नई दिल्ली: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रमुख विक्रम लिमये ने बुधवार को कहा कि 'को-लोकेशन' मामले में बाजार नियामक सेबी के आदेश के बाद आगे की कार्रवाई पर फैसले करने से पहले सभी कानूनी विकल्पों की जांच-पड़ताल की जाएगी.
उन्होंने कहा कि "मुश्किल समय बीत गया है." यह कुछ ब्रोकरों को स्थान विषेश पर स्थापित कंप्यूटर सर्वर आदि के माध्यम से उच्च तीव्रता वाली खरीद-फरोख्त प्रणाली में लाभ पहुंचाने का मामला है.
सेबी ने मंगलवार को हाई-प्रोफाइल को-लोकेशन मामले में आदेश जारी करते हुए एनएसई को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा करने के लिए कहा है. लिमये ने जोर दिया है कि इस फैसले से एनएसई के कामकाज पर कोई असर नहीं होगा.
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लिमये ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में बताया, "यदि आप सेबी के आदेश पर नजर डाले तो आप देखेंगे कि अनुचित व्यापार या धोखाधड़ी व्यापार गतिविधि के कोई सबूत नहीं मिले हैं... हम पर किसी भी अनुचित या धोखाधड़ी व्यवहार गतिविधि का आरोप नहीं लगा है."
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को को-लोकेशन मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को 687 करोड़ रुपये के लाभ को ब्याज सहित वापस करने को कहा है. ब्याज के साथ भुगतान की जाने वाली कुल राशि 1,000 करोड़ रुपये से अधिक बैठती है. को-लोकेशन मामले में कुछ इकाइयों को उच्च आवृत्ति वाले कारोबार में तरजीही पहुंच देने का आरोप लगा था.
इसके अलावा अगले छह महीने तक कोई भी नया डेरिवेटिव्स उत्पाद पेश करने और छह महीने तक सीधे या परोक्ष रूप से प्रतिभूति बाजार में जाने से रोका है. सेबी ने एक्सचेंज के कुछ पूर्व और मौजूदा अधिकारियों समेत कुछ स्टॉक ब्रोकरों पर कार्रवाई की है. एनएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी लिमये ने जोर दिया कि को-लोकेशन मामले में नियामकीय नजरिए से कुछ भी छूटा नहीं है. सेबी के नजरिए से मामला खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा, "वर्तमान में सभी कानूनी विकल्प मौजूद हैं. स्टॉक एक्सचेंज विभिन्न विकल्पों के नफा-नुकसान और संस्थान के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रख कर कानूनी सलाह लेगा." लिमये ने कहा, "हम कर्मचारियों की स्थिति और आईपीओ पर कानूनी सलाह लेंगे. इस पर निर्भर करेगा कि हम आगे क्या कदम उठा सकते हैं." सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को अगले छह महीने तक कोई भी नया डेरिवेटिव उत्पाद लाने से रोका है. इस पर एनएसई प्रमुख ने कहा कि अब नए उत्पाद लाने की कुछ योजनाओं को रोकना होगा.
उन्होंने कहा, "हमारे पास जिंस इत्यादि में नए अनुबंध के लिए कुछ योजनाएं थी क्योंकि यह श्रेणी हमारे लिए नई है. कुछ योजनाओं में छह महीने से ज्यादा की देरी होगी. राशि के भुगतान का एनएसई पर वित्तीय प्रभाव को लेकर पूछे जाने पर लिमये ने कहा कि 1,100 करोड़ रुपये किसी भी कंपनी के लिए छोटी रकम नहीं है.