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विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ में मिलने वाले छूट पर सवाल विभेदकारी: प्रभु

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Published : May 13, 2019, 10:42 PM IST

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने डब्ल्यूटीओ के 23 विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के मंत्रियों की बैठक को यहां संबोधित करते हुए कहा कि डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान निकाय के सदस्यों की नियुक्ति का संकट डब्ल्यूटीओ पर असर डालेगा.

विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ में मिलने वाले छूट पर सवाल विभेदकारी: प्रभु

नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों के तहत विकासशील देशों को दी जाने वाली छूट पर कुछ विकसित देशों द्वारा उठाये जा रहे सवाल विवादित हैं तथा विभेद पैदा करने वाले हैं.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने डब्ल्यूटीओ के 23 विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के मंत्रियों की बैठक को यहां संबोधित करते हुए कहा कि डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान निकाय के सदस्यों की नियुक्ति का संकट डब्ल्यूटीओ पर असर डालेगा.

ये भी पढ़ें- पलटवार की तैयारी में चीन, 1 जून से अमेरिकी वस्तुओं पर बढ़ाएगा शुल्क

उन्होंने कहा कि बैठक के समाप्त होने के बाद मंगलवार को जारी होने वाली घोषणा में नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्व को पुनर्स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा तथा डब्ल्यूटीओ के सुधारों के सुझाव भी दिये जाएंगे. उन्होंने इस संबंध में भागीदार सदस्य देशों से घोषणा की साझी सहमति पर पहुंचने की अपील की.

प्रभु ने कहा, "डब्ल्यूटीओ के लिये यह मुश्किल दौर है, खासकर विकासशील सदस्य देशों के लिये. अपीलीय निकाय में व्याप्त संकट के कारण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में शक्ति के खेल के लौट आने का खतरा है. विशेष एवं अलग व्यवहार पर उठाये जा रहे सवाल विवादित हैं तथा विभेद पैदा करने वाले हैं. मत्स्य क्षेत्र में सब्सिडी पर हो रही बातचीत में विशेष एवं अलग व्यवहार पर विचार करने में कुछ सदस्य हीलाहवाली कर रहे हैं."

उल्लेखनीय है कि अपीलीय निकाय के कार्य करने के लिये इसमें न्यूनतम तीन सदस्य का रहना अनिवार्य है. निकाय के सदस्यों में नियुक्ति में रुकावट के कारण इस साल 10 दिसंबर के बाद सदस्यों की संख्या तीन से भी कम हो जाएगी जिससे यह निकाय ठप्प हो जाएगा.

इस बैठक में चीन, ब्राजील, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कुल 16 विकासशील और 6 विकसित देश भाग ले रहे हैं. बैठक में डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रोबर्तो एजेवेदो भी भाग ले रहे हैं.

नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों के तहत विकासशील देशों को दी जाने वाली छूट पर कुछ विकसित देशों द्वारा उठाये जा रहे सवाल विवादित हैं तथा विभेद पैदा करने वाले हैं.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने डब्ल्यूटीओ के 23 विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के मंत्रियों की बैठक को यहां संबोधित करते हुए कहा कि डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान निकाय के सदस्यों की नियुक्ति का संकट डब्ल्यूटीओ पर असर डालेगा.

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उन्होंने कहा कि बैठक के समाप्त होने के बाद मंगलवार को जारी होने वाली घोषणा में नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्व को पुनर्स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा तथा डब्ल्यूटीओ के सुधारों के सुझाव भी दिये जाएंगे. उन्होंने इस संबंध में भागीदार सदस्य देशों से घोषणा की साझी सहमति पर पहुंचने की अपील की.

प्रभु ने कहा, "डब्ल्यूटीओ के लिये यह मुश्किल दौर है, खासकर विकासशील सदस्य देशों के लिये. अपीलीय निकाय में व्याप्त संकट के कारण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में शक्ति के खेल के लौट आने का खतरा है. विशेष एवं अलग व्यवहार पर उठाये जा रहे सवाल विवादित हैं तथा विभेद पैदा करने वाले हैं. मत्स्य क्षेत्र में सब्सिडी पर हो रही बातचीत में विशेष एवं अलग व्यवहार पर विचार करने में कुछ सदस्य हीलाहवाली कर रहे हैं."

उल्लेखनीय है कि अपीलीय निकाय के कार्य करने के लिये इसमें न्यूनतम तीन सदस्य का रहना अनिवार्य है. निकाय के सदस्यों में नियुक्ति में रुकावट के कारण इस साल 10 दिसंबर के बाद सदस्यों की संख्या तीन से भी कम हो जाएगी जिससे यह निकाय ठप्प हो जाएगा.

इस बैठक में चीन, ब्राजील, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कुल 16 विकासशील और 6 विकसित देश भाग ले रहे हैं. बैठक में डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रोबर्तो एजेवेदो भी भाग ले रहे हैं.

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विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ में मिलने वाले छूट पर सवाल विभेदकारी: प्रभु

नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों के तहत विकासशील देशों को दी जाने वाली छूट पर कुछ विकसित देशों द्वारा उठाये जा रहे सवाल विवादित हैं तथा विभेद पैदा करने वाले हैं.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने डब्ल्यूटीओ के 23 विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के मंत्रियों की बैठक को यहां संबोधित करते हुए कहा कि डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान निकाय के सदस्यों की नियुक्ति का संकट डब्ल्यूटीओ पर असर डालेगा.

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उन्होंने कहा कि बैठक के समाप्त होने के बाद मंगलवार को जारी होने वाली घोषणा में नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्व को पुनर्स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा तथा डब्ल्यूटीओ के सुधारों के सुझाव भी दिये जाएंगे. उन्होंने इस संबंध में भागीदार सदस्य देशों से घोषणा की साझी सहमति पर पहुंचने की अपील की.

प्रभु ने कहा, "डब्ल्यूटीओ के लिये यह मुश्किल दौर है, खासकर विकासशील सदस्य देशों के लिये. अपीलीय निकाय में व्याप्त संकट के कारण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में शक्ति के खेल के लौट आने का खतरा है. विशेष एवं अलग व्यवहार पर उठाये जा रहे सवाल विवादित हैं तथा विभेद पैदा करने वाले हैं. मत्स्य क्षेत्र में सब्सिडी पर हो रही बातचीत में विशेष एवं अलग व्यवहार पर विचार करने में कुछ सदस्य हीलाहवाली कर रहे हैं."

उल्लेखनीय है कि अपीलीय निकाय के कार्य करने के लिये इसमें न्यूनतम तीन सदस्य का रहना अनिवार्य है. निकाय के सदस्यों में नियुक्ति में रुकावट के कारण इस साल 10 दिसंबर के बाद सदस्यों की संख्या तीन से भी कम हो जाएगी जिससे यह निकाय ठप्प हो जाएगा.

इस बैठक में चीन, ब्राजील, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कुल 16 विकासशील और 6 विकसित देश भाग ले रहे हैं. बैठक में डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रोबर्तो एजेवेदो भी भाग ले रहे हैं.


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