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बीएसएनएल, एमटीएनएल के पुनरोद्धार को लेकर पीएमओ का दखल

एक आधिकारिक सूत्र ने गुरुवार को कहा कि कुछ दिन पहले दूरसंचार और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग के साथ बैठक में दूरसंचार विभाग से दोनों कंपनियों को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन की रूपरेखा तेजी से भेजने को कहा.

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Published : Apr 4, 2019, 11:44 PM IST

नई दिल्ली : घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के पुनरोद्धार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हस्तक्षेप किया है. समझा जाता है कि पीएमओ ने इन कंपनियों के तीन परेशान करने वाले मुद्दों के हल के लिए कदम उठाने को कहा है.

एक आधिकारिक सूत्र ने गुरुवार को कहा कि कुछ दिन पहले दूरसंचार और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग के साथ बैठक में दूरसंचार विभाग से दोनों कंपनियों को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन की रूपरेखा तेजी से भेजने को कहा. साथ ही उससे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तथा तत्काल वित्तीय सहायता पर भी कदम उठाने को कहा.

दूरसंचार क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में संकट में फंसी दूरसंचार कंपनियां परिचालन में बने रहे के लिए ये तीन उपाय चाहती हैं.

सूत्र ने पीटीआई भाषा से कहा, "सरकार ने तय किया है कि एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों का पुनरोद्धार किया जाएगा, जिससे ये स्वस्थ तरीके से टिकी रहें. पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी ने दूरसंचार विभाग, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के साथ बैठक में तय किया गया कि विभाग जल्द से जल्द एमटीएनएल और बीएसएनएल के पुनरोद्धार के लिए विस्तृत रूपरेखा भेजेगा."

दोनों कंपनियों ने सरकार की ओर से इक्विटी निवेश के लिए 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम भी मांगा है. सभी दूरसंचार कंपनियों में बीएसएनएल का कर्ज सबसे कम 14,000 करोड़ रुपये का है. कंपनी ने 7,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश के लिए देशभर में 4जी स्पेक्ट्रम मांगा है. कंपनी के लिए स्पेक्ट्रम की कुल लागत 14,000 करोड़ रुपये बैठेगी.

इन कंपनियों की स्थापना के समय दूरसंचार विभाग ने बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी इनमें स्थानांतरित किए थे. इस वजह से ऊंचे राजस्व से ऋण अनुपात के चलते भी कंपनियां संकट में हैं. देशभर में बीएसएनएल के कर्मचारियो की संख्या 1.76 लाख और एमटीएनएल के कर्मचारियों की संख्या 22,000 है. एमटीएनएल ने सरकार की ओर से दिए गए ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस स्पेक्ट्रम के लिए किए गए ब्याज के भुगतान को वापस करने की मांग की है.

सरकार ने कंपनी से 2010 में नीलामी से निकले मूल्य का भुगतान करने को कहा था. दोनों ही कंपनियों ने कंपनियों ने अपनी संपत्तियों के मौद्रिकरण की अनुमति मांगी है. साथ ही दोनों ने गुजरात मॉडल पर कर्मचारियों के लिए वीआरएस की भी अनुमति मांगी है. बीएसएनएल के लिए वीआरएस योजना का राजस्व प्रभाव 6,365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल के लिए 2,120 करोड़ रुपये होगा.
ये भी पढ़ें : मार्च में देश के सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर छह महीने के निचले स्तर पर: पीएमआई

नई दिल्ली : घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के पुनरोद्धार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हस्तक्षेप किया है. समझा जाता है कि पीएमओ ने इन कंपनियों के तीन परेशान करने वाले मुद्दों के हल के लिए कदम उठाने को कहा है.

एक आधिकारिक सूत्र ने गुरुवार को कहा कि कुछ दिन पहले दूरसंचार और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग के साथ बैठक में दूरसंचार विभाग से दोनों कंपनियों को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन की रूपरेखा तेजी से भेजने को कहा. साथ ही उससे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तथा तत्काल वित्तीय सहायता पर भी कदम उठाने को कहा.

दूरसंचार क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में संकट में फंसी दूरसंचार कंपनियां परिचालन में बने रहे के लिए ये तीन उपाय चाहती हैं.

सूत्र ने पीटीआई भाषा से कहा, "सरकार ने तय किया है कि एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों का पुनरोद्धार किया जाएगा, जिससे ये स्वस्थ तरीके से टिकी रहें. पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी ने दूरसंचार विभाग, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के साथ बैठक में तय किया गया कि विभाग जल्द से जल्द एमटीएनएल और बीएसएनएल के पुनरोद्धार के लिए विस्तृत रूपरेखा भेजेगा."

