नई दिल्ली : वैश्विक महामारी कोरोना के चलते भयानक रूप से पीड़ित भारतीय हवाई अड्डा संचालकों को यातायात आधार, राजस्व और नकद की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते निजी हवाईअड्डा संचालक निकाय ने बुधवार को सरकार से तत्काल राहत की मांग की है.
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर्स (एपीएओ) ने बुधवार को कहा कि बेहद चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच नकदी प्रवाह की स्थिति अनिश्चित होने के कारण, वित्तीय बोझ को कम करने के लिए हवाईअड्डे संचालकों को कुछ राहत उपाय प्रदान करने के लिए हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं.
एपीएओ उन हवाईअड्डा संचालकों का प्रतिनिधित्व करता है जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर काम करते हैं. इसके सदस्य में हैदराबाद, गोवा, बैंगलोर, मुंबई, कोचीन, दिल्ली शामिल हैं.
एपीएओ ने एक बयान में कहा, 'न केवल हवाईअड्डों पर परिचालन को बनाए रखने के लिए राहत उपायों की आवश्यकता है बल्कि नौकरियों को बचाने और हवाईअड्डा क्षेत्र की आर्थिक सुधार की अनुमति देने की भी आवश्यकता है.'
एयरपोर्ट के शीर्ष निकाय के अनुसार, वैमानिकी राजस्व में 75-80 प्रतिशत की कमी आई है जबकि गैर-वैमानिक राजस्व में 85-90 प्रतिशत की गिरावट आई है.
निजी हवाईअड्डा संचालक निकाय ने कहा कि कोविड -19 के कारण, हवाई अड्डों को अतिरिक्त परिचालन खर्च के साथ-साथ अतिरिक्त परिचालन खर्च करना पड़ा. साथ ही कोविड -19 की रोकथाम के लिए बुनियादी ढांचे और एसओपी को फिर से डिजाइन करने और यात्रियों को सुरक्षित और आसानी से संसाधित करने के लिए अतिरिक्त परिचालन खर्च करना पड़ा.
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एपीएओ ने कहा, 'हवाईअड्डे परिचालन को बनाए रखने और ऋण दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकदी प्रवाह पैदा नहीं कर रहे हैं. खराब नकदी प्रवाह और परिणामस्वरूप डाउनग्रेड क्रेडिट रेटिंग ने हवाई अड्डों के लिए वित्तीय संस्थानों से और वित्तपोषण सहायता लेना असंभव बना दिया है.'
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, वित्त वर्ष 2021 में भारत में हवाई अड्डों की परिचालन आय में 61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 8,400 करोड़ रुपये की गिरावट की उम्मीद है, जबकि लगभग 1,700 करोड़ रुपये (-20 प्रतिशत मार्जिन) के परिचालन नुकसान और 5,400 करोड़ रुपये (-64 प्रतिशत मार्जिन) के शुद्ध नुकसान की सूचना दी गई है.
वित्त वर्ष 2021 में सेक्टर के लिए कुल नकदी प्रवाह लगभग 3,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो कोविड-19 प्रेरित यात्रा प्रतिबंधों के बीच यात्री यातायात में साल-दर-साल 66% की गिरावट से प्रभावित है.