नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अनिल अंबानी समूह की कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लि. (डीएएमईपीएल) के पक्ष में 2017 में आए मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है. इस फैसले का प्रवर्तन दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के खिलाफ किया जाना है.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मध्यस्थता या पंचाट फैसले को रद्द करने के आदेश को खारिज कर दिया है. डीएएमईपीएल सुरक्षा मुद्दों की वजह से एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के परिचालन से बाहर निकल गई थी.
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार डीएएमईपीएल के पक्ष में यह फैसला ब्याज सहित 63.2 करोड़ डॉलर या ₹4,600 करोड़ से अधिक का है. मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने मई, 2017 में अपने फैसले में एयरपोर्ट मेट्रो की परिचालक के इस दावे को स्वीकार कर लिया था कि संरचनात्मक खामियों की वजह से इस लाइन पर परिचालन व्यावहारिक नहीं है.
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कंपनी के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि डीएएमईपीएल इस राशि का इस्तेमाल अपने ऋणदाताओं को बकाया के भुगतान के लिए करेगी. डीएएमईपीएल ने 2008 में एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का परिचालन 2038 तक करने के लिए डीएमआरसी से करार किया था. दोनों पक्षों के बीच विवाद के बाद डीएएमईपीएल ने एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का परिचालन रोक दिया था.
(पीटीआई-भाषा)