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Apple ने चीन के साथ 275 अरब डालर का किया सौदा, जानें वजह

एप्पल इंक (Apple Inc) ने 2016 में चीन के साथ पांच साल का समझौता किया था. यह समझौता टिम कुक ने तब किया था, जब वह एप्पल के खिलाफ कई नियामक कार्रवाई को रद्द करने के लिए चीन के पास पहुंचे थे.

एप्पल इंक
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Published : Dec 8, 2021, 11:08 AM IST

बेंगलुरु : दुनिया की प्रतिष्ठित टेक्नोलाजी कंपनी एप्पल इंक (technology company Apple Inc) ने चीन के अधिकारियों के साथ 275 अरब डालर का एक करार किया था. इसका मकसद चीन में कंपनी के उत्पादों और सेवाओं पर संभावित खतरे को रोकना था. इसका खुलासा 'द इंफॉर्मेशन' की एक रिपोर्ट से हुआ है.

एप्पल के सीईओ टिम कुक (Apple Inc Chief Executive Tim Cook) ने 2016 में अपनी चीन यात्रा के दौरान पांच साल के लिए यह करार किया था.

खबरों के अनुसार, उस समय चीन में कंपनी के उत्पादों और सेवाओं पर कई तरह के नियामकीय प्रतिबंधों का खतरा (regulatory action against Apple) था. एप्पल के आंतरिक दस्तावेज में इन खतरों के बारे में बताया गया है.

पढ़ें : HMSI ने Activa125 Premium Edition उतारा, कीमत ₹78,725 से शुरू

रिपोर्ट के अनुसार, चीन अधिकारियों को ऐसा लगने लगा था कि एप्पल स्थानीय इकोनमी को बढ़ावा देने में पर्याप्त मदद नहीं कर रही है. ऐसे में एप्पल ने चीनी अधिकारियों के साथ लॉबी की और एक चीनी सरकारी एजेंसी के साथ करार किया. इसके तहत चीन को कंपनी की तरफ से विशेष छूट दी गई और बदले में कई कानूनी राहत हासिल किए गए.

करार के तहत एप्पल ने चीन में नए रिटेल स्टोर खोलने, रिसर्च व डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने और नवीन ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने का वादा किया. साथ ही एप्पल ने अपने उपकरणों में चीनी उत्पादों का उपयोग करने, चीनी सॉफ्टवेयर फर्म के साथ समझौते, चीनी विश्वविद्यालयों के साथ प्रौद्योगिकी पर सहयोग करने और तकनीकी कंपनियों में सीधे निवेश करने का वादा भी किया है.

बेंगलुरु : दुनिया की प्रतिष्ठित टेक्नोलाजी कंपनी एप्पल इंक (technology company Apple Inc) ने चीन के अधिकारियों के साथ 275 अरब डालर का एक करार किया था. इसका मकसद चीन में कंपनी के उत्पादों और सेवाओं पर संभावित खतरे को रोकना था. इसका खुलासा 'द इंफॉर्मेशन' की एक रिपोर्ट से हुआ है.

एप्पल के सीईओ टिम कुक (Apple Inc Chief Executive Tim Cook) ने 2016 में अपनी चीन यात्रा के दौरान पांच साल के लिए यह करार किया था.

खबरों के अनुसार, उस समय चीन में कंपनी के उत्पादों और सेवाओं पर कई तरह के नियामकीय प्रतिबंधों का खतरा (regulatory action against Apple) था. एप्पल के आंतरिक दस्तावेज में इन खतरों के बारे में बताया गया है.

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रिपोर्ट के अनुसार, चीन अधिकारियों को ऐसा लगने लगा था कि एप्पल स्थानीय इकोनमी को बढ़ावा देने में पर्याप्त मदद नहीं कर रही है. ऐसे में एप्पल ने चीनी अधिकारियों के साथ लॉबी की और एक चीनी सरकारी एजेंसी के साथ करार किया. इसके तहत चीन को कंपनी की तरफ से विशेष छूट दी गई और बदले में कई कानूनी राहत हासिल किए गए.

करार के तहत एप्पल ने चीन में नए रिटेल स्टोर खोलने, रिसर्च व डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने और नवीन ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने का वादा किया. साथ ही एप्पल ने अपने उपकरणों में चीनी उत्पादों का उपयोग करने, चीनी सॉफ्टवेयर फर्म के साथ समझौते, चीनी विश्वविद्यालयों के साथ प्रौद्योगिकी पर सहयोग करने और तकनीकी कंपनियों में सीधे निवेश करने का वादा भी किया है.

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