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यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र आंकड़ों का दुरुपयोग रोकने के लिये याचिका पर न्यायालय सुनवाई करेगा - फेसबुक

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने याचिका पर केन्द्र, रिजर्व बैंक, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और गूगल इंक, फेसबुक इंक, व्हाटसऐप और अमेजन इंक सहित अन्य को नोटिस जारी किये. इन सभी को चार सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं.

यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र आंकड़ों का दुरुपयोग रोकने के लिये याचिका पर न्यायालय सुनवाई करेगा
यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र आंकड़ों का दुरुपयोग रोकने के लिये याचिका पर न्यायालय सुनवाई करेगा
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Published : Oct 16, 2020, 7:45 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र किये गये आंकड़ों का दुरुपयोग रोकने तथा यह सुनिश्चित करने के लिये कि किसी भी अन्य भुगतान प्रक्रिया के लिये इसका उपयोग नहीं हो सके, उचित नियम बनाने का रिजर्व बैंक को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई के लिये बृहस्पतिवार को तैयार हो गया. यह याचिका राज्यसभा सदस्य बिनय विश्वम ने दायर की है.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने याचिका पर केन्द्र, रिजर्व बैंक, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और गूगल इंक, फेसबुक इंक, व्हाटसऐप और अमेजन इंक सहित अन्य को नोटिस जारी किये. इन सभी को चार सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं.

विश्वम ने अपनी याचिका में रिजर्व बैंक और एनपीसीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है कि यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र किये आंकड़े उनकी मूल कंपनी या किसी भी तीसरे पक्ष के साथ किसी भी हालत में साझा नहीं किये जायें.

इस सांसद ने कहा है कि उन्होंने यह याचिका यूपीआई का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों भारतीय नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिये दायर की है.

याचिका में कहा गया है कि भारत में यूपीआई भुगतान प्रणाली रिजर्व बैंक और एनपीसीआई की निगरानी में नियंत्रित होती है, लेकिन रिजर्व बैंक और एनपीसीआई अपने विधायी दायित्वों का निर्वहन करके उपभोक्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा और संरक्षा करने की बजाय भारतीय उपभोक्ताओं के हितों के साथ समझौता करके विदेशी इकाइयों को भारत में अपनी भुगतान सेवा चलाने की अनुमति दे रही है.

ये भी पढ़ें: मार्केट राउंडअप: सप्ताह के आखिरी दिन तेजी के साथ बंद हुए बाजार, पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर

याचिका में दावा किया गया है कि रिजर्व बैंक और एनपीसीआई ने 'चार बड़ी टेक कंपनियों' अमेजन, गूगल और फेसबुक/व्हाट्सऐप (बीटा फेस) को ज्यादा जांच पड़ताल के बगैर ही यूपीआई प्रणाली में शामिल होने की अनुमति दे दी है.

याचिका में दावा किया गया है कि रिजर्व बैंक ने 'एफएक्यू' जारी करके अप्रैल 2018 के परिपत्र की भाषा हल्की करके घरेलू सौदों सहित भुगतान के सारे लेन-देन की प्रक्रिया विदेश में करने की अनुमति दे दी है.

याचिका के अनुसार इस एफएक्यू में स्पष्ट किया गया है कि अगर आंकड़ों की प्रोसेसिंग विदेश में की जाती है तो ये आंकड़े विदेशी व्यवस्था से हटाये जाने चाहिए और 24 घंटे के भीतर उन्हें भारत में लाया जाना चाहिए.

याचिका में रिजर्व बैंक द्वारा 28 जून, 2019 को जारी एफएक्यू को छह अप्रैल, 2018 के परिपत्र के खिलाफ घोषित करने का अनुरोध किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र किये गये आंकड़ों का दुरुपयोग रोकने तथा यह सुनिश्चित करने के लिये कि किसी भी अन्य भुगतान प्रक्रिया के लिये इसका उपयोग नहीं हो सके, उचित नियम बनाने का रिजर्व बैंक को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई के लिये बृहस्पतिवार को तैयार हो गया. यह याचिका राज्यसभा सदस्य बिनय विश्वम ने दायर की है.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने याचिका पर केन्द्र, रिजर्व बैंक, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और गूगल इंक, फेसबुक इंक, व्हाटसऐप और अमेजन इंक सहित अन्य को नोटिस जारी किये. इन सभी को चार सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं.

विश्वम ने अपनी याचिका में रिजर्व बैंक और एनपीसीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है कि यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर एकत्र किये आंकड़े उनकी मूल कंपनी या किसी भी तीसरे पक्ष के साथ किसी भी हालत में साझा नहीं किये जायें.

इस सांसद ने कहा है कि उन्होंने यह याचिका यूपीआई का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों भारतीय नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिये दायर की है.

याचिका में कहा गया है कि भारत में यूपीआई भुगतान प्रणाली रिजर्व बैंक और एनपीसीआई की निगरानी में नियंत्रित होती है, लेकिन रिजर्व बैंक और एनपीसीआई अपने विधायी दायित्वों का निर्वहन करके उपभोक्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा और संरक्षा करने की बजाय भारतीय उपभोक्ताओं के हितों के साथ समझौता करके विदेशी इकाइयों को भारत में अपनी भुगतान सेवा चलाने की अनुमति दे रही है.

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याचिका में दावा किया गया है कि रिजर्व बैंक और एनपीसीआई ने 'चार बड़ी टेक कंपनियों' अमेजन, गूगल और फेसबुक/व्हाट्सऐप (बीटा फेस) को ज्यादा जांच पड़ताल के बगैर ही यूपीआई प्रणाली में शामिल होने की अनुमति दे दी है.

याचिका में दावा किया गया है कि रिजर्व बैंक ने 'एफएक्यू' जारी करके अप्रैल 2018 के परिपत्र की भाषा हल्की करके घरेलू सौदों सहित भुगतान के सारे लेन-देन की प्रक्रिया विदेश में करने की अनुमति दे दी है.

याचिका के अनुसार इस एफएक्यू में स्पष्ट किया गया है कि अगर आंकड़ों की प्रोसेसिंग विदेश में की जाती है तो ये आंकड़े विदेशी व्यवस्था से हटाये जाने चाहिए और 24 घंटे के भीतर उन्हें भारत में लाया जाना चाहिए.

याचिका में रिजर्व बैंक द्वारा 28 जून, 2019 को जारी एफएक्यू को छह अप्रैल, 2018 के परिपत्र के खिलाफ घोषित करने का अनुरोध किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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