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कभी कोविड-19 कर या उपकर लगाने का विचार नहीं रहा : सीतारमण - भारतीय स्टेट बैंक

मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जिस समय दुनिया के विकसित देश भी महामारी से संघर्ष कर रहे थे, भारत ने बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था. हम कोविड 19 कर या उपकर लगाने पर विचार नहीं कर रह हैं.

निर्मला सीतारमण
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Published : Feb 7, 2021, 2:17 PM IST

मुंबई : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का कभी कोविड-19 कर या उपकर लगाने का विचार नहीं रहा है. उन्होंने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.

सीतारमण ने कहा, मुझे नहीं पता कि मीडिया में कोविड-19 कर या उपकर लगाने की चर्चा कैसे शुरू हुई? हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा. कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी से संघर्ष कर रही थीं, हमने इससे बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था.

सीतारमण ने तात्कालिक खर्च के लिए परिवार का कीमती सामान बेचने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विनिवेश पर सरकार की स्पष्ट नीति है. पहली बार ऐसा हुआ है जबकि सरकार करदाताओं के पैसे को सोच-विचार कर खर्च कर रही है.

पढ़ें- महाराष्ट्र में मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करेंगे अमित शाह

उन्होंने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का विचार आया है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी. सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है.

मुंबई : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का कभी कोविड-19 कर या उपकर लगाने का विचार नहीं रहा है. उन्होंने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.

सीतारमण ने कहा, मुझे नहीं पता कि मीडिया में कोविड-19 कर या उपकर लगाने की चर्चा कैसे शुरू हुई? हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा. कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी से संघर्ष कर रही थीं, हमने इससे बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था.

सीतारमण ने तात्कालिक खर्च के लिए परिवार का कीमती सामान बेचने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विनिवेश पर सरकार की स्पष्ट नीति है. पहली बार ऐसा हुआ है जबकि सरकार करदाताओं के पैसे को सोच-विचार कर खर्च कर रही है.

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उन्होंने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का विचार आया है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी. सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है.

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