मुंबई: घरेलू शेयर बाजार पूर्वी यूरोप में व्याप्त भू-राजनीतिक तनाव की वजह से सोमवार को लगातार चौथे कारोबारी दिन भी दबाव में रहे जिससे दोनों मानक सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए. कारोबारियों ने कहा कि विदेशी कोषों की निकासी बने रहने से भी घरेलू शेयर बाजारों पर दबाव बना रहा. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स एशियाई बाजारों के असर में शुरुआती कारोबार में करीब 700 अंक गिर गया था, लेकिन बाद में यह कुछ हद तक सकारात्मक स्थिति में लौटता दिखा. इसके बावजूद कारोबार के अंत में सेंसेक्स 149.38 अंक यानी 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,683.59 अंक पर बंद हुआ.
इसी तर्ज पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 69.65 अंक यानी 0.40 प्रतिशत गिरकर 17,206.65 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स में शामिल तीस में से 21 शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। सन फार्मा, टीसीएस, आईटीसी, टेक महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट और टाइटन के शेयरों को 2.39 प्रतिशत तक नुकसान उठाना पड़ा. इसके उलट सेंसेक्स के शेयरों में से आईटी क्षेत्र की विप्रो और इन्फोसिस लाभ की स्थिति में रहीं. इसके अलावा पावरग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और मारुति सुजुकी के शेयर भी 1.45 प्रतिशत तक के लाभ में रहे.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यूक्रेन संकट को लेकर मुलाकात की संभावना से बाजार को थोड़ी राहत मिली. हालांकि, वैश्विक बाजारो में अनिश्चितता हावी होने से शेयरों पर दबाव देखने को मिल रहा है. नायर ने कहा, ऐसी स्थिति में निवेशकों ने कारोबार से दूरी बनाए रखी जिससे कारोबार की मात्रा पर असर पड़ा. आने वाले दिनों में फेडरल रिजर्व की प्रस्तावित बैठक और पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से उठापटक का दौर बना रह सकता है.
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा कि बाजारों में 'फिलहाल इंतजार करो एवं देखो' का रुख हावी है और वे रूस-यूक्रेन संकट से जुड़े संकेतों पर करीबी निगाह रखे हुए हैं. खंडवार प्रदर्शन की बात करें तो बीएसई के तेल एवं गैस, धातु, बुनियादी सामान, रियल्टी और स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों को 2.18 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा. बीएसई का स्मालकैप सूचकांक 2.20 प्रतिशथ लुढ़क गया जबकि मिडकैप सूचकांक में 0.80 प्रतिशत और लार्जकैप सूचकांक में 0.59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
एशिया के बाजारों में भी नुकसान की स्थिति दर्ज की गई। शुरुआती कारोबार में तो एशियाई बाजारों को तगड़ा नुकसान हुआ था लेकिन बाद में रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन विवाद पर बातचीत की उम्मीद पैदा होने से हालात कुछ बेहतर हुए. इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड गिरावट के साथ 91.43 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा था. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार के मोर्चे पर रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 11 पैसे की मजबूती के साथ 74.55 प्रति डॉलर के भाव पर रहा.
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विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजारों में बिकवाली का सिलसिला जारी रखा है. शेयर बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने शुक्रवार को 2,529.96 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे.
पीटीआई-भाषा