नई दिल्ली : थाइलैंड ने ग्वाटेमाला द्वारा भारत में चीनी क्षेत्र में दी जा रही सब्सिडी के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद निपटान व्यवस्था के तहत विचार विमर्श में शामिल होने की इच्छा जताई है.
इससे पहले 25 मार्च को ब्राजील और आस्ट्रेलिया के बाद ग्वाटेमाला ने भारत को डब्ल्यूटीओ में घसीटा था. इन देशों का कहना है कि भारत सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के अनुकूल नहीं है. थाइलैंड ने डब्ल्यूटीओ को भेजे संदेश में इस प्रक्रिया में शामिल होने की इच्छा जताई है.
डब्ल्यूटीओ के लिए एक संचार में, थाइलैंड ने कहा कि वह "भारत-चीनी और गन्ने के बारे में उपाय" नामक दस्तावेज में 25 मार्च 2019 को डब्ल्यूटीओ सदस्यों को प्रसारित संचार में ग्वाटेमाला द्वारा अनुरोधित परामर्श में शामिल होना चाहता है.
थाईलैंड की इन परामर्शों में पर्याप्त व्यापार रुचि है, यह कहते हुए कि 2018 में यह 2,596.78 मिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात मूल्य के साथ चीनी का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था.
उन्होंने कहा, इस पर्याप्त व्यापार हित के परिणामस्वरूप, थाईलैंड सम्मानपूर्वक अनुरोध करता है कि उसे इस विवाद में परामर्श में शामिल होने की अनुमति दी जाए. थाईलैंड इस अनुरोध को स्वीकार करने और परामर्शों की तारीख और स्थान के बारे में सलाह देने के लिए तत्पर है.
परामर्श लेना विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला चरण है. यदि परामर्श के माध्यम से दोनों राष्ट्र परस्पर सहमत समाधान तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो भारत इस मामले की समीक्षा के लिए डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान पैनल के लिए अनुरोध कर सकता है.
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