नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस रविवार की रात 9 बजे अपने घरों की बिजली बंद करने के आान के मद्देनजर देशभर के लोड डिस्पैच सेंटरों को उच्चस्तरीय तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि अचानक बिजली खपत में गिरावट आने पर पावरग्रिड को किसी भी तरह के खतरे का सामना न करना पड़े.
स्वतंत्र बिजली उत्पादकों, केंद्रीय और राज्य बिजली ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन यूटीलिटीज को लिखे गए पत्रों में ब्लैकआउट के समय से पहले और बाद में ग्रिड के सुचारु और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता के उच्च स्तर का ध्यान रखने को कहा गया है. वहीं इन यूटीलिटीज को रिले, कैपेसिटर और रिएक्टरों को सेवा के लिए तैयार रखने के लिए कहा गया है, ताकि अगर कोई घटना होती भी है तो उसे जल्द से जल्द संभाला जा सके.
यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने ग्रिड का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए आगे तैयारी करने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसमिशन यूटीलिटीज को पत्र लिखा है, जिसका अंश है, "..अनुमान लगाया गया है कि बिजली को बंद करने से उत्तर प्रदेश में बहुत कम समय में 3000 मेगावाट की लोड रिडक्शन की घटना हो सकती है. ऊपर बताए गए लोड में कमी आने से यूपी पावरग्रिड में हाई वोल्टेज की वृद्धि हो सकती है."
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह अपील की थी कि रविवार की रात 9 बजे से 9 मिनट तक अपने घरों की लाइट बंद रखें. इस दौरान दीया, मोमबत्ती या टॉर्च जलाएं.
इस आह्वान ने देशभर के बिजली क्षेत्र के प्रबंधकों का जमावड़ा लगा दिया, ताकि 5 अप्रैल को ब्लैकआउट की अवधि के दौरान देशभर में संभावित ग्रिड कोलैप्स और ब्लैकआउट से बचाने के लिए रणनीति तैयार की जा सके. इसकी सूचना सबसे पहले आईएएनएस ने शुक्रवार को दी थी.
ब्लैकआउट के दौरान आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर तमिलनाडु ट्रांसमिशन कॉपोर्रेशन ने सभी इंजीनियरों को रविवार को रात 8 से रात 10.30 बजे के बीच कार्यालय में उपस्थित रहने के लिए कहा है, ताकि किसी भी आपात स्थिति को संभाला जा सके.
वहीं देश की सबसे बड़ी पॉवर ट्रांसमिशन यूटिलिटी पॉवरग्रिड कॉर्पोशन ने सभी क्षेत्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी स्टाफ को ब्लैकआउट की अवधि के दौरान हाईअलर्ट पर रहने और सभी स्टेशन प्रभारियों और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को कार्यालय में उपस्थित रहने के लिए कहा है.
इसके अलावा गैस और हाइड्रो स्टेशनों को भी जेनरेशन का उत्पादन कम करने के लिए कहा गया है.
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पॉवरग्रिड कॉर्पोरेशन के एक अधिकारी, जो ट्रांसमिशन नेटवर्क के राष्ट्रीय ग्रिड का संचालन करते हैं, उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक नहीं है और ग्रिड ऑपरेटर बिजली की मांग में अचानक गिरावट को संभालने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं.
अधिकारी ने कहा, "दरअसल कोविड-19 महामारी के कारण पैन इंडिया लॉकडाउन की जरूरत को देखते हुए देश में पीक डिमांड पहले से करीब 20 फीसदी कम है. इसलिए, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय लोड डिस्पैच सेंटर में पहले से ही कम मांग है. ऐसे में 5 अप्रैल को बिजली में होने वाली गिरावट से समस्या नहीं होनी चाहिए, उसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है."
2 अप्रैल, 2020 को जारी बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में अधिकतम बिजली की मांग 1,25,817 मेगावाट है, जो कि 2 अप्रैल, 2019 के 1,68,326 मेगावाट के मुकाबले लगभग 20 प्रतिशत कम है.
अनुपालन के लिए समय बढ़ा दिया है. रिजर्व बैंक ने भी रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की 11 साल की सबसे बड़ी कटौती करने के साथ साथ बैंकों को किस्तों की वसूली में तीन माह तक राहत देने की छूट दी है. लेकिन उद्योग जगत स्थिति को गंभीर बताते हुए सरकार से और कारगर मदद की अपेक्षा कर रहा है.
(आईएएनएस)