ETV Bharat / business

न्यायालय का ऋण स्थगन की अवधि में कर्ज पर ब्याज के खिलाफ याचिका पर केन्द्र, आरबीआई को नोटिस

न्ययामूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये इस मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र और आरबीआई को नोटिस जारी किये और उन्हें एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

स्थगन के दौरान ब्याज माफी की मांग वाली याचिका पर आरबीआई और केंद्र को नोटिस जारी
स्थगन के दौरान ब्याज माफी की मांग वाली याचिका पर आरबीआई और केंद्र को नोटिस जारी
author img

By

Published : May 26, 2020, 7:24 PM IST

Updated : May 26, 2020, 11:57 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से कर्ज की अदायगी में छूट की अवधि के लिये ब्याज पर लेवी की मांग को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को केन्द्र और भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब मांगा. कोविड-19 की वजह से कर्ज की अदायगी में छूट की अवधि को अब 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है.

न्ययामूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये इस मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र और आरबीआई को नोटिस जारी किये और उन्हें एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने पहली बार ऋण अदागयी में तीन महीने की छूट दी थी जो 31 मई तक थी. इस अवधि को अब तीन महीने के लिये और बढ़ा दिया गया है.

उन्होंने कहा कि बैंकों से कर्ज लेने वालों को इस तरह से दंडित नहीं किया जाना चाहिए तथा इस अवधि के लिये बैंकों को कर्ज की राशि पर ब्याज नहीं जोड़ना चाहिए.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "रिजर्व बैंक के वकील ने जवाब देने के लिये एक सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया जो उन्हें दिया गया. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी इस बीच आवश्यक निर्देश प्राप्त करेंगे."

यह मामला अब अगले सप्ताह सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया है।कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पर अंकुश के इरादे से रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को अनेक निर्देश जारी किये थे.

ये भी पढ़ें: टिड्डी ने किया बुरे समय पर हमला, 'गंभीर संक्रमण' और फसल के नुकसान की संभावना

रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को एक मार्च की स्थिति के अनुसार कर्जदारों पर बकाया राशि के भुगतान के लिये तीन महीने की ढील देने की छूट प्रदान की थी.

रिजर्व बैंक ने कहा था कि ऐसे ऋण की वापसी के कार्यक्रम को इस अवधि के बाद तीन महीने आगे बढ़ाया जायेगा। लेकिन ऋण अदायगी से छूट की अवधि में बकाया राशि पर ब्याज यथावत लगता रहेगा.

यह याचिका आगरा निवासी गजेन्द्र शर्मा ने दायर की है और इसमें रिजर्व बैंक की 27 मार्च की अधिसूचना के उस हिस्से को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया था जिसमें ऋण स्थगन की अवधि के दौरान कर्ज की राशि पर ब्याज वसूली का प्रावधान हैं.

याचिका के अनुसार, इस प्रावधान से कर्जदार के रूप में याचिकाकर्ता के लिये परेशानी पैदा होती है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीने के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है.

शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि उसके सर्कुलर में कर्ज भुगतान के संबंध में एक मार्च से 31 मई की अवधि के दौरान तीन महीने की ढील की व्यवस्था पर पूरी ईमानदारी से अमल किया जाये.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से कर्ज की अदायगी में छूट की अवधि के लिये ब्याज पर लेवी की मांग को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को केन्द्र और भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब मांगा. कोविड-19 की वजह से कर्ज की अदायगी में छूट की अवधि को अब 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है.

न्ययामूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये इस मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र और आरबीआई को नोटिस जारी किये और उन्हें एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने पहली बार ऋण अदागयी में तीन महीने की छूट दी थी जो 31 मई तक थी. इस अवधि को अब तीन महीने के लिये और बढ़ा दिया गया है.

उन्होंने कहा कि बैंकों से कर्ज लेने वालों को इस तरह से दंडित नहीं किया जाना चाहिए तथा इस अवधि के लिये बैंकों को कर्ज की राशि पर ब्याज नहीं जोड़ना चाहिए.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "रिजर्व बैंक के वकील ने जवाब देने के लिये एक सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया जो उन्हें दिया गया. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी इस बीच आवश्यक निर्देश प्राप्त करेंगे."

यह मामला अब अगले सप्ताह सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया है।कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पर अंकुश के इरादे से रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को अनेक निर्देश जारी किये थे.

ये भी पढ़ें: टिड्डी ने किया बुरे समय पर हमला, 'गंभीर संक्रमण' और फसल के नुकसान की संभावना

रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को एक मार्च की स्थिति के अनुसार कर्जदारों पर बकाया राशि के भुगतान के लिये तीन महीने की ढील देने की छूट प्रदान की थी.

रिजर्व बैंक ने कहा था कि ऐसे ऋण की वापसी के कार्यक्रम को इस अवधि के बाद तीन महीने आगे बढ़ाया जायेगा। लेकिन ऋण अदायगी से छूट की अवधि में बकाया राशि पर ब्याज यथावत लगता रहेगा.

यह याचिका आगरा निवासी गजेन्द्र शर्मा ने दायर की है और इसमें रिजर्व बैंक की 27 मार्च की अधिसूचना के उस हिस्से को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया था जिसमें ऋण स्थगन की अवधि के दौरान कर्ज की राशि पर ब्याज वसूली का प्रावधान हैं.

याचिका के अनुसार, इस प्रावधान से कर्जदार के रूप में याचिकाकर्ता के लिये परेशानी पैदा होती है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीने के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है.

शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि उसके सर्कुलर में कर्ज भुगतान के संबंध में एक मार्च से 31 मई की अवधि के दौरान तीन महीने की ढील की व्यवस्था पर पूरी ईमानदारी से अमल किया जाये.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : May 26, 2020, 11:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.