नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा कोविड-19 के चलते राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान बुक किए गए हवाई टिकटों के किराए की वापसी के संबंध में की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. शीर्ष अदालत की ओर से एयर टिकट रिफंड और क्रेडिट शेल पर उड़ानों के प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही हजारों हवाई यात्रियों को बड़ी राहत मिली है.
न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और एम. आर. शाह के साथ ही न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में देश और दुनियाभर में मौजूदा स्थिति पर दृष्टि नहीं खो सकती है और इसमें भी कोई विवाद नहीं हो सकता है कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र, जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, वो परिचालन उड़ानों पर लगाए गए प्रतिबंध को देखते हुए गंभीर रूप से प्रभावित है.
शीर्ष अदालत ने कहा, "यदि किसी यात्री ने राष्ट्रव्यापी बंद की अवधि (25 मार्च से 24 मई तक) के दौरान टिकट बुक किया है और एयरलाइन को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा दोनों के लिए इसी अवधि के दौरान हवाई टिकट की बुकिंग के लिए भुगतान मिला है और यात्री द्वारा उस बुकिंग को रद्द किए जाने के विरुद्ध धनवापसी की मांग की जाती है, तो एयरलाइन बिना किसी रद्दीकरण शुल्क के एकत्र की गई पूरी राशि वापस करेगी. धन वापसी रद्द होने की तिथि से तीन सप्ताह के भीतर की जाएगी."
यह फैसला वकील जोस अब्राहम के माध्यम से एनजीओ प्रवासी कानूनी सेल द्वारा दायर याचिका पर आया है.
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पीठ ने कहा कि यदि राष्ट्रव्यापी बंद की अवधि के दौरान किसी ट्रैवल एजेंट के माध्यम से टिकट बुक किए गए हैं, तो ऐसे सभी मामलों में एयरलाइंस द्वारा पूर्ण वापसी तुरंत दी जाएगी.
मालूम हो कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर जानकारी दी थी कि बंद की अवधि के दौरान बुक किए गए टिकटों के लिए क्रेडिट शेल केवल यात्रियों पर लागू होंगे और ट्रैवल एजेंटों के लिए नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने अब डीजीसीए की मांग को मान लिया है और 31 मार्च 2021 तक रिफंड वापस करने का निर्देश दिया है.
पीठ ने कहा कि यात्री के नाम पर जारी किया गया क्रेडिट शेल 31 मार्च, 2021 तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
(आईएएनएस)