अंतरिम बजट 2019-20 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) की घोषणा की गई थी. जिसके तहत दो हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि रखने वाले 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों को साल में तीन किस्तों में 6,000 रुपये दिए जाएंगे.
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अधिकारी ने बताया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 फरवरी को गोरखपुर में एक किसान रैली में औपचारिक रूप से इस योजना का शुभारंभ करेंगे. हमें उम्मीद है कि इससे करीब एक करोड़ से अधिक लाभार्थियों को फायदा होगा." अधिकारी ने कहा कि इस आयोजन के मौके पर 24 फरवरी को प्रधानमंत्री-किसान पोर्टल पर अपलोड किए गए पात्र किसानों को पहली किस्त जारी की जाएगी. उन्होंने कहा कि दूसरी किस्त एक अप्रैल से दी जाएगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन किसानों को भी पहली किस्त मिलेगी, जिनके नाम पात्र लाभार्थियों की प्रारंभिक सूची में नहीं आ पाए हैं, तो अधिकारी ने कहा, "मूल सिद्धांत यह है कि प्रणाली की अक्षमता या अड़चनों के कारण किसान लाभ से वंचित नहीं होंगे." अधिकारी ने कहा कि पूर्वोत्तर में किसानों के साथ-साथ आदिवासी किसानों के संबंध एक समाधान निकाला जा रहा है.
अधिकारी ने कहा, "पूर्वोत्तर क्षेत्र में, एक सामुदायिक प्रमुख यह हलफनामा देंगे कि प्रत्येक किसान के पास कितनी जमीन है. उसके आधार पर हम उनके बैंक खातों में राशि हस्तांतरित करेंगे." सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वन क्षेत्रों में कृषि भूमि पर अधिकार रखने वाले आदिवासी किसानों को भी इस योजना के तहत लाभ मिलेगा.
लाभार्थियों के आंकड़ों के बारे में अधिकारी ने कहा, "जमीनी स्तर पर सत्यापन का काम चल रहा है. विभिन्न राज्य अलग-अलग गति से आगे बढ़ रहे हैं. आंकड़ों को जुटाने के संदर्भ में कुछ राज्यों में प्रशासन और राजनीतिक मुद्दे सामने आ रहे हैं." हालांकि, कई राज्य बृहस्पतिवार से शुरु होने वाले प्रधानमंत्री-किसान पोर्टल पर डेटा अपलोड करने की स्थिति में आ चुके हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार के पास किसानों की भूमि रिकॉर्ड का अच्छा डिजिटल आंकड़ा उपलब्ध है.
अधिकारी ने कहा कि तमाम लोगों को छांटे जाने के बाद, राज्य में लगभग दो करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवार इस योजना से लाभान्वित होंगे. उन्होंने कहा कि लगभग एक दर्जन राज्यों में आंकड़ों का 95 प्रतिशत हिस्सा तैयार है, जबकि नौ राज्यों ने 80 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है, जबकि बाकी लोग थोड़ा पिछड़ रहे हैं.
नई योजना से देश में राजस्व डेटा आधार में सुधार होने का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा, "किसानों को योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए अपने भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए कहा जाएगा. उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसान खुद को सशक्त महसूस कर रहे हैं."
चयन की इस प्रक्रिया के कारण बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग सशक्त हो रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि दीर्घावधि में यह योजना खेती छोड़ने की समस्या को हल करेगी. उन्होंने कहा, "वर्तमान में, लगभग 50 प्रतिशत किसान साल में 2-3 फसलें लेते हैं और बाकी एक फसल लेते हैं. इससे किसान अपने खेतों में ही काम करेंगे."
(भाषा)