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मनरेगा मजदूर को कर विभाग ने भेजा 3.5 करोड़ रुपये का जीएसटी बकाया नोटिस - जमशेदपुर में करोड़ों का जीएसटी घोटाला

मुसाबनी में मनरेगा मजदूर के नाम पर फर्जी स्टील कंपनी बनाकर 5.58 करोड़ रुपये जीएसटी फ्रॉड का मामला प्रकाश में आया है.

मनरेगा मजदूर को कर विभाग ने भेजा 3.5 करोड़ रुपये का जीएसटी बकाया नोटिस
मनरेगा मजदूर को कर विभाग ने भेजा 3.5 करोड़ रुपये का जीएसटी बकाया नोटिस
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Published : Dec 4, 2020, 7:19 PM IST

Updated : Dec 4, 2020, 7:39 PM IST

घाटशिला/जमशेदपुरः घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड में जीएसटी घोटाले का अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां जीएसटी अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मजदूर के आधार और पैन कार्ड पर कंपनी को जीएसटी नंबर आवंटित कर दिया.

देखें पूरी खबर.

जानकारी के अनुसार मुसाबनी के रायपहाड़ी गांव निवासी मनरेगा मजदूर लादुम मुर्मू (48) 198 रुपए रोज दिहाड़ी कमाता है. जिसे कर विभाग ने 3.5 करोड़ रुपए जीएसटी भुगतान का नोटिस भेजा. नोटिस अवधि गुजर जाने के बाद भी लादुम ने पैसे जमा नहीं किए तो पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया, लेकिन उसकी हालत देखकर और गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया गया.

पता चला कि उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक का गलत इस्तेमाल कर मेसर्स एसएस स्टील के नाम से फर्जी कंपनी बनाकर व्यवसाय किया गया. जीएसटी अधिकारियों ने भी बिना भौतिक सत्यापन किए कंपनी को जीएसटी नंबर अलॉट कर दिया.

इस फर्जी कंपनी ने वर्ष 2018-19 के नवंबर-दिसंबर माह में त्रिनेत्र ट्रेडर्स, ओमकार ट्रेडर्स, त्रिनाथ इंटरप्राइजेज, आलम मेटल स्टोर, सिंधुजा स्टील और सुभद्रा को कुल 87 ई-वे बिल के जरिए 5,58,05,408 रुपए की स्टील बेची, लेकिन इस लेनदेन का जीएसटी भुगतान नहीं किया गया. इसके एवज में विभाग ने उक्त कंपनी के मालिक को नोटिस भेजा.

यह भी पढ़ेंः कॉन्टैक्टलेस कार्ड भुगतान की सीमा 5,000 रुपये तक बढ़ी, जानिए क्या है इसके मायने

पीड़ित लादुम के अनुसार उसने अपने भतीजे बैला मुर्मू को 2018 में सहकारिता बैंक का पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड अन्य कागजात दिए थे. उसने बताया कि सरकार उसके खाते में हर महीने 2000 रुपये जमा करेगी.

बैला मुर्मू ने सारे कागजात अपने दामाद गाोलूडीह देवली निवासी सुनाराम हेंब्रम को सौंपे. सुनाराम ने जमशेदपुर के सोनारी निवासी सुशांत सामंता को दिए. इसके बाद उसका क्या हुआ, पता नहीं.

उसके खाते में तो अब तक पैसे नहीं आए, लेकिन पिछले साल सितंबर में वाणिज्य कर अधिकारी उसके पास पहुंचे और 3.5 करोड़ रुपए जुर्माना भरने को कहा. भुगतान नहीं करने पर वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त कंचन बरवा की शिकायत पर जीएसटी अधिनियम की धारा 70 और आईपीसी की धारा के तहत मुसाबनी थाने में केस दर्ज कियाा. जमशेदपुर के जीएसटी कोर्ट में उसका बयान दर्ज किया गया. उससे कंपनी के बारे में 7 सवाल किए गए. उसने कंपनी बनाने और लेनदेन की बात से इंकार किया.

घाटशिला/जमशेदपुरः घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड में जीएसटी घोटाले का अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां जीएसटी अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मजदूर के आधार और पैन कार्ड पर कंपनी को जीएसटी नंबर आवंटित कर दिया.

देखें पूरी खबर.

जानकारी के अनुसार मुसाबनी के रायपहाड़ी गांव निवासी मनरेगा मजदूर लादुम मुर्मू (48) 198 रुपए रोज दिहाड़ी कमाता है. जिसे कर विभाग ने 3.5 करोड़ रुपए जीएसटी भुगतान का नोटिस भेजा. नोटिस अवधि गुजर जाने के बाद भी लादुम ने पैसे जमा नहीं किए तो पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया, लेकिन उसकी हालत देखकर और गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया गया.

पता चला कि उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक का गलत इस्तेमाल कर मेसर्स एसएस स्टील के नाम से फर्जी कंपनी बनाकर व्यवसाय किया गया. जीएसटी अधिकारियों ने भी बिना भौतिक सत्यापन किए कंपनी को जीएसटी नंबर अलॉट कर दिया.

इस फर्जी कंपनी ने वर्ष 2018-19 के नवंबर-दिसंबर माह में त्रिनेत्र ट्रेडर्स, ओमकार ट्रेडर्स, त्रिनाथ इंटरप्राइजेज, आलम मेटल स्टोर, सिंधुजा स्टील और सुभद्रा को कुल 87 ई-वे बिल के जरिए 5,58,05,408 रुपए की स्टील बेची, लेकिन इस लेनदेन का जीएसटी भुगतान नहीं किया गया. इसके एवज में विभाग ने उक्त कंपनी के मालिक को नोटिस भेजा.

यह भी पढ़ेंः कॉन्टैक्टलेस कार्ड भुगतान की सीमा 5,000 रुपये तक बढ़ी, जानिए क्या है इसके मायने

पीड़ित लादुम के अनुसार उसने अपने भतीजे बैला मुर्मू को 2018 में सहकारिता बैंक का पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड अन्य कागजात दिए थे. उसने बताया कि सरकार उसके खाते में हर महीने 2000 रुपये जमा करेगी.

बैला मुर्मू ने सारे कागजात अपने दामाद गाोलूडीह देवली निवासी सुनाराम हेंब्रम को सौंपे. सुनाराम ने जमशेदपुर के सोनारी निवासी सुशांत सामंता को दिए. इसके बाद उसका क्या हुआ, पता नहीं.

उसके खाते में तो अब तक पैसे नहीं आए, लेकिन पिछले साल सितंबर में वाणिज्य कर अधिकारी उसके पास पहुंचे और 3.5 करोड़ रुपए जुर्माना भरने को कहा. भुगतान नहीं करने पर वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त कंचन बरवा की शिकायत पर जीएसटी अधिनियम की धारा 70 और आईपीसी की धारा के तहत मुसाबनी थाने में केस दर्ज कियाा. जमशेदपुर के जीएसटी कोर्ट में उसका बयान दर्ज किया गया. उससे कंपनी के बारे में 7 सवाल किए गए. उसने कंपनी बनाने और लेनदेन की बात से इंकार किया.

Last Updated : Dec 4, 2020, 7:39 PM IST

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