी यही मानना है कि आनंद ही योगी है. हालांकि, सेबी की राय इनसे काफी जुदा है. सेबी के 11 फरवरी को जारी आदेश के अनुसार, आनंद अज्ञात योगी के संपर्क में है, लेकिन वह खुद योगी नहीं है.

पढ़ें : एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्णा के खिलाफ CBI का लुकआउट सर्कुलर जारी

सेबी का कहना है कि आनंद NSE में खुद शीर्ष पद पर था. उसकी पहुंच गोपनीय जानकारियों तक खुद थी, तो फिर ऐसी स्थिति में चित्रा उसे ई-मेल के जरिये गोपनीय जानकारियां क्यों भेजती. चित्रा ने योगी के साथ NSE के पांच साल के वित्तीय अनुमान, लाभांश, NSE के निदेशक मंडल की बैठक का एजेंडा, कर्मचारियों की रेटिंग के बारे में सलाह आदि जानकारियां साझा की थीं. SEBI ने चित्रा पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगााया था.

कानून विशेषज्ञों ने कहा कि अगर आनंद को ही योगी मान लिया जाता है तो संवेदनशील तथा गोपनीय जानकारियां बाहरी व्यक्ति के साथ साझा करने का जो आरोप चित्रा पर लगा है, वह खारिज हो जाएगा. SEBI ने कहा है कि चित्रा अज्ञात योगी की पहचान नहीं उजागर करना चाहती है और इसी के कारण उसने ऐसा दावा किया है कि वह आध्यात्मिक शक्ति है. SEBI के मुताबिक चित्रा ने NSE के समक्ष गलत और भ्रामक बयान दिया है.

(आईएएनएस)

नयी दिल्ली : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) धोखाधड़ी मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इस बात के इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिले हैं कि NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्णा की मेहरबानी से भारी-भरकम पैकेज पा रहा आनंद सुब्रमण्यम ही अज्ञात योगी हो सकता (Anand Subramaniam could be the unknown yogi of Chitra Ramkrishna) है. CBI ने गत गुरुवार को आनंद सुब्रमण्यम को हिरासत में लिया था. दिल्ली की एक अदालत ने आनंद को छह मार्च तक CBI की हिरासत में भेजने का आदेश दिया था.

आनंद को कथित रूप से योगी के कहने पर चित्रा ने भारी-भरकम पैकेज देकर NSE में नियुक्त किया था. इस्तीफे के वक्त आनंद NSE का समूह संचालन अधिकारी था. CBI के सूत्रों के मुताबिक, इस बात के सबूत मिले हैं कि सुब्रमण्यम के चेन्नई स्थित आवास के पास ही उस मोबाइल का लोकेशन था, जिससे चित्रा को ई-मेल भेजे गये थे.

सूत्रों ने बताया कि योगी द्वारा भेजे गये ई-मेल तक आनंद की पहुंच थी, इसलिए यह संदेह मजबूत होता है कि वह खुद ही योगी था. इसके अलावा यह संदेह है कि आनंद ई-मेल को संशोधित करके उन्हें योगी के नाम से भेजता था. CBI फिलहाल आनंद का बयान रिकॉर्ड कर रही है. सूत्रों के अनुसार, CBI की एक टीम को मुम्बई में सेबी के कार्यालय में भी आपत्तिजनक दस्तावेज, सबूत और डिजिटल दस्तावेज मिले (electronic evidence against Anand Subramaniam) हैं, जो आरोपियों के झूठ को बेनकाब करने वाले हैं. CBI सभी आरोपियों के खिलाफ मजबूत मामला तैयार कर रही है, ताकि अदालत में उन्हें अपना पक्ष रखने में मदद मिले. CBI ने आधिकारिक रूप से यह पुष्टि नहीं की है कि आनंद ही अज्ञात योगी है.

CBI ने 19 फरवरी को NSE के पूर्व निदेशक रवि नारायण से भी पूछताछ की थी. रवि नारायण चित्रा से पहले NSE की कमान संभाल रहे थे. रवि नारायण से CBI ने दिल्ली में चित्रा से मुम्बई में पूछताछ की. दोनों कई सवालों से बचते नजर आए. CBI की तरह NSE और इसका फॉरेंसिक ऑडिट करने वाले फर्म ईवाई का भी यही मानना है कि आनंद ही योगी है. हालांकि, सेबी की राय इनसे काफी जुदा है. सेबी के 11 फरवरी को जारी आदेश के अनुसार, आनंद अज्ञात योगी के संपर्क में है, लेकिन वह खुद योगी नहीं है.

पढ़ें : एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्णा के खिलाफ CBI का लुकआउट सर्कुलर जारी

सेबी का कहना है कि आनंद NSE में खुद शीर्ष पद पर था. उसकी पहुंच गोपनीय जानकारियों तक खुद थी, तो फिर ऐसी स्थिति में चित्रा उसे ई-मेल के जरिये गोपनीय जानकारियां क्यों भेजती. चित्रा ने योगी के साथ NSE के पांच साल के वित्तीय अनुमान, लाभांश, NSE के निदेशक मंडल की बैठक का एजेंडा, कर्मचारियों की रेटिंग के बारे में सलाह आदि जानकारियां साझा की थीं. SEBI ने चित्रा पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगााया था.

कानून विशेषज्ञों ने कहा कि अगर आनंद को ही योगी मान लिया जाता है तो संवेदनशील तथा गोपनीय जानकारियां बाहरी व्यक्ति के साथ साझा करने का जो आरोप चित्रा पर लगा है, वह खारिज हो जाएगा. SEBI ने कहा है कि चित्रा अज्ञात योगी की पहचान नहीं उजागर करना चाहती है और इसी के कारण उसने ऐसा दावा किया है कि वह आध्यात्मिक शक्ति है. SEBI के मुताबिक चित्रा ने NSE के समक्ष गलत और भ्रामक बयान दिया है.

(आईएएनएस)

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