दोनों कंपनियों ने सरकार की ओर से इक्विटी निवेश के लिए 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम भी मांगा है. सभी दूरसंचार कंपनियों में बीएसएनएल का कर्ज सबसे कम 14,000 करोड़ रुपये का है. कंपनी ने 7,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश के लिए देशभर में 4जी स्पेक्ट्रम मांगा है. कंपनी के लिए स्पेक्ट्रम की कुल लागत 14,000 करोड़ रुपये बैठेगी.

इन कंपनियों की स्थापना के समय दूरसंचार विभाग ने बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी इनमें स्थानांतरित किए थे. इस वजह से ऊंचे राजस्व से ऋण अनुपात के चलते भी कंपनियां संकट में हैं. देशभर में बीएसएनएल के कर्मचारियो की संख्या 1.76 लाख और एमटीएनएल के कर्मचारियों की संख्या 22,000 है. एमटीएनएल ने सरकार की ओर से दिए गए ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस स्पेक्ट्रम के लिए किए गए ब्याज के भुगतान को वापस करने की मांग की है.

सरकार ने कंपनी से 2010 में नीलामी से निकले मूल्य का भुगतान करने को कहा था. दोनों ही कंपनियों ने कंपनियों ने अपनी संपत्तियों के मौद्रिकरण की अनुमति मांगी है. साथ ही दोनों ने गुजरात मॉडल पर कर्मचारियों के लिए वीआरएस की भी अनुमति मांगी है. बीएसएनएल के लिए वीआरएस योजना का राजस्व प्रभाव 6,365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल के लिए 2,120 करोड़ रुपये होगा.
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नई दिल्ली : घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के पुनरोद्धार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हस्तक्षेप किया है. समझा जाता है कि पीएमओ ने इन कंपनियों के तीन परेशान करने वाले मुद्दों के हल के लिए कदम उठाने को कहा है.

एक आधिकारिक सूत्र ने गुरुवार को कहा कि कुछ दिन पहले दूरसंचार और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग के साथ बैठक में दूरसंचार विभाग से दोनों कंपनियों को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन की रूपरेखा तेजी से भेजने को कहा. साथ ही उससे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तथा तत्काल वित्तीय सहायता पर भी कदम उठाने को कहा.

दूरसंचार क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में संकट में फंसी दूरसंचार कंपनियां परिचालन में बने रहे के लिए ये तीन उपाय चाहती हैं.

सूत्र ने पीटीआई भाषा से कहा, "सरकार ने तय किया है कि एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों का पुनरोद्धार किया जाएगा, जिससे ये स्वस्थ तरीके से टिकी रहें. पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी ने दूरसंचार विभाग, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के साथ बैठक में तय किया गया कि विभाग जल्द से जल्द एमटीएनएल और बीएसएनएल के पुनरोद्धार के लिए विस्तृत रूपरेखा भेजेगा.

दोनों कंपनियों ने सरकार की ओर से इक्विटी निवेश के लिए 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम भी मांगा है. सभी दूरसंचार कंपनियों में बीएसएनएल का कर्ज सबसे कम 14,000 करोड़ रुपये का है. कंपनी ने 7,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश के लिए देशभर में 4जी स्पेक्ट्रम मांगा है. कंपनी के लिए स्पेक्ट्रम की कुल लागत 14,000 करोड़ रुपये बैठेगी.

इन कंपनियों की स्थापना के समय दूरसंचार विभाग ने बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी इनमें स्थानांतरित किए थे. इस वजह से ऊंचे राजस्व से ऋण अनुपात के चलते भी कंपनियां संकट में हैं. देशभर में बीएसएनएल के कर्मचारियो की संख्या 1.76 लाख और एमटीएनएल के कर्मचारियों की संख्या 22,000 है. एमटीएनएल ने सरकार की ओर से दिए गए ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस स्पेक्ट्रम के लिए किए गए ब्याज के भुगतान को वापस करने की मांग की है.

सरकार ने कंपनी से 2010 में नीलामी से निकले मूल्य का भुगतान करने को कहा था. दोनों ही कंपनियों ने कंपनियों ने अपनी संपत्तियों के मौद्रिकरण की अनुमति मांगी है. साथ ही दोनों ने गुजरात मॉडल पर कर्मचारियों के लिए वीआरएस की भी अनुमति मांगी है. बीएसएनएल के लिए वीआरएस योजना का राजस्व प्रभाव 6,365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल के लिए 2,120 करोड़ रुपये होगा.

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